नक्सलियों से नहीं बल्कि मच्छरों से डरते हैं छत्तीसगढ़ चुनाव सुरक्षा में तैनात जवान
वर्तमान में बरसात के बाद से पूरे बस्तर में नमी का मौसम है। जंगल और आस-पास के शिविरों में नमी के चलते शाम होते ही बड़े-बड़े मच्छरों का खौफ शुरू हो जाता है। सूत्रों की मानें तो पहले से ही इन बीहड़ों में तैनात डेढ़ दर्जन जवानों की इन्हीं मच्छरों के कारण मलेरिया से मौत हो चुकी है। इसी को लेकर जवानों में संशय है। एक जवान ने नाम न प्रकाशित किए जाने की शर्त पर बताया की जंगल में अभी भी कई जवान मलेरिया से जूझ रहे हैं।
जानकार बताते हैं की सूबे में बस्तर ही एक ऐसा इलाका है जहां वाइबेक्स के अलावा फेल्सीफेरम बीमारी वाले मलेरिया की शिकायत ज्यादा मिलती है। ऐसी स्थिति में अगर सात दिनों के भीतर पीड़ितों को उचित दवा न मिले, तो उनकी मौत निश्चित हो जाती है। यही वजह है कि निर्धारित समय में सही इलाज के अभाव में यहां कई जवानों ने दम तोड़ दिया। प्रशासन ने हालांकि, आमतौर पर बस्तर के हर शिविर में एक-दो चिकित्सकों की व्यवस्था भी की है। पुलिस की ओर से वहां उचित दवाइयां और मच्छरदानियों की आपूर्ति भी की गई है। बावजूद इसके जवानों में ऐसे मच्छरों का खौफ साफ दिखाई दे रहा है। बहरहाल, जवानों को चुनाव तक नक्सलियों से ज्यादा इन मच्छरों से ही जूझना होगा।