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जानिए पाकिस्‍तान में मुशर्रफ से पहले सत्‍ता में शीर्ष पर रहने वाले किस व्‍यक्ति को दी गयी थी फांसी

पाकिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति परवेज मुशर्रफ से पहले पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुलफीकार भुट्टो को फांसी पर लटकाया जा चुका है। जानिए किस लिए और किन हालात में उन्‍हें चढ़ाया गया था फांसी Former Pakistan Prime Minister Zulfikar Bhutto has been hanged before the former President of Pakistan, Per

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बेंगलुरु। पाकिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति एवं रिटायर्ड जनरल परवेज मुशर्रफ को देशद्रोह के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई है। पेशावर हाई कोर्ट की तीन सदस्‍यीय पीठ ने उन्‍हें देशद्रोह के मामले में यह सजा सुनाई है। पीठ ने बहुमत के आधार पर मुशर्रफ के खिलाफ इस सजा का ऐलान किया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 6 के अनुसार मुशर्रफ को उच्च राजद्रोह का दोषी पाया गया। मुशर्रफ को यह सजा नवंबर 2007 में देश में इजरजेंसी लगाए जाने के मामले में दी गयी है।

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पाकिस्‍तान के इतिहास में पहली बार किसी पूर्व सेनाध्‍यक्ष को मौत की सजा सुनाई गई है लेकिन फांसी की सजा पाने वाले वह पाकिस्‍तान के दूसरे शीर्षस्‍थ व्‍यक्ति हैं। परवेज मुशर्रफ से पहले भी पाकिस्‍तान में शीर्ष पद पर रह चुके एक और व्‍यक्ति को फांसी पर लटकाया जा चुका है।

40 वर्ष पहले पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री को दी गयी थी फांसी

40 वर्ष पहले पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री को दी गयी थी फांसी

बता दें परवेज मुशर्रफ पाकिस्‍तान के रिटायर्ड जनरल होने के साथ पूर्व राष्‍ट्रपति भी हैं। कोर्ट से फांसी की सजा पाने वाले मुशर्रफ पाकिस्‍तान के दूसरे शीर्षस्‍थ व्‍यक्ति हैं। इससे पहले भी पाक‍िस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री जुल्‍फीकार अली भुट्टो को फांसी की सजा सुनाई गई थी। पाक‍िस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के प‍िता जुल्फिकार अली भुट्टो को यह सजा आज से लगभग 40 वर्ष पूर्व 6 फरवरी 1979 को पाकिस्‍तान की सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई थी। जिसके बाद 24 मार्च को भुट्टो की तरफ से फैसले के खिलाफ दोबारा अपील की गई जिसको खारिज करने के बाद उन्‍हें 4 अप्रैल 1979 को रावलपिंडी की सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई थी।
जुल्फिकार अली भुट्टो भुट्टो 14 अगस्त 1973 से 5 जुलाई 1977 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे।

विपक्षी नेता की हत्या का आरोप

पाकिस्‍तान में 5 जुलाई 1977 को तत्‍कालीन सेनाध्‍यक्ष जिया उल हक ने सरकार का तख्‍ता पलट कर सत्‍ता अपने हाथों में ले ली थी। 3 सितंबर 1977 को सेना ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन पर मार्च 1974 में विपक्षी नेता की हत्या का आरोप लगा था। भुट्टो का मुकदमा स्थानीय कोर्ट की जगह सीधे हाई कोर्ट में चला। इसके बाद जनवरी 1978 में लाहौर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मौलवी मुश्‍ताक हुसैन ने खचाखच भरी अदालत में भुट्टो फांसी की सजा सुनाई थी।

अपील खार‍िज होने के मात्र आठ घंटों में दे दी फांसी

बता दें कि मामले की सुनवाई कर रहे हुसैन समेत पांच जजों की नियुक्ति जिया उल हक ने ही की थी और हुसैन भुट्टो की सरकार में विदेश सचिव रह चुके थे। इसको इत्‍तफाक कहा जा सकता है कि मुशर्रफ को जिन जजों ने फांसी की सजा सुनाई है वो उन्‍हीं 100 जजों में शामिल थे जिन्‍हेंआपातकाल के दौरान बर्खास्‍त कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट में उनकी अपील खार‍िज होने के बाद उन्हें मात्र आठ घंटों में फांसी पर चढ़ा द‍िया गया था।

मुशर्रफ को पाया गया राजद्रोह का दोषी

मुशर्रफ को पाया गया राजद्रोह का दोषी

बता दें मुर्शरफ के देशद्रोह संबंधी मामले की सुनवाई पाकिस्‍तान की विशेष पीठ द्वारा की जा रही थी जिसमें पेशावर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ अकबर और सिंध उच्च न्यायालय (लाहौर) के न्यायाधीश शाहिद करीम शामिल थे। शीर्ष अदालत के आदेश पर पीठ का गठन किया गया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि उसने तीन महीने तक मामले में शिकायतों, रिकॉर्डों, तर्कों और तथ्यों का विश्लेषण किया और मुशर्रफ को पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 6 के अनुसार उच्च राजद्रोह का दोषी पाया।

संविधान को भी निलंबित कर दिया था

पाकिस्‍तान के चीफ जस्टिस वकार अहमद सेठ की तरफ से इस सजा का ऐलान नवंबर 2007 में देश में लगाई गई इमरजेंसी के मामले में सुनाई गई है। जिसके बाद मुशर्रॅफ ने देश के संविधान को भी निलंबित कर दिया था। इस मामले में दिसंबर 2013 में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था और 31 मार्च, 2014 को कोर्ट ने उन्‍हें दोषी ठहराया गया था।

