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मोटर व्‍हीकल एक्ट : क्या जुर्माना कम करेगी सरकार ?

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बेंगलुरु। केन्‍द्र सरकार द्वारा 1 सिंतबर से लागू किए गए मोटर व्‍हीकल एक्ट 2019 के खिलाफ विरोध बढ़ता ही जा रहा हैं। यह नया एक्ट केन्‍द्र की भाजपा सरकार के लिए परेशानी बढ़ाने वाला साबित हो रहा है। पहले ही देश के राज्य यहां तक कि बीजेपी शासित राज्य सरकारें इस फैसले के पक्ष में नहीं थी और अब गुरुवार को दिल्ली और एनसीआर में यूनाइटेड फ्रंट ऑफ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की केन्‍द्र और राज्य सरकार के खिलाफ हड़ताल कर चक्का जाम कर दिया है। अगर केन्‍द्र सरकार जल्‍द ही इसमें बदलाव नहीं करती हैं तो दिल्ली से शुरु हुई हड़ताल दूसरे राज्यों में बड़े आंदोलन का रुप ले सकती हैं। माना जा रहा हैं कि जल्‍द ही केन्‍द्र सरकार भारी जुर्माना कम कर सकती हैं।

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गौरतलब हैं कि नए मोटर व्‍हीकल एक्ट का देश के अलग अलग राज्यों में भी विरोध हो रहा है। राज्य सरकारें भी इसे पूरी तरह से लागू करने से हिचक रही हैं। यहीं नहीं कर्नाटक, महाराष्‍ट्र, गुजरात समेत अन्‍य राज्यों की सरकारें परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के इस फैसले की खिलाफ हैं। सूत्रों के अनुसार केन्‍द्र सरकार जुर्माने की राशि पर पुर्नविचार करने के लिए बैठक भी कर रही है।

अभी देश के चार राज्य हरियाणा, महाराष्‍ट्र , झारखंड और दिल्ली के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस एक्ट के लागू होने के बाद से केन्‍द्र में बैठी भाजपा सरकार की खिलाफत शुरु हो गई है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि सरकार इस एक्ट के चलते अपने वोटरों को नाराज नही करना चाहेगी । इसलिए जल्‍द ही केन्‍द्र सरकार इसमें संसोधन कर सकती हैं।

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बता दें कि मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद ट्रैफिक नियमों को तोड़ने पर लगने वाली चालान राशि कई गुना बढ़ गई है। मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव से यातायात नियम तोड़ने पर बढ़ी जुर्माना राशि के विरोध में गुरुवार को दिल्ली और एनसीआर में यूनाइटेड फ्रंट ऑफ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन से संबद्ध 41 ट्रांसपोर्ट यूनियन ने हड़ताल की । जिसमें सभी व्यावसायिक वाहन चालकों ने चक्का जाम कर विरोध किया। दिल्ली और एनसीआर की सड़कों से ऑटो, टैक्‍सी नदारत होने से आम लोगों को बहुत परेशानी उठानी पड़ी। पहली बार इतनी बड़ी संख्या में 41 से अधिक संगठन एक मंच पर आकर हड़ताल कर रहे है। दिल्ली में 90 हजार ऑटो और पौने तीन लाख टैक्सी चलती है।

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यूएफटीए के बैनर तले केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ इस हड़ताल में शामिल 41 से अधिक संगठन का चक्का जाम, बढ़ी जुर्माना राशि के अलावा बीमा कंपनियों द्वारा दुर्घटना मुआवजे के लिए तीसरे पक्ष के दायित्व को तय करना, वाहन चालकों के परिवार वालों को बीमा सुरक्षा मुहैया कराने, नगर निगम द्वारा टोल टैक्स लेने सहित कई दूसरे मुद्दे को लेकर है। माना जा रहा है कि अगर सरकार इनकी यह मांगे जल्‍द पूरी नहीं करती हैं तो इन संगठनों से जुड़े संगठन दूसरे प्रदेशों में भी यह आंदोलन शुरु करने की तैयारी कर चुके हैं।

बता दें 1 सिंतबर से लागू इस नियम के कारण लग रहे जुर्मानें की राशि वाहनचालकों की जेब पर बहुत भारी पड़ रही हैं। इसमें संदेह नहीं कि यह नियम लोगों की जान सुरक्षित करने के लिए बनाए गए हैं लेकिन जुर्माना कई गुना बढ़ा देना लोगों को न्‍यायपूर्ण नहीं लग रहा है। इस एक्ट में ट्रैफिक संबंधी अनेकों नए नियम लागू कर दिए हैं, जिसकी दो जून रोटी की जुगाड़ में लगे आम इंसान को भनक भी नहीं थी। जिस कारण पकड़े जाने पर उन्‍हें अपनी मेहनत कमाई जुर्मानें के रुप में चुकानी पड़ रही हैं।

