अनोखी है ये कहानी! बचपन में स्टेशन पर छोड़ गए थे मां-बाप, अब अनाथ बच्चों ने रचाई शादी
कहते हैं कि जोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं। इस कहावत को मुंबई में हुई एक शादी ने साबित भी कर दिया है। मुंबई में 4 नवंबर को उन दो अनाथ लोगों ने निकाह कबूला, जिन्हें कभी उनके मां-बाप रेलवे स्टेशन पर छोड़ गए थे।
मुंबई। कहते हैं कि जोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं, यहां तो बस मिलने का काम होता है। इस कहावत को मुंबई में हुई एक शादी ने साबित भी कर दिया है। मुंबई में 4 नवंबर को उन दो अनाथ लोगों ने निकाह कबूला, जिन्हें कभी उनके मां-बाप रेलवे स्टेशन पर छोड़ गए थे। सालों बाद जिंदगी में अपना-अपना मुकाम हासिल कर चुके नाइमा नियाज शेख और अब्दुल राशिद शेख ने 4 नवंबर को एक-दूसरे को जिंदगीभर के लिए अपना जीवनसाथी चुना।
बचपन में स्टेशन पर छोड़ गए थे मां-बाप
मुंबई मिरर की खबर के अनुसार अब्दुल को 23 साल पहले उनके माता-पिता पुणे रेलवे स्टेशन पर छोड़कर चले गए थे। वहीं नाइमा जब केवल तीन साल की थीं, तब उनके माता-पिता भी उन्हें और उनकी बहन को स्टेशन पर छोड़कर चले गए थे। 6 साल रिमांड होम में बिताने के बाद अब्दुल को उल्हास नगर में बेसहारा बच्चों के लिए बने घर में भेज दिया गया, जहां उन्होंने 10वीं तक पढ़ाई की। एसएससी परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने ठाणे के बेडकर कॉलेज में पढ़ाई शुरू की। वहां उनकी मुलाकात प्रिंसिपल सुचित्रा नायक से हुई।
डीएम ने सरकारी अस्पताल में कराई पत्नी की डिलीवरी, पीछे है बड़ा कारण
सुचित्रा नायक में अब्दुल को मिली मां
अब्दुल ने जब पढ़ाई से हटने के बारे में बताया तो सुचित्रा काफी दुखी हो गईं। वो ऐसे होनहार छात्र को दुनिया में गुम होते नहीं देखना चाहती थीं। उन्होंने अपने पति आशीष नायक से बात की और दोनों अब्दुल को अपने घर ले आए। उनके अपने दो बच्चे थे जिन्हें अब्दुल के साथ घुलने-मिलने में पहले परेशानी हुई, लेकिन फिर सब ठीक हो गया। नायक ने कहा कि अब्दुल का दूसरे धर्म से होना उनके लिए कभी परेशानी नहीं बना। जहां एक तरफ अब्दुल की ये कहानी थी, तो वहीं दूसरी ओर नाइमा थीं, जिन्हें 3 साल की उम्र में मा-बाप स्टेशन पर छोड़कर चले गए थे।
इस तरह हुई अब्दुल और नाइमा की पहली मुलाकात
नाइमा और उनकी बहन को स्टेशन से रेस्कयू करने के बाद बाल गृह भेज दिया गया था। वहां से पढ़ाई के लिए वो अंजुमन-ए-इस्लाम आईं। नाइमा लोखंडवाला के कूकाबुर्रा लर्निंग सेंटर में असिस्टेंट टीचर हैं। अब्दुल और नाइमा की मुलाकात कुछ इस तरह हुई कि कॉलेज से इतिहास में बीए करने के बाद अब्दुल यूपीएससी की पढ़ाई करने लगे। जब उनकी जनरल पोस्ट ऑफिस पोस्टल सॉर्टिंग डिपार्टमेंट में नौकरी लग गई, तो परिवार ने शादी के लिए लड़की देखना शुरू किया। अब्दुल अपने धर्म में ही शादी करें, इसलिए परिवार अंजुमन-ए-इस्लाम के एडी बावला बालिका अनाथालय गया।
फ्लाइट में रोई पैसेंजर की बच्ची तो अटेंडेंट ने सब काम छोड़ कराया स्तनपान, हर कोई कर रहा तारीफ
अपने आप में एक मिसाल है ये कहानी
यहां उनकी नाइमा से हुई। अंजुमन-ए-इस्लाम के अध्यक्ष डॉ. जहीर काजी मे कहा, 'जब अब्दुल का रिश्ता नाइमा के लिए आया, हमने देखा कि वो इसी समुदाय से है और उसके पास नौकरी भी है। हमने जाना कि नायक ने उसकी कैसे परवरिश की है और हम काफी खुश थे।' अब्दुल और नाइमा का निकाह 4 नवंबर को किया गया, जहां अंजुमन-ए-इस्लाम ने उनके लिए एक रिसेप्शन रखा। इसके बाद नायक ने दूल्हा-दुल्हन के लिए रविवार को एक और खास रिसेप्शन रखा।