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जियो लांचिंग के 3 वर्ष बाद पहली बार एयरटेल-वोडाफोन के बुने जाल में फंस गए मुकेश अंबानी

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बेंगलुरू। ऐसा पहली बार है जब रिलांयस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के मालिक मुकेश अंबानी को भारत के शीर्ष टेलीकॉम कंपनी एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के हाथों के हाथ मात का सामना करना पड़ रहा है। पिछले 20 वर्षों से भारत में टेलीकॉम इंडस्ट्री में तीन शीर्ष टेलीकॉम कंपनियों का दबदबा कामय रहा। इनमें एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया का नाम प्रमुख हैं।

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दरअसल, टेलीकॉम रेगल्यूटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) को धता बताकर ग्राहकों से मनमाने दर टेलीकॉम सुविधाएं मुहैया कर रहीं एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया कंपनियों के मुनाफे रिलायंस जियो के मार्केट में आने के बाद तेजी से गिर गए थे। ग्राहक तेजी से एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया को छोड़ जियो की ओर मुड़ गए। मार्केट में सर्वाइव करने के लिए मजबूरन सभी शीर्षस्थ कंपनियों को रिलायंस जियो द्वारा दरों पर ग्राहकों को टेलीकॉम सुविधाएं मुहैया करानी पड़ी।

रिलायंस Jio ने लॉन्‍च किए तीन नए धमाकेदार प्‍लान, डेटा, कॉलिग...सबकुछ मिलेगा पहले से बहुत ज्‍यादारिलायंस Jio ने लॉन्‍च किए तीन नए धमाकेदार प्‍लान, डेटा, कॉलिग...सबकुछ मिलेगा पहले से बहुत ज्‍यादा

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गौरतलब है यह वह दौर था जब ग्राहकों से देश की तीनों शीर्षस्थ कंपनियां 1 जीबी 3जी डेटा के लिए 255 रुपए वसूलती थीं और वॉयस कॉल के लिए प्रति मिनट के लिए 1.5 रुपए से अधिक वसूल रही थीं। रिलायंस जियो अक्टूबर, 2016 में भारतीय टेलीकॉम क्षेत्र में दाखिल हुई और दाखिल होते ही पूरे मार्केट पर कब्जा जमा लिया।

रिलायंस जियो ने ग्राहकों को तीन महीने तक मुफ्त डेटा और अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग की सुविधा दी, जिसमें हर दिन एक से डेढ़ जीबी 4जी डेटा दी जा रहीं थी। ग्राहकोंन्मुखी रिलायंस जियो के प्लान से हर वर्ग से जुड़ा टेलीकॉम कंज्यूमर रिलायंस जियो की ओर शिफ्ट हो गया। क्योंकि ग्राहकों को अब 8 मिनट वॉयस कॉल के लिए महज 1 पैसा चुकाना पड़ रहा था।

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रिलायंस जियो की लांचिग का असर यह हुआ था कि दोनों हाथों से ग्राहकों को लूट रहीं शीर्षस्थ तीनों कंपनियों का दिवाला निकल गया। शहरी ग्राहकों के साथ ग्रामीण टेलीकॉम ग्राहक जियो की ओर रुख कर चुके थे। सस्ते डेटा और अनलिमिटेड कॉल की सुविधा से पूरा देश में सूचना की क्रांति का संजाल फैलता चला गया। रिलायंस जियों के मार्केट में आने से वर्तमान समय में डेटा टैरिफ 5 रुपए प्रति जीबी तक पहुंच चुका है। यही कारण था कि लगातार घाटे के दवाबों के बीच आइडिया कंपनी को वोडाफोन कंपनी में खुद को मर्जर करना पड़ा।

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रिलायंस जियो का ही करिश्मा थी महज एक वर्ष में रिलायंस जियो ने लांचिंग के महज 83 दिन में ही पांच करोड़ ग्राहकों के आंकड़ों को पार कर ऐतिहासिक रिकॉर्ड बना लिया। रिलायंस जियो के करिश्मा यही नहीं रूका। कंपनी ने गत 21 फरवरी 2017 को ही 10 करोड़ यूज़र्स का आंकड़ा पार कर लिया था।

