पीरियड्स में 62 प्रतिशत महिलाएं आज भी करती हैं कपड़े का इस्तेमाल, सर्वे में हुआ खुलासा
देश में इस वक्त मेंस्ट्रुएशन और सैनिटरी नैपकीन्स को लेकर बड़ी बहस चल रही है। इसी बीच नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की रिपोर्ट आई है जिसके आंकड़े चौंकाने वाले हैं। देश में आज भी 62 प्रतिशत लड़कियां और महिलाएं पीरियड्स के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करती हैं।
नई दिल्ली। देश में इस वक्त मेंस्ट्रुएशन और सैनिटरी नैपकीन्स को लेकर बड़ी बहस चल रही है। इसी बीच नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की रिपोर्ट आई है जिसके आंकड़े चौंकाने वाले हैं। देश में आज भी 62 प्रतिशत लड़कियां और महिलाएं पीरियड्स के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। इस सर्वे में 15 से 24 आयु वर्ग की महिलाओं को शामिल किया गया था। कई राज्यों में तो 80 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं पीरियड्स के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करती हैं।
बिहार में सबसे ज्यादा महिलाएं करती हैं कपड़े का इस्तेमाल
2015-16 सर्वे में खुलासा हुआ कि देश में महिलाएं आज भी पीरियड्स के लिए कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। बिहार में 82 प्रतिशत महिलाएं जहां कपड़े का इस्तेमाल करती हैं, वहीं उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं। इन दोनों प्रदेशों में 81 प्रतिशत महिलाएं कपड़ा इस्तेमाल करती हैं। सर्वे ने पाया कि 42 प्रतिशत महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं। वहीं 16 प्रतिशत महिलाएं लोकल तौर पर बनाए गए नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं।
महिलाओं का शिक्षित और अमीर होना भी एक बड़ा कारण
ग्रामीण भारत में केवल 48 प्रतिशत महिलाएं सैनिटरी नैपकीन का इस्तेमाल करती हैं। इस मामले में शहरी क्षेत्र की महिलाएं हाईजीन का खयाल रखते हुए पीरियड्स के दौरान सैनिटरी नैपकिन यूज करती हैं। सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करने वाली शहरी महिलाओं का प्रतिशत 78 प्रतिशत है। सर्वे का कहना है कि इसमें महिलाओं का शिक्षित और अमीर होना भी एक बड़ा कारण है। शिक्षित महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं और हाईजीन का खयाल रखती हैं।
पीरियड्स में कपड़े से होते हैं कई इंफेक्शन
मिजोरम, तमिल नाडु, गोवा, केरल और सिक्किम राज्यों में महिलाएं पीरियड्स के दौरान साफ-सफाई का खास ध्यान रखती हैं। वहीं महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में महिलाएं इसका कम ध्यान रखती हैं। डॉक्टर्स पीरियड्स के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करना सभी नहीं मानते। इससे कई इंफेक्शन्स होने का खतरा रहता है लेकिन सैनिटरी नैपकिन को लेकर कम जागरुकता के चलते महिलाएं आज भी कपड़ा इस्तेमाल करने को मजबूर हैं। सैनिटरी नैपकीन, टैंपून और मेंस्ट्रुअल कप का महंगा होना भी एक कारण है कि महिलाएं कपड़ा इस्तेमाल करती हैं।
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