Monsoon 2018: लगातार पांचवें साल मौसम विभाग के अनुमान से कम हुई बारिश
नई दिल्ली। मौसम विभाग का कहना है कि इस साल मॉनसून के दौरान जितनी बारिश की उम्मीद थी, उतनी हुई नहीं। मॉनसून के दौरान बारिश औसत से भी कम रही। उत्तर भारत के जिन इलाकों में बारिश की दरकार थी, वहां भी बारिश अनुमान से कम रही है। मॉनसून के दौरान जितनी बारिश का अनुमान मौसम विभाग ने लगाया था इस साल उससे कम बारिश हुई है।
जुलाई-सितंबर के महीने तक मानसून के आखिर में बारिश औसतन 91 फीसदी रही, जो मौसम विभाग के 97 फीसदी के अनुमान के मुकाबले कम है। ऐसा लगातार पांचवें साल हुआ है, जब मौसम विभाग ने अधिक बारिश को लेकर को लेकर अनुमान जताया। भारत में हर साल होने वाली बारिश का 70 फीसदी मॉनसून के दौरान देखने को मिलती है। मॉनसून की बारिश में कमी का बड़े पैमाने पर खेती पर असर पड़ता दिखाई दिया है।
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भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अनुमानों को सटीक रूप देने के लिए अमेरिका की तर्ज पर भारत के लिए मॉडल तैयार किया है। आईएमडी ने अनुमान जताया था कि जून-सितंबर के बीच मानसून, भारत में खाद्य, फसलों के लिहाज से काफी अहम है। मानसून आमतौर पर सितंबर के पहले सप्ताह में वापस जाना शुरू कर देता है, लेकिन इस साल ऐसा लगभग चार सप्ताह देर से हो रहा है।
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अनुमानों से कम हुई बारिश
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इस साल सामान्य मॉनसून का अनुमान जताया था। हालांकि, 30 सितंबर को समाप्त हुए मॉनसून अवधि में बारिश में 9.4 प्रतिशत की कमी देखी गई। आईएमडी का कहना है कि भारत में आठ राज्यों में इस साल कम बारिश हुई है। इनमें से चार राज्य उत्तर पूर्व (अरुणाचल, मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा) हैं, जबकि मध्य भारत में (पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार) और गुजरात हैं। 2018 को मिलाकर लगातार पांचवे साल मौसम विभाग के अनुमान से कम बारिश हुई है।
मॉनसून के दौरान कम बारिश ने बढ़ाई चिंता
पिछले 18 में 13 सालों में मॉनसून के दौरान बारिश में कमी देखी गई है। इस दौरान में 2002, 2004, 2009, 2014, 2015, 2016 और 2017 यानी सात साल सूखे की चपेट में रहे। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस कारण भारत की अनाज उत्पादकता पर गहरा असर पड़ रहा है और मॉनसून के दौरान होने वाली कम बारिश को चिंता का विषय माना गया है।