मोहन भागवत ने उठाई राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की मांग, कहा- सभी पर अनिवार्य तौर पर हो लागू
आरएसएस प्रमुख मोहन ने कहा कि एक ऐसी नीति लाई जानी चाहिए, जो बिना किसी अपवाद के सभी पर अनिवार्य तौर से लागू हो।
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर: विजयदशमी के मौके पर नागपुर में दिए गए अपने भाषण में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर देश में राष्ट्रीय जनसंख्या नीति लाए जाने पर जोर दिया है। मोहन भागवत ने विजयदशमी के मौके पर शस्त्र पूजा के बाद अपने भाषण में देश की बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जताते हुए कहा कि ये बहुत ही विकट हालात हैं, जो आने वाले समय में कई बड़ी समस्याओं को जन्म दे सकते हैं। भागवत ने कहा कि देश में एक ऐसी नीति की सख्त जरूरत है, जो सभी पर लागू हो और जिससे जनसंख्या के असंतुलन को ठीक किया जा सके।
'अगले 50 सालों को ध्यान में रखकर बनाई जाए नीति'
अपने भाषण में मोहन भागवत ने कहा, 'देश में जनसंख्या नीति होनी चाहिए। इस मुद्दे पर पहले भी कई बार चर्चा हो चुकी है। देश को एक ऐसी नीति की जरूरत पड़ेगी, जो आने वाले 50 सालों को ध्यान में रखकर बनाई जाए। इस नीति के जरिए, इस बात का भी संतुलन बनाया जाएगा कि 30 साल बाद हमारी बूढ़ी आबादी को खिलाने के लिए कितने लोगों की जरूरत पड़ेगी। आरएसएस पहले ही 2015 में जनसंख्या नीति की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पास कर चुकी है।'
'बिना किसी अपवाद के सभी पर लागू हो जनसंख्या नीति'
आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की मांग उठाई है। इससे पहले 2018 में भी मोहन भागवत ने कहा था कि जनसंख्या के संतुलन के लिए एक ऐसी नीति लाई जानी चाहिए, जो बिना किसी अपवाद के सभी पर अनिवार्य तौर से लागू हो। भागवत ने कहा कि अगर देश में एक राष्ट्रीय जनसंख्या नीति आती है, तो इस नीति से अवैध घुसपैठ पर नियंत्रण, जबरन धर्मांतरण को रोकेने और प्राकृतिक संसाधनों पर सभी के समान अधिकार तय करने सहित कई लक्ष्य हासिल हो पाएंगे।
'अंसुतलन के लिए अवैध घुसपैठ और जबरन धर्मांतरण जिम्मेदार'
गौरतलब है कि आरएसएस लगातार इस बात को कहता रहा है कि हिंदुओं और अन्य समुदायों की जनसंख्या में एक असंतुलन है और अपने इस दावे को साबित करने के लिए संघ ने 2011 की जनगणना का हवाला दिया है। अपने बयानों में आरएसएस ने कहा है कि देश में हिंदुओं, मुसलमानों और ईसाइयों की आबादी में जो बदलाव आए हैं, उसके लिए अवैध घुसपैठ और जबरन धर्मांतरण सबसे बड़ी वजह है। आरएसएस ने इसके पीछे तर्क देते हुए कहा कि 2011 की जनगणना के दौरान, देश के 11 राज्यों में ईसाई आबादी में 30 फीसदी से ज्यादा दशकीय इजाफा हुआ और 9 राज्यों में मुसलमानों की आबादी भी इसी रफ्तार से बढ़ी।
ये भी पढ़ें- बोले भागवत- 'विभाजन की टीस आज भी, इस वक्त भारत के लोगों को भ्रमित किया जा रहा'