गरीबी पर भारत की 'सर्जिकल स्ट्राइक', 10 साल में 27.1 करोड़ लोगों जीवन में हुआ सुधार
नई दिल्ली। भारत ने गरीबी दूर करने के मामले में दुनिया के विकासशील देशों के बीच बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) मूल्य में सबसे तेजी से कमी दर्ज की है। इन दस देशों की संयुक्त आबादी दो अरब के करीब है। इसके अलावा इन देशों में भारत का झारखंड राज्य गरीबी में सुधार करने के मामले में नंबर वन पर है। वैश्विक एमपीआई 2019 की ओर से गुरुवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2005-06 और 2015-16 के बीच भारत ने गरीबी से 271 मिलियन ( 27.1 करोड़) लोगों को बाहर निकाला है।
10 मानकों के विश्लेषण के बाद तैयार होती है रिपोर्ट
इन लोगों के जीवन में संपत्ति, खाना पकाने के ईंधन और पोषण में पहले की तुलना में काफी सुधार देखने को मिला है। ग्लोबल एमपीआई इंडेक्स दुनिया के 101 देशों की रिपोर्ट जारी करती है जो हेल्थ, शिक्षा और जीवन-स्तर के सूचकांकों को मद्देनजर रखते हुए तैयार की जाती है। ऑक्सफ़ोर्ड पावर्टी और ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव(ओपीएचआई) और संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनडीपी 10 मानकों का विश्लेषण कर इस रिपोर्ट को सामूहिक रूप से जारी करती है।
बाकी देशों की तुलना में भारत ने बेहतर काम किया
रिपोर्ट में कहा गया है कि शामिल देशों में भारत ने प्रो-पुआर नीतियों के जरिए बाकी देशों की तुलना में बेहतर सुधार किया है। सबसे गरीब क्षेत्रों ने इस मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। 2005-06 में झारखंड का एमपीआई इंडेक्स 74.9 था जो 2015-16 में घट कर 46.5 रह गया है। एमपीआई इंडेक्स के मुताबिक मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड ये चार राज्य ऐसे हैं जो सबसे ज्यादा गरीबी का सामना कर रहे हैं। एमपीआई के इस डेटा को तैयार करने के लिए नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे के डेटा का सहारा लिया गया है।
देश में आधी रह गई है गरीबी
इन 10 सालों में भारत में गरीबी लगभग आधी हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक जहां पहले देश में गरीबी 55.1 प्रतिशत थी, जो कि अब 27.9 प्रतिशत मतलब लगभग आधी रह गई है। यूएनडीपी के अधिकारी ने कहा कि परंपरागत रूप से वंचित उपसमूहों जैसे ग्रामीण भारत में रहने वाले मुस्लिम, अनुसूचित जाति और जनजाति सबसे गरीब है। यूएनडीपी इंडिया के रेजिडेंट रिप्रेजेंटेटिव शोको नोडा ने कहा कि एमपीआई के मु्ताबिक भारत ने गरीबी को कम करने के लिए बड़ी सफलता हासिल की है।
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