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गौर करने वाली बात ये हैं कि केन्‍द्र सरकार के इस फैसले पर गैर बीजेपी वाली राज्य सरकार के अलावा वह बीजेपी शासित राज्य सरकारें इस पर सहमत नहीं हैं। सबसे पहले यह विरोध गुजरात की बीजेपी सरकार ने किया। गुजरात सरकार ने सड़क पर नियम का उल्लंघन करने वालों को भारी भरकम चालान में कुछ रियायत कर दी। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने पिछले दिनों नए मोटर व्हीकल एक्ट के जुर्माने की राशि को 50 फीसद तक कम करने की घोषणा की थी।

हेलमेन न लगाने पर एक हजार रूपये का जुर्माना है, इसे घटाकर गुजरात में पांच सौ रूपये कर दिया गया है। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि सीट बेल्ट न लगाने पर नए मोटर व्हीकल एक्ट में एक हजार रूपये का चालान है लेकिन गुजरात में इसे कम कर पांच सौ रूपये कर दिया । इसके बाद उत्तराखंड ने भी इस मुद्दे पर कैबिनेट बैठक कर कुछ वर्ग में जुर्माने की राशि घटा दी। वहीं महाराष्ट्र सरकार ने नया मोटर व्हीकल एक्ट राज्य से खत्म कर दिया। साथ ही महाराष्ट्र ने केंद्र सरकार को पत्र लिख नए अधिनियम के जुर्मानों पर विचार करने को कहा है।

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जिन छह राज्यों ने अभी नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू नहीं किया है, उनका तर्क है कि इसमें जुर्माने की राशि बहुत ज्यादा है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड व छत्तीसगढ़ समेत ये सभी राज्य कह चुके हैं कि वह अन्य राज्यों में नए मोटर व्हीकल एक्ट के प्रभावों का अध्ययन करने के बाद ही इस कानून को अपने यहां लागू करेंगे। ऐसे में बहुत संभव है कि ये राज्य भी गुजरात की तर्ज पर कम जुर्माने के साथ अपने यहां नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू कर सकते हैं। मालूम हो कि तमाम राजनीतिक दल नए मोटर व्हीकल एक्ट के भारी जुर्माने पर लगातार आपत्ति जता रहे हैं। अगर इन नौ राज्यों ने अपने यहां जुर्माने की राशि घटाई तो अन्य राज्यों पर भी जुर्माने की राशि घटाने का दबाव बढ़ जाएगा।

केरल ने भी घटाया जुर्माना

केरल सरकार ने भी जुर्माना घटाने को लेकर अध्ययन कर रही हैं। अन्‍य राज्यों में लोगों के गुस्से को देखते हुए राज्य सरकार ने पुलिस को निर्देश दिया है कि वह बड़े चालान न काटे। उधर, दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए राज्य की भाजपा इकाई ने भी केंद्र सरकार से जुर्माना घटाने का अनुरोध किया है।

इन नौ राज्यों ने लागू नहीं किया नया एमवी एक्ट

छह राज्यों ने एक सितंबर से देश भर में लागू किए गए संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट को अपने यहां लागू नहीं किया है। इसके पीछे इन राज्यों के अपने तर्क है। सबसे सामान्य तर्क, नए मोटर व्हीकल एक्ट के भारी जुर्माने का विरोध है। मतलब इन छह राज्यों के वाहन चालकों से यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर अब भी पुराना जुर्माना ही वसूला जा रहा है। ये छह राज्य हैं, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, पंजाब और हिमाचल प्रदेश। इसके अलावा तीन केंद्र शासित राज्यों जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और दिल्ली में नए मोटर व्हीकल एक्ट को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है।

चर्चा में रहे ये भारी चालान

भारी जुर्माने के साथ अन्य राज्यों में लागू मोटर व्हीकल एक्ट की कई चौंकाने वाली खबरें लगातार सामने आ रहीं हैं। पहली खबर गुड़गांव में एक स्कूटी सवार का 23 हजार रुपये का चालान कटने की आई। इसके बाद दिल्ली में बाइक का 25000 रुपये का चालान कटने पर युवक ने उसे वहीं आग लगा दी थी। इसके अलावा एनसीआर में बाइक का 24000 व 35000 रुपये, रेवाड़ी में ट्रक 1,16,000 रुपये, गुड़गांव में ट्रैक्टर का 59000 और दिल्ली में ट्रक वाले का 1,41,000 रुपये के चालान की खबरों ने वाहन चालकों को दहशत में डाल दिया है।

इसे भी पढ़े-मोटर व्हीकल एक्ट: अन्‍य राज्यों ने भी उठाया ये कदम तो खत्म हो जाएगी पुलिस की गुंडागर्दी!

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English summary
Protests against the Motor Vehicles Act 2019 are increasing.modi government Can Give Relief from Heavy Fines
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