लॉन्चिंग के बाद से हर मिनट औसतन 1000 ग्राहक अपने नेटवर्क से जोड़ती आ रही जियो रिलांयस ने अपने नेटवर्क से हर दिन करीब छह लाख नए ग्राहक जोड़े थे। यही वजह थी की कारोबार शुरू करने के केवल तीन साल के भीतर आज रिलायंस जियो देश की सबसे बड़ी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी बन गई है। रिलायंस जियो ने 33.13 करोड़ ग्राहकों के साथ वोडाफोन आइडिया को पछाड़ दिया है।

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रिलायंस जियो परचम भारत में इतनी तेजी से शीर्ष पर पहुंचा कि उसने 20 वर्षों से टेलीकॉम इंडस्ट्री में धाक जमा चुकी वोडाफोन -आइडिया कंपनी को धूल चटा दिया। वर्तमान समय में वोडाफोन-आइडिया के संयुक्त ग्राहकों की संख्या घटकर 32 करोड़ रह गई है जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा पिछले महीने जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक उसके ग्राहकों की संख्या जून 2019 में 33.13 करोड़ पार कर चुकी है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि रिलायंस जियो ने देश में अपनी 4जी सेवाओं की औपचारिक शुरुआत पांच सितंबर 2016 को की थी।

दिलचस्प बात यह है कि आईयूसी के नाम पर रिलायंस जियो को पहली बार पटखनी देने की कोशिश मे जुटी पुरानी शीर्षस्थ कंपनी एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया अब भी पुराने तरीकों से एमटीसी के नाम पर ग्रामीण टेलीकॉम ग्राहकों को चूना लगा रही हैं और हिडेन चार्ज के नाम पर उनसे मोटा पैसा कमा रही हैं। दोनों कंपनियां उन ग्रामीण टेलीकॉम ग्राहकों को आसानी से चूना लगा रही हैं जो आज भी सामान्य मोबाइल फोन्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। गौर करने पर पता चलेगा कि दोनों शीर्ष कंपनियों के वॉइस कॉल के दर अभी भी पुराने ढरें पर चल रही हैं।

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एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनियां ग्रामीण ग्राहकों से एमटीसी के नाम पर जबरन प्रति मिनट कॉल पर 35 पैसा वसूल रही हैं जबकि ट्राई ने एमटीसी 14 पैसे प्रति मिनट निर्धारित किया हुआ है। यही नहीं, उक्त कंपनियां ट्राई को कोई फैसला रोकने के लिए ग्रामीण इलाकों से अपने टावर्स हटाने की धमकी दे रहे हैं ताकि एमटीसी के नाम पर उनके द्वारा वसूले जा रहे पैसे में कोई रूकावट न आने पाए।

यही कारण है कि शीर्ष कंपनियों ने वर्ष 2011 में ट्राई के तत्कालीन प्रमुख जेएस सरमा के टीएमसी शून्य करने के प्रस्ताव पर निर्णय नहीं लिया और पिछले 8 वर्षों से खासकर उन ग्रामीण ग्राहकों से हिडेन कॉस्ट के रूप में जबरन पैसे वसूल रही हैं, जो आज भी 4जी नेटवर्क पर शिफ्ट नहीं हुए हैं।

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सरकार ने हाल ही में सरकार ने एमटीसी पर फैसला करने किए एक अंतर-मंत्रालयी समूह (Inter-ministrial group) का गठन किया है, जो टेलीकॉम कंपनियों के मनमाने वसूली पर निगरानी करेगी। अंतर-मंत्रालयी समूह जल्द अपना रिपोर्ट पेश कर सकती है और एमटीसी को शून्य करने के फैसले को लागू करने के बारे में सरकार को ग्रीन सिग्नल दे सकती है।

लेकिन ट्राई द्वारा आईयूसी को जनवरी, 2020 तक समाप्‍त नहीं करने के फैसला न केवल प्रतिस्पर्धी टेलीकॉम इंडस्ट्री के ग्रोथ के लिए घातक है बल्कि यह टेलीकॉम ग्राहकों के भी खिलाफ है। ट्राई का यह एयरटेल व वोडाफोन-आइडिया जैसे पुराने ऑपरेटर्स को लाभ पहुंचाने वाला है। ट्राई के फैसले पर रिलायंस जियो ने कहा कि आईयूसी कुशल व नई टेक्‍नोलॉजी का उपयोग करने वाले ऑपरेटर को दंडित कर रहा है और उपभोक्‍ताओं के हितों को नुकसान पहुंचा रहा है।

