राष्ट्रपति भवन में मोदी ने 'एंबुलेंस दादा' को सिखाया सेल्फ़ी लेना
करीमुल हक़ को जब सेल्फ़ी लेने में दिक़्क़त हुई तो मोदी ने उन्हें ख़ुद सेल्फ़ी लेकर बताया.
पद्मश्री से सम्मानित पश्चिम बंगाल के करीमुल हक़ बीबीसी को बताते हैं, "मैं कुछ समय से इस स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल कर रहा हूं लेकिन अभी तक सेल्फ़ी लेने में सहज नहीं हूं. मुझे सेल्फ़ी लेने में परेशानी हो रही थी तब वे मेरे पास आए और उन्होंने कहा, 'सेल्फ़ी ऐसे ली जाती है."
करीमुल हक़ पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी ज़िले के मालबाज़ार के एक दूरस्थ चाय बागान में काम करते हैं.
लेकिन उनकी ज्यादा बड़ी पहचान 'एंबुलेंस दादा' या 'एंबुलेंस मैन' के तौर पर है और लोग उन्हें इन नामों से भी बुलाते हैं.
और जो शख़्स हक़ को सेल्फ़ी लेना सिखा रहे थे वे कोई और नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे. जो ख़ासे सोशल मीडिया फ्रैंडली हैं.
इनकी मुलाक़ात शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन के लॉन में हुई जहां पिछले साल पद्म पुरस्कार हासिल करने वाले हक़ को बुलाया गया था.
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क्यों मिला 'एंबुलेंस मैन' नाम?
'एंबुलेंस मैन' को पद्म पुरस्कार दिए जाने की वजह उनको लोगों की ओर से दिए गए इस नाम से ही साफ़ हो जाती है.
करीमुल हक़ सुदूर इलाकों के मरीज़ों को बिना किसी पैसे के अपनी मोटरसाइकिल से नज़दीकी अस्पतालों में पहुंचाते हैं.
धुलाबारी चाय बागान और इसके आसपास के 20 गांवों में यह काम वह पिछले 14 सालों से कर रहे हैं.
कई साल पहले करीमुल अपनी मां को अस्पताल छोड़ने के लिए कई लोगों के पास मदद मांगने के लिए भागे लेकिन उनकी मां को चिकित्सा देखभाल नहीं मिल पाई जिसके कारण उनकी मौत हो गई.
उसके बाद से करीमुल यह सोचने लगे कि लोगों को मूलभूत उपचार कैसे मुहैया कराया जा सकता है.
14 साल पहले उनके पास मौका आया जब उनका एक सहकर्मी बीमार पड़ गया.
थ्री इडियट्स' फ़िल्म के एक दृश्य की तरह उन्होंने अपने सहकर्मी को मोटरसाइकिल की पिछली सीट पर बैठाकर ख़ुद को उनसे बांध लिया और जलपाईगुड़ी के ज़िला अस्पताल पहुंचाया.
इसके बाद से उनके पास किसी बीमार को दोपहिया पर बैठाकर अस्पताल छोड़ने का अनुरोध आने लगा. धुलाबारी जैसे सुदूर इलाक़ों में रह रहे लोगों के वह रक्षक बन गए और 'एंबुलेंस दादा' के रूप मे प्रसिद्ध हो गए.
हालांकि, उन्हें चार हज़ार रुपये की छोटी-सी तनख़्वाह मिलती है लेकिन उन्होंने मरीज़ों को अस्पताल पहुंचाने के लिए कभी भी पैसा नहीं लिया.
राहुल के साथ भी ली सेल्फी
अब वे गांव के लोगों को प्राथमिक चिकित्सा भी मुहैया कराते हैं.
समाज के लिए इस अनूठी सेवा के कारण करीमुल हक़ को पिछले साल पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
शुक्रवार को पिछले साल के पद्म पुरस्कार विजेताओं को गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति भवन बुलाया गया था. जहां पर राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष समेत आसियान देशों के 10 राष्ट्राध्यक्ष भी मौजूद थे.
वह प्रधानमंत्री के साथ सेल्फ़ी लेना चाहते थे तो प्रधानमंत्री तुरंत राज़ी हो गए लेकिन हक़ को सेल्फ़ी लेने में मुश्किल हुई. प्रधानमंत्री मोदी ने आगे बढ़कर उनकी मदद की.
हक़ ने बीबीसी से कहा, "उन्होंने मुझे दिखाया कि सेल्फ़ी कैसे ली जाती है. बाद में मैंने राहुल गांधी के साथ भी सेल्फ़ी ली."
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