Monsoon: जानिए क्यों हो रहा है मॉनसून लेट, क्यों रहेगा ये इस बार कमजोर?
नई दिल्ली। मौसम विभाग का अनुमान है कि 8 जून को मॉनसून केरल के तट पर दस्तक दे देगा, इसके असर से केरल और कर्नाटक के अंदरूनी हिस्सों में अच्छी बारिश होगी और लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी लेकिन स्काई मेट के अनुसार इस बार मॉनसून कमजोर रहेगा, आमतौर पर ये दिल्ली महीने के अंत तक पहुंचता है लेकिन इस बार दिल्लीवासियों को 10-15 दिन और इंतजार करना होगा।
जानिए क्यों है मॉनसून लेट
स्काईमेट ने संभावित सामान्य से कम बारिश के पीछे अल-नीनो को जिम्मेदार ठहराया है। अल-नीनो के प्रभाव से प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह गर्म हो जाती है, इससे हवाओं का रास्ते और रफ्तार में परिवर्तन आता है, जिसके चलते मौसम चक्र प्रभावित होता है।
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क्या है अल-नीनो
ऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्यीय क्षेत्र के समुद्र के तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आये बदलाव के लिए उत्तरदायी समुद्री घटना को अल-नीनो कहा जाता है। यह दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट पर स्थित ईक्वाडोर और पेरु देशों के तटीय समुद्री जल में कुछ सालों के अंतराल पर घटित होती है. इससे परिणाम स्वरूप समुद्र के सतही जल का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है।
क्या है मॉनसून
मॉनसून मूलतः हिंद महासागर और अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को कहते हैं जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं। ये ऐसी मौसमी पवन होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक यानी कि चार माह सक्रिय रहती है।
हवाओं के बहाव पर निर्भर
मॉनसून पूरी तरह से हवाओं के बहाव पर निर्भर करता है। आम हवाएं जब अपनी दिशा बदल लेती हैं तब मॉनसून आता है। जब ये ठंडे से गर्म क्षेत्रों की तरफ बहती हैं तो उनमें नमी की मात्र बढ़ जाती है जिसके कारण वर्षा होती है।
सामान्य से कम बारिश होने की आशंका
स्काईमेट वेदर ने बताया इस वर्ष मॉनसून की पहली वर्षा में सूखा पड़ने की आशंका 15 फीसदी है और सामान्य से कम बारिश होने की आशंका 55 फीसदी, अल-नीनो की वजह से मॉनसून थोड़ा कमजोर रहेगा, बल्कि मध्य व दक्षिण भारत के हिस्से में सामान्य से अधिक गर्मी पड़ेगी।
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