माधवराव सिंधिया को लेकर कांग्रेस का सियासी असमंजस, पुण्यतिथि को लेकर मुश्किल में कांग्रेसी
भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस इस समय एक सियासी दुविधा में है। खास तौर पर ये मुश्किल ग्वालियर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सामने तो और ज्यादा है। बात ये है कि पार्टी के कद्दावर नेता रहे माधवराव सिंधिया (Madhavrao Scindia) की 30 सितम्बर को 19वीं पुण्यतिथि है। हर बार पार्टी इस दिवंगत नेता को जोर-शोर से याद करती रही है लेकिन इस बार सियासी हालात थोड़े पेचीदा हैं।
कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे माधव राव सिंधिया
कांग्रेस के दिग्गज नेता माधवराव सिंधिया का 2001 में उत्तर प्रदेश में एक विमान हादसे में निधन हो गया था। वैसे तो माधवराव सिंधिया ने राजनीति की शुरुआत जनसंघ से की थी। 1971 में पहला चुनाव जनसंघ के टिकट पर लड़े और संसद पहुंचे। लेकिन बाद में वे जनसंघ से अलग होकर कांग्रेस में शामिल हो गए और अंत तक कांग्रेस में ही रहे। माधवराव के निधन के बाद उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) भी कांग्रेस में शामिल हुए और पार्टी के टिकट पर संसद पहुंचे। केंद्र में मंत्री रहे। राजीव गांधी के करीबी नेताओं में उनकी गिनती होती रही। यही वजह है कि अब तक कांग्रेस कार्यकर्ता माधवराव सिंधिया की पुण्यतिथि पर प्रभात फेरी निकालकर उन्हें याद करते रहे हैं।
कांग्रेस को चुभते हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया
इस बार पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए परिस्थितियां थोड़ी मुश्किल हैं। 18 सालों तक पार्टी में रहने के बाद इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का साथ पकड़ लिया। सिर्फ कांग्रेस ही नहीं छोड़ी बल्कि अपने साथ बड़ी संख्या में विधायकों को लेकर चले गए जिसके चलते कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिर गई। यही वजह है कि प्रदेश में इस समय 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। इन उपचुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस पार्टी के दूसरे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को निशाने पर लेते रहते हैं। कांग्रेस सरकार जाने के लिए ज्योतिरादित्य को ही जिम्मेदार मानती है।
कार्यक्रम को लेकर दुविधा में कांग्रेस
जाहिर है कि हर बार की तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया पिता की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि भाजपा इस कार्यक्रम में कैसे शामिल होगी ? लेकिन उससे भी बड़ा सवाल कांग्रेस के सामने है कि वह अपने नेता को कैसे श्रद्धांजलि देगी। कांग्रेस की दुविधा ये है कि अगर वे कार्यक्रम नहीं आयोजित करती है तो उस पर अपने ही नेता के असम्मान करने का आरोप लगेगा। वहीं पार्टी कार्यक्रम आयोजित करती है तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही इससे ताकत मिलेगी।
सिंधिया के प्रभाव वाले क्षेत्र में उपचुनाव से उहापोह में कांग्रेस
पार्टी के सामने एक और विकट स्थिति यह है कि जिन 28 सीटों पर राज्य में उपचुनाव होने हैं उनमें 16 सीटों ग्वालियर-चंबल संभाग में है जहां सिंधिया का प्रभाव माना जाता है। सिंधिया का प्रभाव क्षेत्र होने के चलते पार्टी इस क्षेत्र में कार्यकर्ताओं की कमी के साथ ही भरोसे के संकट से भी जूझ रही है। यही वजह है कि पार्टी ने सिंधिया नाम की काट ढूढ़ने के लिए कांग्रेस की महासचिव और गांधी परिवार को चेहरा प्रियंका गांधी का रोड शो का प्रस्तावित कार्यक्रम तैयार किया है। ऐसे सियासी मौके पर माधव राव सिंधिया की पुण्यतिथि का कार्यक्रम कांग्रेस के सामने बड़ी असमंजस की स्थिति लेकर आया है। ऐसे में माना जा रहा है कि हो सकता है कांग्रेस पार्टी कार्यालय में ही माधवराव सिंधिया की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम कर इतिश्री कर ले।
झांसी की दुश्मनी के बहाने सिंधिया पर वार
यहां ये ध्यान देने की बात है कि शायद भाजपा को माधवराव सिंधिया की पुण्यतिथि कार्यक्रम में शामिल होने से ऐतराज न हो। इसके संकेत पिछले महीने हुए भाजपा के महासदस्यता अभियान से मिले थे जहां मंच पर माधव राव सिंधिया की तस्वीर भाजपा के विचार पुरुष दीन दयाल उपाध्याय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और राजमाता विजयाराजे सिंधिया के समकक्ष रखी गई थी।
वहीं ज्योतिरादित्य के भाजपा में जाने के बाद अब कांग्रेस नेता सिंधिया राजवंश को निशाने पर ले रहे हैं। पिछले महीने ही कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंचे थे। इसी तरह पिछले दिनों कमलनाथ ने अपने रोड शो का समापन लक्ष्मीबाई की समाधि पर श्रद्धांजलि देकर किया था। जाहिर है कांग्रेस झांसी राजघराने और सिंधिया घराने के विरोध को भी भुनाने की कोशिश कर रही है। ऐसे में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सामने आयोजन को लेकर असमंजस बना हुआ है।