मुंबई के बड़े सरकारी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट में घूसखोरी, ACB ने दो लोगों को पकड़ा
मुंबई। महाराष्ट्र में मानव अंगों की तस्करी से जुड़े रैकेट को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। मानव अंगों की तस्करी के मामले में मुंबई के एक बड़े सरकारी अस्पताल का नाम सामने आया है। इसी तरह से मामले में दो साल पहले एक बड़े प्राइवेट अस्पताल का नाम सामने आया था। इस बार जेजे सरकारी अस्पताल को लेकर खुलासा हुआ है। इस अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट को मंजूरी देने के बदले 1.5 लाख रुपये मांगे जा रहे थे। इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब एक मरीज जमालुद्दीन के परिवार ने एंटी करप्शन ब्यूरो की मदद ली। मरीज को तत्काल किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत थी। मरीज के परिवार को इस बात की उम्मीद थी कि अस्पताल कर्मचारियों की मिलीभगत से चल रहे अंग तस्करी के इस काले कारनामे को उजागर किया जा सकेगा। इस रैकेट की पहुंच कई अस्पतालों तक है।
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मरीज जमालुद्दीन की जरूरत को देखते हुए तुषार और सचिन ने रिश्तेदारों से संपर्क किया और 80 हजार की पहली रकम लेने पहुंचे तभी एसीबी ने उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया। एसीबी की मुंबई इकाई ने जेजे अस्पताल के कर्मचारी तुषार सावरकर को इस मामले में गिरफ्तार किया। तुषार सावरकर ट्रांसप्लांट ऑथराइजेशन कमिटी के मुंबई जोन के को-ऑर्डिनेटर्स में से एक था। जबकि दूसरा आरोपी सचिन साल्वे माहिम के एसएल रहेजा हॉस्पिटल में ट्रांस्प्लांट को-ऑर्डिनेटर था।
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