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राजस्थान के इस संस्कृत स्कूल के 80% से ज्यादा छात्र हैं मुसलमान

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नई दिल्ली- बीएचयू में एक मुस्लिम के संस्कृत प्रोफेसर के तौर पर नियुक्ति को लेकर विवाद हो रहा है। लेकिन, राजस्थान में एक संस्कृत स्कूल ऐसा है, जहां पढ़ने वाले 80 फीसदी से ज्यादा छात्र मुसलमान हैं। खास बात ये है कि इस स्कूल में जितने बच्चे हर साल दाखिला लेना चाहते हैं, उतनों का नामांकन सिर्फ इसलिए नहीं हो पाता क्योंकि स्कूल के पास जगह का अभाव है। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इस स्कूल में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे गरीब परिवारों से आते हैं, लेकिन उन्होंने संस्कृत भाषा को अपनी जीवनधारा बना चुके हैं। वे सिर्फ अपनी शिक्षा को संस्कृत तालीम तक ही सीमित नहीं रखना चाहते हैं, बल्कि बड़े होकर दूसरे बच्चों को भी दुनिया की इस प्राचीन और वैज्ञानिक भाषा से रूबरू करना चाहते हैं।

संस्कृत स्कूल में 80% से ज्यादा बच्चे मुसलमान

संस्कृत स्कूल में 80% से ज्यादा बच्चे मुसलमान

राजस्थान के एक संस्कृत स्कूल में बच्चों को अगर आप श्लोक पढ़ते देख लेंगे तो यकीन करना मुश्लिकल होगा कि वहां पढ़ने वाले अधिकतर छात्र मुसलमान हैं। जयपुर के राजकीय ठाकुर हरिसिह शेखावत मंडावा प्रवेशिका संस्कृत विद्यालय अपने हावभाव में आज भी बिल्कुल किसी प्राचीन गुरुकुल की तरह नजर आता है। ये एक सरकारी स्कूल है, जहां 80 फीसदी बच्चे मुसलमान हैं और संस्कृत पढ़ने आते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि यह स्कूल राजस्थान के किसी दूर-दराज इलाके में नहीं, बल्कि राजधानी के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल इलाके नाहरी-का-नाका में मौजूद है। यहां पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चे पद्मासन मुद्रा में धारा-प्रवाह संस्कृत श्लोकों का उच्चारण करते हैं। टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजकीय ठाकुर हरिसिह शेखावत मंडावा प्रवेशिका संस्कृत विद्यालय में कुल 277 छात्र हैं, जिनमें से 222 मुसलमान हैं।

मुस्लिम बच्चे दूसरों को भी संस्कृत सिखाना चाहते हैं

मुस्लिम बच्चे दूसरों को भी संस्कृत सिखाना चाहते हैं

दिलचस्प बात ये है कि इस स्कूल के बच्चे आगे चलकर संस्कृत पढ़ाना ही अपना करियर बनाना चाहते हैं। जब 9 साल की इल्मा कुरैशी से उसका नाम पूछा गया तो उसने बड़े प्यार से संस्कृत में ही जवाब दिया- 'मम नाम इल्मा कुरैशी।' चौथी की छात्रा अपने पेरेंट्स और भाई-बहनों के साथ किराए के जिस घर में रहती है उसकी बाउंडरी एक हनुमान मंदिर से सटी है। इसका असर ये हुआ है कि सुबह-शाम मंदिर में होने वाली आरती की वजह से उसने पूरा हनुमान चालीसा कंठस्थ कर लिया है। इल्मा अकेले नहीं है। उसका भाई रेहान भी संस्कृत के कठिन वाक्यों को फौरन याद कर लेता है। इल्मा के मुताबिक, 'मुझे संस्कृत पसंद है और मैं अपने भाई-बहनों, रिश्तेदार और सभी को संस्कृत भाषा सिखाना चाहती हूं।' संस्कृत की पढ़ाई करने का बाद इल्मा शाम के वक्त धार्मिक शिक्षा के लिए मदरसे भी जाती है।

एक साथ चार भाषाओं में पकड़

एक साथ चार भाषाओं में पकड़

मुस्लिम बच्चों की संस्कृत शिक्षा का परिणाम ये हुआ है कि उन्होंने चार-चार भाषाओं पर पकड़ बना ली है। स्कूल की हेडमास्टर वेद निधि शर्मा कहती हैं कि इन बच्चों की चार भाषाओं- संस्कृत, अरबी, हिंदू और उर्दू पर कमांड है। उनके मुताबिक, 'क्योंकि वे कई भाषाएं सीख रहे हैं, संस्कृत के कठिन से कठिन शब्द का भी ये बहुत स्पष्ट और अच्छे से उच्चारण कर लेते हैं। संस्कृत में ये हमेशा बहुत ज्यादा नंबर लाते हैं और इसका परिणाम ये है कि मेरा स्कूल कई दूसरे स्कूलों से काफी अच्छा है।' उनका मानना है कि मुस्लिम छात्र भाषाओं के बेहतर एम्बेसडर हैं। वो कहती हैं, 'सभी बच्चे बहुत ही गरीब परिवार से आते हैं और ज्यादातर स्कूल के बाद छोटे-मोटे काम करके अपने पेरेंट्स को सहयोग करते हैं।' हालांकि, खासकर लड़कियों के ड्रॉपाउट रेट जरूर परेशानी की वजह हैं।

अगले साल दोगुनी हो सकती है इस स्कूल की क्षमता

अगले साल दोगुनी हो सकती है इस स्कूल की क्षमता

परफॉर्मेंस की वजह से इस स्कूल का रुतबा ऐसा हो गया है कि यहां जितने बच्चे पढ़ने का आवेदन करते हैं, जगह की कमी के चलते सैकड़ों का दाखिला नहीं हो पाता। 2004 में मंडावा के पूर्ववर्ती शासकों की ओर से दान में मिली धरोहर इमारत की स्थिति जर्जर हो चुकी है। यहां दो शिफ्ट में बच्चों की पढ़ाई करवानी पड़ती है। पहली शिफ्ट में अपर प्राइमरी और सेकंडरी कक्षाएं होती हैं और दूसरी शिफ्ट में प्राइमरी के बच्चों को पढ़ाया जाता है। यह संस्कृत स्कूल राज्य के संस्कृत शिक्षा विभाग के अधीन है। किशनपोल के विधायक अमीन कागजी ने स्कूल के लिए 10 लाख रुपये दिए हैं, इससे उम्मीद है कि अगले साल तक इसकी क्षमता दोगुनी हो जाएगी। ये पैसे नई कक्षाएं, कंप्यूटर, ब्लैकबोर्ड्स और पुस्तकों पर खर्च की जाएगी।
(सभी तस्वीरें प्रतीकात्मक)

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English summary
More than 80 percent of students in a government Sanskrit school Jaipur, Rajasthan are muslims
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