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ट्राई द्वारा इंटरकनेक्‍शन उपयोग शुल्‍क को जनवरी 2020 के बाद भी जारी रखने के फैसले ने रिलायंस जियो को निराश किया है, जो एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया की मनमानी के चलते अपने ग्राहकों से 6 पैसे प्रति मिनट के दर से अतिरिक्त पैसा वसूल रही हैं। रिलांयस इंफोटेक के सर्वेसर्वा मुकेश अंबानी को उम्मीद थी कि आईयूसी के जनवरी, 2020 में समाप्‍त हो जाएगा, लेकिन अब यह दूर की कौड़ी हो गई है।

रिलायंस जियो गत 10 अक्टूबर से ट्राई के नियमानुसार मजबूरी में अपने उपभोक्‍ताओं से अन्‍य नेटवर्क पर किए जाने वाले वॉयस कॉल के लिए 6 पैसे प्रति मिनट अतिरिक्त शुल्‍क लेने की घोषणा की थी। हालांकि रिलायंस जियो हर 10 रुपए आईयूसी के रिचार्ज पर 1 जीबी अतिरिक्त डेटा दे रही है ताकि उसके उपभोक्ता उसके साथ बने रहें।

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रिलायंस जियो ने ट्राई को लिखे 14 पन्‍नों के खत में कहा है कि आईयूसी की समीक्षा करने का ट्राई का प्रस्‍ताव प्रतिगामी है। इस संबंध में ट्राई द्वारा जारी परिचर्चा पत्र न तो स्‍वस्‍थ है और न ही इसकी कोई जरूरत थी। इससे उपभोक्‍ताओं और कुशलता के साथ काम करने वाली कंपनियों को नुकसान होगा और इसका फायदा अकुशल कंपनियों को मिलेगा। ट्राई) के नियमानुसार अभी दूरसंचार कंपनियों को अपने नेटवर्क से बाहर जाने वाली कॉल के दूसरे नेटवर्क पर जुड़ने के लिए एक शुल्‍क देना होता है। इसे इंटरकनेक्‍ट उपयोग शुल्‍क कहते हैं। वर्तमान में इसकी दर 6 पैसे प्रति मिनट है।

रिलायंस जियो को दोनो शीर्षस्थ कंपनियों द्वारा फैलाए जा रहे अफवाहों से जूझना पड़ रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि जियो कंपनी 6 पैसे प्रति मिनट की दर से चार्ज वसूल रही है। कंपनी ने अफवाहों को पूरी तरह से गलत बताया है। इसके लिए कंपनी ने कई ट्वीट भी किए हैं। फैलाए जा रहे अफवाहों में कहा जा रहा था कि जब भी Jio यूजर्स किसी अन्य ऑपरेटर के नंबर पर कॉल करेंगे तो उन्हें 6 पैसे प्रति मिनट की दर से चार्ज देना होगा।

कंपनी ने इस पर सफाई देते हुए एक साथ कई ट्वीट भी किए हैं। ट्वीट्स में कंपनी ने सफाई पेश करते हुए कहा है कि Jio किसी भी तरह का चार्ज यूजर्स से नहीं मांग रही है, यह वो कंपनियां मांग रही हैं, जिन नेटवर्क पर जियो ग्राहक कॉल रह हैं। जियो का इशारा एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया की तरफ था।

यह भी पढ़ें- दूसरे नेटवर्क पर कॉलिंग के लिए जियो को इसलिए वसूलने पड़ रहे हैं अतिरिक्त शुल्क!

Comments
English summary
Reliance industries limited chairmen Mukesh Ambani first time trapped in the woven web of Airtel-Vodafone after 3 year of Jio launching. TRAI postponed implementation of IUC zero plan.Mukesh ambani scared to lose jio consumer due to ICU 6 paise charge on other network.
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