मुलायम सिंह ने किया सपा से 'दुष्कर्म', 'आरोपी' बने अखिलेश
समाजवादी पार्टी के कार्यालयों में सन्नाटा पसरा हुआ है। लोकसभा में पार्टी को महज पांच सीटें मिली हैं, जबकि पार्टी ने सभी 80 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किये थे। सपा के अधिकांश कार्यकर्ता इस परफॉरमेंस के लिये अखिलेश यादव को जिम्मेदार मान रहे हैं, यानी सपा की आर के मुख्य आरोपी अखिलेश को मान रहे हैं, जबकि सच पूछिए तो पार्टी के साथ दुष्कर्म तो सीधे तौर पर खुद मुखिया मुलायम सिंह यादव ने किया।
सबसे पहले मुलायम ने पार्टी में ज्यादा से ज्यादा सीटों से मुस्लिम प्रत्याशियों को खड़ा किया, यह सोचकर कि मुसलमान तो हमारे हैं और उनका वोट तो मिलेगा ही, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि सिर्फ सहारनपुर, रामपुर, अलीगढ़ और रामपुर जैसे चंद शहर ही हैं, जो मुस्लिम बहुल्य हैं, बाकियों पर उनका धर्म की राजनीति का कार्ड किसी भी हालत में नहीं चल सकता था।
मुलायम ने पूरे चुनाव में हर कदम पर यादव कार्ड खेलने के प्रयास किये साथ ही अन्य जातियों को भी जमकर लुभाने की कोशिश की। मुलायम यह नहीं समझ पाये कि जनता का मूड बदल चुका है, नये वोटर्स पहले के वोटरों से ज्यादा पढ़े लिखे हैं और वो किसी भी राजनेता की चिकनी चुपड़ी बातों में नहीं आ सकते। कहीं न कहीं सपा अच्छा कर सकती थी, कम से कम उन जिलों में जहां पर सपा ने विकास कार्य किये हैं, सबसे बड़ा उदाहरण इटावा है। तमाम संसदीय क्षेत्रों में वोटबैंक मजबूत हो ही रहा था कि उस पर मुलायम का 'बलात्कारी' बयान बम की तरह गिरा और सब कुछ छितर गया।
जी हां मुलायम ने जब मंच से कहा, "बलात्कार के लिये फांसी की सजा क्यों दें, बच्चे हैं गलती हो गई, गलती तो सभी से होती है, क्या सबको फांसी की सजा दे दी जाये...." मुलायम सिंह के लिये बलात्कार महज एक गलती थी, लेकिन महात्मा गांधी के लिये यह देश के लिये सबसे बड़ी समस्या। जल्द ही नीलाम होने वाले गांधी के पत्र में उन्होंने अपने ही बेटे के बारे में लिखा है, "मैं बहुत आहत हूं अपने बेटे की करतूतों से, मेरे लिये बलात्कार जैसी समस्या देश की आजादी से भी ज्यादा बड़ी है। मैं उससे भी ज्यादा आहत हूं, जिस प्रकार का व्यवहार मेरी पौत्री के साथ उसके पिता ने किया।"
अगर मुलायम ने महात्मा गांधी को पढ़ा होता, तो शायद आज उनकी पार्टी की हालत इतनी बुरी नहीं होती। मुलायम के इस बयान के बाद उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के तमाम लोगों को उनसे नफरत सी हो गई। यह नफरत ही है, जिस वजह से अखिलेश यादव का करियर खतरे में पड़ता दिखाई दे रहा है। सपा की हार के अन्य कारण तस्वीरों के साथ।
यूपी का विकास नहीं किया
2012 में चुनाव जीतने के बाद सपा सरकार ने उस स्तर पर विकास कार्य नहीं किये, जिसकी उम्मीद जनता को थी।
मुसलमानों के भगवान बने
पिछले कुछ महीनों से ऐसा लगने लगा था कि सिर्फ मुलायम सिंह यादव ही मुसलमानों के भगवान हैं।
यूपी में अपराध पर नियंत्रण नहीं लगा पाये
मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश में अपराध पर नियंत्रण नहीं कस पाये।
अपने समय के गुंडों को बनाया मंत्री
अखिलेश यादव ने अपनी सेना में उन गुंडों को भर्ती कर लिया, जो चुनाव नहीं जीत पाये थे, लेकिन फिर भी उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया, ये ऐसे लोग हैं, जो अपने समय के गुंडे रहे हैं।
नरेंद्र मोदी को अपशब्द
जिस वक्त यूपी में नमो की लहर चल रही थी, तब मुलायम ने उन्हें जमकर अपशब्द कहे, इसका असर उनके वोटबैंक पर पड़ा।
जनता के धन की बर्बादी
आजम खां समेत 20 से ज्यादा मंत्री विदेशी दौरे पर गये, यह कहकर कि विकास के मॉडल का अध्ययन करने जा रहे हैं, लौटने के बाद इम्प्लीमेंट करने के बारे में सब भूल गये, लेकिन जनता को याद रहा, क्योंकि उसमें उसका पैसा बर्बाद किया गया था।
लहर को समझ नहीं पाये
यूपी के लोग मुलायम का मुखौटा लगाये घूम रहे थे, जिसे देख मुलायम बेहद खुश थे, लेकिन उन्होंने उस आवाज को नहीं सुना जो मुखौटा लगाये लोग बोल रहे थे- नमो-नमो।