
ये 'मंकीपॉक्स' क्या बला है, आप भी कंफ्यूज हैं, तो WHO की बताई इन 5 बातों को जान लीजिए
नई दिल्ली, 20 मई: कोरोना वायरस संक्रमण के बीच पिछले कुथ दिनों से आपने मंकीपॉक्स वायरस या बीमारी के बारे में बहुत सुना होगा। मंकीपॉक्स रोग कोविड-19 के अलावा एक चर्चा का मुद्दा बन गया। 7 मई को लंदन में मंकीपॉक्स वायरस का पहला केस मिला था, मरीज उस वक्त नाइजीरिया से लौटा था। इसलिए उम्मीद लगाई गई थी कि वह अफ्रीका में वायरस के संपर्क में आया था। देखते-देखते मंकीपॉक्स वायरस स्पेन, पुर्तगाल, कनाडा, अमेरिका समेत यूरोप के कई देशों में फैल रहा है। बढ़ते मामलों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूके के अधिकारियों को वायरस के बारे में लोगों को चेतावनी देने के लिए प्रेरित किया है। तो अगर आप भी कंफ्यूज है कि ये मंकीपॉक्स क्या बीमारी है, तो आपको ये 5 बातें जरूर जाननी चाहिए...।

1. पहले पता चला कि मंकीपॉक्स droplets के जरिए फैल रही है..
पहले किए गए रिसर्च के आधार पर, डॉक्टरों ने पहले पता लगाया था कि यह बीमारी 'बूंदों' (droplets) के माध्यम से फैल रही थी, जिसका मतलब है कि वायरस श्वसन पथ, नाक, मुंह, घाव या आंखों के माध्यम से स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है। हालांकि, हाल की रिपोर्टों में चेतावनी दी गई है कि यह वायरस संभोग से फैल सकता है। इन रिपोर्टों के अनुसार, यदि मंकीपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति किसी स्वस्थ व्यक्ति के साथ यौन संपर्क में आता है, तो वह व्यक्ति संक्रमित हो सकता है।

2. इन लोगों को रहना चाहिए अधिक सतर्क
बता दें कि मंकीपॉक्स वायरस किसी भी व्यक्ति के शरीर को प्रभावित कर सकता है। लेकिन मंकीपॉक्स से समलैंगिक या उभयलिंगी पुरुषों को ज्यादा सतर्क रहने के लिए कहा गया है। यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (यूकेएचएसए) के मुताबिक, सभी नए मंकीपॉक्स के मामले, जिनमें लंदन में तीन और इंग्लैंड के उत्तर-पूर्व में एक शामिल है, समलैंगिक, उभयलिंगी या पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले अन्य पुरुषों (एमएसएम) में पाई गई है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए डब्ल्यूएचओ ने समलैंगिक और उभयलिंगी पुरुषों सावधान रहने को कहा है।

3. सबसे पहले 1970 में मिला था मंकीपॉक्स का केस
मंकीपॉक्स एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है, जो आमतौर पर पश्चिम अफ्रीका की यात्रा से जुड़ा होता है। पहली बार 1958 में ये वायरस बंदरों में पाया गया था। यह रोग अन्यथा मानव चेचक (चिकन पॉक्स) के समान है। मानव मंकीपॉक्स की पहचान सबसे पहले 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक 9 वर्षीय लड़के में हुई थी, जहां 1968 में चेचक को समाप्त कर दिया गया था।
हालांकि यूके के मेडिकल टीम का कहना है कि वो अभी इस बात की जांच कर रहे हैं कि उनके देश में मंकीपॉक्स के मामले कहां से और कैसे आएं। एजेंसी अभी भी इस बात की जांच कर रही है कि मरीजों ने वायरस को कहां और कैसे अनुबंधित किया है।

4. संक्रमित व्यक्ति के निकट बिल्कुल ना जाएं
मंकीपॉक्स रोग आमतौर पर एक हल्की(माइल्ड) और खुद तक (संक्रमित शख्त) ही सीमित रहने वाली बीमारी है। मंकीपॉक्स संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में आने के बाद ही फैल सकती है।

5. इन जानवरों से रहें सतर्क
यह रोग किसी संक्रमित जानवर के काटने या छूने से भी हो सकता है। यह आमतौर पर चूहों, चूहों और गिलहरियों सहित कृन्तकों द्वारा फैलता है। संक्रमित जानवर का गलत तरीके से पका हुआ मांस खाने से भी कोई व्यक्ति इस बीमारी का शिकार हो सकता है। इसके सामान्य लक्षणों में सिरदर्द, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सूजन लिम्फ नोड्स, ठंड लगना और थकावट शामिल हैं।
मंकीपॉक्स वायरस के बारे में अधिक और विस्तार में जानने के लिए आप विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की इस लिंक पर जा सकते हैं।