दुश्मन के टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों को चुटकियों में उड़ा देगा यह मिसाइल
बेंगलुरू। भारत निर्मित स्वदेशी एंटी टैंक मिसाइल को आंध्र प्रदेश के कुर्नूल में सफलतापूर्वक परीक्षण के बाद अब भारत 100 फीसदी स्वदेशी तकनीक से निर्मित मिसाइल से दुश्मनों के दांत खट्टे करेगा। एंटी टैंक मिसाइल का परीक्षण फायरिंग रेंज में मैन पोर्टेबल ट्राइपाड लांचर के जरिए किया गया।
हालांकि Man Portable Antitank Guided Missile (एमपीए-टीजीएम) का तीसरी बारा सफल परीक्षण था। डीआरडीओ द्वारा निर्मित यह मिसाइल सेना की इन्फैंट्री बटालियन के लिए विकसित किया गया है। इन्फैंट्री बटालियन युद्ध के दौरान सइसका इस्तेमाल दुश्मन की टैंकों एवं अन्य बख्तरबंद वाहनों को तबाह करने के लिए करेगी।
Defence Research and Development Organisation (डीआरडीओ चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी ने एंटी टैंक मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद जारी किए गए बयान के मुताबिक एंटी टैंक मिसाइल परियोजना के लिए सबसे बड़ी सफलता है, क्योंकि एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल के मामले में अब जाकर भारत आत्मनिर्भर हुआ है। बुधवार, 10 सितंबर को एंटी टैंक मिसाइल का परीक्षण मैन-पोर्टेबल ट्राइपाड लांचर से दागकर किया गया, जिसने टारगेटेड लक्ष्य को तबाह करने में सफलता हासिल की।
मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को बधाई देते हुए कहा कि थल सेना के लिए थर्ड जेनेरेशन मैन पोर्टेबल एन्टी टैंक मिसाइल से खुद को लैस करने का मौका मिल गया है, जिसकी उसे लंबे समय से दरकार थी। हालांकि MPATGM का परीक्षण उस समय सामने आया है, जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ा हुआ है।
हाल ही में भारतीय सेना ने राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में तीसरी पीढ़ी के एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल 'नाग' का सफल परीक्षण किया था. नाग मिसाइल को भी डीआरडीओ ने विकसित किया है. अब तीसरी पीढ़ी के गाइडेड एंटी-टैंक मिसाइल नाग को बनाने का काम इस साल के आखिर में शुरू हो जाएगा. अब तक इसका ट्रायल चल रहा था।
इससे पहले डीआरडीओ ने वायुसेना को हवाई खतरे की चेतावनी देने वाला विमान नेत्र सौंपा है। स्वदेश निर्मित विमान पश्चिमी कमान के प्रमुख एयर मार्शल रघुनाथ नांबियार को पंजाब के बठिंडा वायुसैनिक अड्डे में सौंपे गए नेत्र विमान की मदद से ही सेना ने फरवरी में बालाकोट हमले में योजना में सफलता हासिल की थी।
उल्लेखनीय है डीआरडीओ द्वारा निर्मित नेत्र विमान ने बालकोट हमले में प्रमुख भूमिका निभाई थी और भारतीय सेना पीओके में मौजूद आंतकी कैंपों को तबाह करने में सफलता हासिल करने में कामयाब हुई थी।
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उन्नत सुविधाओ से लैस है एंटी टैंक मिसाइल
स्वदेशी रूप से विकसित मिसाइल कई उन्नत सुविधाओं से लैस है। इसमे अल्ट्रा-आधुनिक इमेजिंग इन्फ्रारेड रडार शामिल है। मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है, जो एक उच्च विस्फोटक के साथ भरी हुई है। इस मिसाइल की अधिकतम मारक क्षमता लगभग 2.5 किलोमीटर है। संभावना जताई जा रही है कि इन मिसाइलों का 2021 से बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू होगा।
अचूक है एंटी टैंक मिसाइल का निशाना
डीआरडीओ निर्मित मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का निशाना अचूक है और दुश्मन के टैंक का पीछा करते हुए उसे तबाह कर सकती है। यह मिसाइल वजन में इतना हल्का है कि इसे कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है और इसकी खासियत है कि यह दिन और रात दोनों समय में दुश्मन को तबाह करने का माद्दा रखता है।
स्वदेशी निर्मित है एंटी टैंक का मिसाइल नाग
डीआरडीओ इससे पहले डीआरडीओ ने हाल ही में नाग एंटी टैंक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। इस मिसाइल का परीक्षण पोखरण रेंज में किया गया और दिन रात के समय हमला करने की नाग मिसाइल की क्षमता को परखा गया। जमीन से दागी जाने वाली नाग मिसाइल की मारक क्षमता 500 मीटर से 4 किलोमीटर तक होती है जबकि हवा से लॉन्च की जाने वाली नाग मिसाइल 7-10 किलोमीटर दूर मौजूद लक्ष्य को तबाह कर सकती है।
स्वदेशी निर्मित सब सोनिक क्रूज मिसाइल निर्भय
ओडिशा के तटीय इलाके में 1000 किलोमीटर तक मार करने वाली स्वदेशी सब सोनिक क्रूज मिसाइल निर्भय का अभी अभी अप्रैल माह में सफल परीक्षण किया गया था। हालांकि निर्भय मिसाइल के कई सफल परीक्षणों का आयोजन पहले भी किया जा चुका है। इस मिसाइल को डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है। यह मिसाइल क्षमता में अमेरिका के प्रसिद्ध टॉमहॉक मिसाइल के बराबर है। निर्भय मिसाइल 300 किलोग्राम तक के परमाणु वारहेड को अपने साथ ले जा सकती है।