Monsoon 2022: इस साल 15 मई से आ रहा है मानसून, केरल से पहले यहां होगी बारिश
नई दिल्ली: भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून आने की सामान्य तारीख 1 जून है। लेकिन, इस बार यह समय से काफी पहले दस्तक दे रहा है। बहुत ज्यादा गर्मी की चपेट में होने की वजह से देश के अधिकतर हिस्सों के लिए यह खुशियों से भर देने वाली खबर है। मौसम विभाग ने पहले ही अनुमान जताया था कि इस बार केरल में 1 तारीख से पहले ही मानसून आ जाएगा, लेकिन वह उससे भी काफी पहले यानी 15 मई को ही पहुंच रहा है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक समय से पहले मानसून आने की वजह ये है कि उसके लिए सभी तरह की अनुकूल मौसमी परिस्थितियां बन रही हैं।
इस साल 15 मई से आ रहा है मानसून
मौसम कार्यालय की ओर से गुरुवार को कहा गया है कि दक्षिण पश्चिम मानसून इस साल समय से पहले आने वाला है और संभावना है कि अंडमान और निकोबार द्वीप में 15 मई से मानसून की पहली फुहारें शुरू हो जाएंगी। भारतीय मौसम विभाग की ओर से गुरुवार को जारी बयान में नई दिल्ली में कहा गया है, '15 मई के आसपास दक्षिण पश्चिम मानसून के दक्षिण अंडमान सागर और उससे सटे दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी में आगे बढ़ने की संभावना है।' मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि विस्तृत अनुमानों ने लगातार केरल में मानसून जल्द शुरू होने लायक अनुकूल परिस्थियों और इसके उत्तर की ओर बढ़ने की ओर इशारा किया है।
अगले पांच दिनों तक बारिश का अनुमान
पिछले एक पखवाड़े से देश का अधिकतर हिस्सा बहुत ही ज्यादा तापमान झेलने को मजबूर हुआ है और निश्चित तौर पर मानसून के जल्द आने से लोगों के लिए खुश होने का मौका है। वैसे केरल में मानसून की शुरुआत की सामान्य तारीख 1 जून है। लेकिन, इस बार वहां इसके 26 मई को ही पहुंच जाने की उम्मीद पहले ही जताई गई है। मौसम कार्यालय की ओर से बताया गया है कि अंदमान और निकोबार आइलैंड में अगले पांच दिनों में व्यापक से लेकर हल्की और मध्य बारिश होने की अत्यधिक संभावना है। इस द्वीप समूह में 14 से 16 मई के बीच अलग-अलग जगहों पर भारी बारिश भी हो सकती है। इस दौरान दक्षिण अंदमान सागर के ऊपर 15 और 16 मई को 40 से 50 और 60 किलोमीटर तक की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं।
देश के इन इलाकों में मानसून-पूर्व की बारिश होगी
इससे अलग मौसम विभाग ने देश के उत्तरपूर्वी इलाके में भी अगले 5 दिनों तक व्यापक से लेकर हल्की और मध्यम बारिश होने की संभावना जाहिर की है। 12 से 16 मई के बीच असम और मेघालय में मानसून-पूर्व भारी से बहुत ज्यादा भारी बारिश हो सकती है। अरुणाचल प्रदेश में भी 13 से 16 मई के बीच भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। जबकि, केरल, माहे और लक्षद्वीप में अगले पांच दिनों के लिए व्यापक लेकिन हल्की बारिश होने का अनुमान है।
इन जगहों पर मानसून-पूर्व की बरसात
इसी तरह से तेलंगाना, कर्नाटक के उत्तरी अंदरूनी क्षेत्रों और तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल में अलग-अलग जगहों पर पांच दिनों तक छिटपुट बारिश होते रहने की संभावना है। वहीं तटवर्ती और दक्षिण कर्नाटक और तमिलनाडु में 12 से 14 मई के बीच व्यापक तौर पर हल्की से लेकर मध्यम बरसात होने का अनुमान है। उधर चक्रवात के असर से मध्य प्रदेश में 16 तारीख से मानसून पूर्व की बारिश शुरू होने की भविष्यवाणी की गई है।
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किधर से आता है मानसून ?
भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां खरीफ की फसल बहुत हद तक मानसून पर ही निर्भर है। वैसे भी देश में जितनी बारिश होती है, उसका 70% दक्षिण पश्चिमी मानसून के ही भरोसे है। इसकी शुरुआत मानसूनी हवाओं की सामान्य तौर पर हिंद महासागर से आकर 1 जून को केरल के तट से टकराने के साथ शुरू होती है और धीरे-धीरे दो हिस्सों में बंटकर पूरे भारत वर्ष को कवर करता जाता है। एक हिस्सा बंगाल की खाड़ी से बढ़ता हुआ सबसे पहले हिमालय से टकराकर नॉर्थ-ईस्ट में मानसूनी बारिश शुरू कराता है। दूसरा हिस्सा अरब सागर से बढ़ता हुआ,पश्चिमी घाट और महाराष्ट्र से आगे चलकर गुजरात और राजस्थान तक बारिश कराता है। उत्तर-पूर्व से बढ़ने वाला मानसून ही राजधानी दिल्ली में बारिश करता है, जिसकी सामान्य तारीख 29 जून है। आमतौर पर जून के आखिर और जुलाई के शुरुआत तक पूरे भारत में मानसूनी बादल आसमान को कवर कर लेते है। दक्षिण-पश्चिम मानसून भारत में सितंबर-अक्टूबर तक रहता है। (तस्वीरें- सांकेतिक)