चीन, पाकिस्तान के खिलाफ पानी के अंदर और मजबूत होगी इंडियन नेवी, मोदी सरकार खरीदेगी 6 पनडुब्बियां
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने दुनियाभर में पनडुब्बी बनाने वाली कंपनियों से भारत के लिए छह पनडुब्बी तैयार के मकसद ये प्रस्ताव भेजने को कहा है। सरकार देश में स्थित शिपयार्ड्स की क्षमताओं को बढ़ाने के मकसद से इन पनडुब्बियों को देश में ही तैयार कराना चाहती है। इसके अलावा पानी के अंदर नौसेना के लिए मजबूत बेड़े को तैयार करके इसकी ताकत को बढ़ाना भी एक लक्ष्य है। ब्लूमबर्ग की ओर से जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
फ्रांस से लेकर रूस तक को भेजा गया प्रपोजल
फ्रांस के नौसेना संगठन एसए जर्मन थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स जीएमबीएच, स्वीडन की साब कॉकुम्स, स्पेन की नावानतिया एसए और रूस के रोस्बोरोनएक्सपोर्ट ओजेएससी का नाम इन पनडुब्बियों के लिए सामने आ रहा है। ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन कंपनियों से पूछा गया है कि डीजल-इलेक्ट्रिक पावर से लैस पनडुब्बियों को भारत में तैयार करने के तहत क्या वे टेक्नोलॉजी ट्रांसफर कर सकती हैं? इस माह की शुरुआत में विदेश कंपनियों को इससे जुड़ा एक अनुरोध प्रस्ताव भेजा गया।
तीन साल का समय
कहा जा रहा है कि कॉन्ट्रैक्ट मिलने में कम से कम तीन साल का समय लग सकता है। इस पूरे मसले पर नजर रख रहे लोगों के हवाले से यह रिपोर्ट तैयार की गई है। इन लोगों ने अपनी पहचान बताने से इनकार कर दिया गया। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद की ओर से इस पर कोई भी टिप्पणी नहीं की गई है। सूत्रों की ओर से बताया गया है कि सरकार ने 20 जून को अलग से एक प्रस्ताव एक भारतीय शिपयार्ड कंपनी को दिया है। इस प्रस्ताव में 450 अरब रुपयों की लागत से पनडुब्बियों को तैयार करने की बात कही गई है।
भारत की कंपनियों की भी मदद
प्रोग्राम में पहले ही तीन वर्ष की देरी हो चुकी है। भारतीय शिपयार्ड से कहा गया था कि वह दो प्राइवेट कंपनियों लार्सन टूब्रो लिमिटेड और रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड को भी शामिल करे। इसके अलावा पांच और कंपनियां मझगांव डॉक्स एंड इंजीनियर्स, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड, गोवा शिपयार्ड लिमिटेड, हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड और कोचिन शिपयार्ड को भी इसमें शामिल करने को कहा गया था।
चीन लगातार बढ़ा रहा है अपनी ताकत
भारत लगातार चीन के बढ़ते प्रभुत्व से परेशान है। इंडियन नेची के पास 13 पारंपरिक पन्डुब्बियां हैं और ये कम से कम 20 साल पुरानी हैं। साल 2000 में जिस प्लान को मंजूरी दी गई थी उसमें साल 2030 तक 24 पारंपरिक पनडुब्बियों को नौसेना में शामिल करना था। लेकिन खरीद की प्रक्रिया में छह साल की देरी हो चुकी है। चीन की अगर बात की जाए तो उसके पास 50 पारंपरिक पनडुब्बियां, चार परमाणु हथियारों से लैस और छह पनडुब्बियां परमाणु हमला करने की ताकत रखने वाली हैं। अमेरिकी कांग्रेस में पेश एक रिपोर्ट की मानें तो साल 2020 तक चीन के पास 65 से 70 पनडुब्बियां होंगी।