भारत आ रहे और राफेल जेट, Indian Air Force की टीम जायजा लेने पहुंची फ्रांस
नई दिल्ली। 29 जुलाई को फ्रांस से पांच राफेल जेट का पहला बैच भारत आया था। अब इस जेट का दूसरा बैच भारत आने को रेडी है। गुरुवार को सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि भारतीय वायुसेना (आईएएफ) की एक टीम फ्रांस पहुंच गई है। इस टीम को एक टू स्टार आईएएफ ऑफिसर लीड कर रहे हैं। टीम, राफेल जेट की डिलीवरी की दिशा में हो रही प्रगति का जायजा लेगी। माना जा रहा है कि अक्टूबर के अंत में राफेल जेट का एक और बैच भारत आएगा। यह बैच भी अंबाला में बेस्ड होगा।
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टू स्टार ऑफिसर कर रहे लीड
आईएएफ अधिकारियों की तरफ से बताया गया है फ्रांस पहुंची आईएएफ की टीम की अगुवाई असिस्टेंट चीफ ऑफ एयर स्टाफ (प्रोजेक्ट्स) कर रहे हैं। यह टीम इस हफ्ते की शुरुआत में प्रोजेक्ट की तैयारियों का जायजा लेने के लिए फ्रांस पहुंची हैं। 29 जुलाई को पांच राफेल जेट का पहला बैच अबु धाबी के अल दाफ्रा एयरबेस होता हुआ अंबाला पहुंचा था। इसके बाद 10 सितंबर को इन जेट्स को औपचारिक तौर पर वायुसेना में शामिल किया गया है। अधिकारियों की तरफ से बताया गया है कि अगले कुछ हफ्तों में राफेल जेट का एक और बैच भारत आएगा। तारीखों पर अभी फैसला होना बाकी है। भारत और चीन के बीच इस समय लद्दाख में टकराव जारी है। इसके अलावा पाकिस्तान की तरफ से भी लगातार एलओसी पर गोलीबारी की जा रही है। माना जा रहा है कि और राफेल जेट के आने से भारतीय वायुसेना की क्षमताओं में इजाफा होगा। हर दो माह के अंदर वायुसेना को चार राफेल जेट फ्रांस से मिलेंगे। अगले वर्ष तक सभी राफेल जेट भारत को मिलने की उम्मीद है। भारत और फ्रांस के बीच साल 2016 में 36 राफेल जेट्स की डील करीब 59,000 करोड़ की लागत से हुई थी। इन जेट्स को कंपनी दसॉल्ट ने आईएएफ की जरूरतों के मुताबिक तैयार किया है।
23 साल बाद IAF को मिला विदेशी जेट
राफेल जेट 23 सालों में इंडियन एयरफोर्स में शामिल होने वाला कोई विदेशी फाइटर जेट है। जून 1997 में रूस से सुखोई-30 जेट्स को आईएएफ में शामिल किया गया था। सुखोई के आने के बाद आईएएफ की क्षमताओं में इजाफा हुआ। फ्रांस से भारत आए पांच राफेल फिलहाल लद्दाख में हैं और यहां वह हर पल लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर गश्ती कर रहे हैं। सेनाएं इस समय हाई अलर्ट पर हैं। चीन के साथ लगातार टकराव को टालने के लिए मिलिट्री और राजनयिक स्तर पर कोशिशें हो रही हैं। भारत और चीन के बीच सोमवार को सांतवें दौर की कोर कमांडर वार्ता हुई। 11 घंटे से भी ज्यादा समय तक चली इस वार्ता में टकराव पर कोई नतीजा नहीं निकल सका है। इस बीच चीन की तरफ से पिछले दिनों एक बयान जारी कर कहा गया था कि वह लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को कोई मान्यता नहीं देता है। चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) इस बात पर अड़ी हुई है कि भारत की सेना पैंगोंग त्सो के दक्षिणी किनारे से वापस चली जाए। लेकिन भारत की तरफ से उसके फैसले को मानने से साफ इनकार कर दिया गया है।