हार के बाद शिवपाल यादव को लेकर मुलायम ने अखिलेश को दी ये सलाह
लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद मुलायम सिंह ने अखिलेश को शिवपाल यादव को लेकर एक बड़ी सलाह दी है।
नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बीच हार के मंथन को लेकर बैठकों को दौर लगातार जारी है। 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद सपा को हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में इतनी बड़ी हार की आशंका नहीं थी। अब अखिलेश यादव की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव में मिली हार से हताश कार्यकर्ताओं को 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए फिर से पुराने उत्साह के साथ चुनाव प्रचार में उतारा जाए। वहीं, मुलायम सिंह यादव भी पार्टी में कुछ बड़े परिवर्तन करने के मूड में हैं। शनिवार को अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के बीच एक अहम बैठक हुई, जिसमें कुछ बड़ी बातें निकलकर सामने आईं।
हार के बाद सक्रिय हुए मुलायम
समाजवादी पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मुलायम सिंह यादव नाराज और साइडलाइन किए गए नेताओं को फिर से सपा में जोड़ना चाहते हैं। मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को सलाह दी है कि पार्टी में युवा टीम के साथ-साथ वरिष्ठ और पुराने नेताओं को भी बराबर जिम्मेदारी और सम्मान दिया जाए। मुलायम सिंह यादव ने कहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान टिकट वितरण और अन्य कारणों से जो लोग पार्टी से नाराज चल रहे हैं, उन्हें मनाकर फिर से सपा में लाने की कोशिश करें। मुलायम ने अखिलेश को समझाते हुए कहा है कि पार्टी को बाहरी लोगों से ज्यादा अंदर के लोगों की नाराजगी से नुकसान होता है। सूत्रों का यह भी कहना है कि मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी में अपने भाई शिवपाल यादव की भी वापसी चाहते हैं और उन्होंने अखिलेश से शिवपाल की वापसी को लेकर गंभीरता से विचार करने के लिए कहा है।
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शिवपाल के अलग लड़ने से कई सीटों पर नुकसान
आपको बता दें कि इस लोकसभा चुनाव में शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी 'प्रगतिशील समाजवादी पार्टी' के बैनर तले यूपी की लगभग सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए थे। सियासी जानकारों की मानें तो कन्नौज, बदायूं और फिरोजाबाद समेत कई सीटों पर समाजवादी पार्टी को शिवपाल यादव के अलग होने से नुकसान उठाना पड़ा है। इसी स्थिति को देखते हुए ही मुलायम ने अखिलेश से शिवपाल यादव की वापसी कराने की बात कही है। मुलायम ने अखिलेश को यह भी समझाया है कि वो सपा के ऊपर से 'केवल यादवों की पार्टी' का लेबल हटाने की कोशिश करें और इसके लिए पार्टी से जुड़े गैर-यादव नेताओं को तवज्जो दें। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में समाजवादी पार्टी में बड़े परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं।
अपने गढ़ भी नहीं बचा पाई सपा
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर सपा और बसपा के बीच महागठबंधन बनाया गया था, जिसमें आरएलडी को भी शामिल किया गया। महागठबंधन के तहत बसपा को 38, सपा को 37 और आरएलडी को 3 सीटें चुनाव लड़ने के लिए दी गईं। दो लोकसभा सीटों- अमेठी और रायबरेली पर महागठबंधन ने कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था। हालांकि तीन दलों के साथ होने के बावजूद लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को तगड़ा झटका लगा। समाजवादी पार्टी महज पांच सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई। मुलायम सिंह यादव के परिवार के तीन सदस्यों- डिंपल यादव, अक्षय यादव और धर्मेंद्र यादव को भी इस चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा है।
'भाजपा राज में समाजवादी कार्यकर्ताओं की हत्या'
वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि अखिलेश यादव चुनाव के बाद हुईं सपा कार्यकर्ताओं की हत्याओं के मुद्दे को जनता के बीच लेकर जाएंगे। राजेंद्र चौधरी के मुताबिक, 'अखिलेश यादव ने कहा है कि लोकसभा चुनावों के बाद से ही भाजपा राज में समाजवादी कार्यकर्ताओं की हत्याओं की कई घटनाएं सामने आई हैं। 24 मई 2019 की रात लगभग 9 बजे गाजीपुर के जिला पंचायत सदस्य विजय यादव उर्फ पप्पू यादव की हत्या कर दी गई। 31 मई 2019 को गौतमबुद्धनगर जनपद के दादरी विधानसभा अध्यक्ष रामटेक कटारिया की हत्या हो गई। ग्रेटर नोएडा में सूरजपुर कोतवाली क्षेत्र में 130 मीटर रोड पर पैरामाउट के पास सपा नेता बृजपाल राठी को भी गोली मारी गई। उत्तर प्रदेश में असुरक्षा के वातावरण के चलते जनता डरी और सहमी है। समाजवादी पार्टी इस मुद्दे पर चुप बैठने वाली नहीं है।
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