2016 से दुबई में करवा रहे इलाज

उल्लेखनीय है कि 2016 से, मुशर्रफ बीमारी के इलाज के चलते दुबई में रह रहे हैं और तब से पाकिस्‍तान नहीं लौटे हैं। इस मामले में वह वांटेड हैं। पूर्व नेता का उच्च राजद्रोह का मुकदमा दिसंबर 2013 से लंबित था, तब उन्हें इस मामले में गिरफ्तार भी किया गया था। अदालत उन्हें पहले ही भगोड़ा घोषित कर चुकी थी। हालांकि, मुशर्रफ की दलील रही है कि उन्हें बीमारी की हालत में देश से बाहर रहने की वजह से सुनवाई का पूरा मौका नहीं मिला है। वह खुद को बेकसूर भी बताते रहे हैं।

नवाज शरीफ को सत्ता से बेदखल कर खुद बन गए थे राष्‍ट्रपति

नवाज शरीफ को सत्ता से बेदखल कर खुद बन गए थे राष्‍ट्रपति

गौरतलब है कि साल 1997 में नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग पार्टी ने चुनाव जीता था और वह दोबारा देश के राष्ट्रपति बन गए थे। इसके दो वर्ष बाद साल 1999 में पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फीकार भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टों और उनके पति आसिफ अली जरदारी को जेल की सजा सुनाई गई, लेकिन वे देश से बाहर ही रहे। साल 1999 में कारगिल युद्ध में जबरदस्‍त हार के बाद जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को सत्ता से बेदखल करके पाकिस्तान की कमान अपने हाथ में ले ली और नवाज शरीफ को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। जनरल परवेज मुशर्रफ ने खुद को देश का राष्ट्रपति घोषित कर दिया।

जनमत संग्रह में 5 साल के लिए राष्ट्रपति चुना गया था

जनमत संग्रह में 5 साल के लिए राष्ट्रपति चुना गया था

इसके बाद 2002 में जनरल परवेज मुशर्रफ हुए जनमत संग्रह में उन्हें 5 साल के लिए राष्ट्रपति चुना गया और राष्‍ट्रपति पर पर रहते हुए पाकिस्‍तान के सेना अध्यक्ष के पद पर भी बने रहे। साल 2007 में बेनजीर भुट्टो निर्वासन से लौटीं। परवेज मुशर्रफ एक बार फिर राष्ट्रपति चुनाव जीत गए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके निर्वाचन को चुनौती दी। इसके बाद बौखलाहट में आकर मुशर्रफ ने देश में आपातकाल लागू कर दिया और मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी को बर्खास्त करके नए जज को नियुक्त किया।

2013 में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था

नए जज ने मुशर्रफ की जीत पर मुहर लगाई और इस बीच शरीफ भी निर्वासन से लौट आए, लेकिन बेनजीर की एक रैली के दौरान हत्या कर दी गई। 3 नवंबर, 2007 को देश में इमरजेंसी लगाने के जुर्म में परवेज मुशर्रफ पर दिसंबर 2013 में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था। मुशर्रफ को 31 मार्च, 2014 को दोषी ठहराया गया था। अब जाकर फांसी की सजा सुनाई गई है।

दिल्ली में मुशर्रफ का हुआ था जन्‍म

दिल्ली में मुशर्रफ का हुआ था जन्‍म

बता दें परवेज मुशर्रफ का जन्‍म 11 अगस्त, 1943 को अविभाजित भारत के नई दिल्‍ली स्थित दरियागंज में हुआ था। 1947 में विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्‍तान चला गया था। उनके पिता पाकिस्‍तानी विदेश मंत्रालय से जुड़े रहे और इस दौरान उनकी पोस्टिंग तुर्की में भी हुई। मुशर्रफ की शुरुआती शिक्षा तुर्की में हुई, जहां उन्‍होंने तुर्की की भाषा भी सीखी। बाद में जब वह पाकिस्‍तान लौटे तो कराची के सेंट पैट्रिक स्‍कूल और लाहौर के फॉरमैन क्रिशचन कॉलेज से उन्‍होंने पढ़ाई की।

कारगिल युद्ध के जिम्मेदार मुशर्रफ ही थे

मुशर्रफ वर्ष 1961 में पाकिस्‍तान की सेना में शामिल हुए, जिसके चार साल बाद ही 1965 में भारत और पाकिस्‍तान में जंग छिड़ गई। इसके बाद 1971 में जब भारत और पाकिस्‍तान में युद्ध छिड़ा, तब भी मुशर्रफ पाकिस्‍तानी सेना का हिस्‍सा थे। इन दोनों युद्धों में पाकिस्‍तान को करारी शिकस्‍त का सामना करना पड़ा था। मुशर्रफ अक्‍टूबर 1998 में पाकिस्‍तान के सेना प्रमुख बने, जिसके बाद 1999 में उन्‍होंने नवाज शरीफ की सरकार का तख्‍ता पलट किया। 1999 में कारगिल युद्ध के लिए भी मुशर्रफ को ही जिम्‍मेदार ठहराया जाता है, जिसमें भारत ने पाकिस्‍तानी सेना को चारों खाने चित्त करते हुए फतह हासिल की।

इसे भी पढ़े- सैन्य तानाशाह से सजा-ए-मौत तक, कैसा रहा जनरल परवेज मुशर्रफ का सफर

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English summary
Former Pakistan Prime Minister Zulfikar Bhutto has been hanged before the former President of Pakistan, Pervez Musharraf. Know for what and under what circumstances they were hanged '
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