'अयोध्या तभी वापस आऊंगा जब राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा' 29 वर्ष बाद पूरा हुआ मोदी का संकल्प
बेंगलुरू। भारतीयता के लिहाज से मौजदा समय चरम की दहलीज पर कदमताल कर रहा है, इसमें पक्ष और विपक्ष में मतांतर को किनारे रख दिया जाए और तथ्यों के आधार पर इसका विश्लेषण किया जाए, तो निः संदेह पिछले 5-6 वर्षों में भारत दशकों पुराने विवादों, मतभेदों और योजनाओं का समाधान करने में काफी सफल रहा है।
इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सत्तासीन बीजेपी सरकार को देने में ईमानदारपूर्ण रवैया अख्तियार करने में कोई बुराई नहीं दीखती है। इसी क्रम में 492 वर्ष पुराने एक और समाधान के साथ प्रधानमंत्री मोदी 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या जा रहे हैं, जहां वो बहुप्रतीक्षित भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछली बार अप्रैल, 1991 में अयोध्या गए थे और 29 वर्ष बाद 5 अगस्त को एक बार फिर अयोध्या जा रहे हैं। करीब तीन दशक बाद पीएम मोदी अपने उस संकल्प को पूरा करने जा रहे हैं, जो उन्होंने 29 वर्ष पूर्व अयोध्या मे लिया था। यह एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि इस दिन के लिए बहुसंख्यक हिंदुओं ने 492 वर्ष तक अथक इंतजार किया है, जिसमें से 134 वर्ष कानूनी और सत्तासीन सरकारों की अकर्मण्यताओं की भेंट चढ़ गया था।
अंततः आजादी के 73 वर्ष बाद 9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के सर्वसम्मति फैसले ने अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर निर्माण का रास्ता खोल दिया। अब जब राम मंदिर के शिलान्यास में महज कुछ दिन शेष हैं, तो इन दिनों सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी की एक तस्वीर खूब वायरल हो रही है, जानिए क्या हैं उस तस्वीर के मायने?
सोशल मीडिया पर वायरल रही यह तस्वीर वर्ष 1991 की है, जब राम मंदिर आंदोलन के लिए रथयात्रा शुरू करने वाले वरिष्ठ बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर आंदोलन के लिए सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथयात्रा शुरूआत की थी। इस रथयात्रा में रथ पर सवार होकर प्रधानमंत्री मोदी भी राम मंदिर आंदोलन के ध्वजवाहक आडवाणी और वरिष्ठ बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी के साथ अयोध्या के लिए आगे बढ़े थे।
हालांकि सोमनाथ से अयोध्या के लिए निकली यह रथयात्रा अपने गंतव्य यानी अयोध्या तक नहीं पहुंच सकी थी, लेकिन उस दरम्यान ही प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए संकल्प उठा लिया था। अब इसका साक्षी पूरा विश्व होगा, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के साथ 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास करेंगे। यही कारण है कि यह तस्वीर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है।
हालांकि एक अकेला संकल्प नहीं है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल में पूरा किया है। अपने अब तक के 6 वर्ष के कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी ने वर्षों से अटके पड़े ऐसे दो दर्जन से अधिक मुद्दों को पूरा किया है, जो पिछले कई दशकों से समाधान की राह देख रहे थे। इनमें जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370, नागरिकता संशोधन कानून, नई शिक्षा नीति 2020 जैसे 18-20 प्रमुख रूप से शामिल हैं।
प्रधानमंत्री मोदी अब जब 29 वर्ष एक महीने बाद 5 अगस्त को अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के लिए अयोध्या यात्रा पर जा रहे हैं तो उनके द्वारा वर्ष 1991 में लिए संकल्प की चर्चा सोशल मीडिया पर आम हो गई है। यहां उनके अयोध्या में दिए गए उस बयान भी चर्चा हो रही है, जो उन्होंने 29 साल पहले अयोध्या में दिया था।
आडवाणी द्वारा शुरू किए गए रथयात्रा के गंतव्य स्थल से पहले रोके जाने की निराशा भी कह सकते है कि तब अयोध्या पहुंचकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, 'अब यहां वापस तभी आऊंगा जब राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा।' अब इसे संयोग कहिए या उनकी संकल्प शक्ति, लेकिन उनकी बात सच होने जा रही है और प्रधानमंत्री खुद अपने हाथों से 492 वर्ष बाद अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास करने अयोध्या पहुंच रहे हैं।
अयोध्या में राम मंदिर की मुहिम से प्रधानमंत्री मोदी का बहुत पुराना नाता रहा है। वर्ष 1990 जब आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा की शुरूआत और फिर राम मंदिर निर्माण को लेकर समर्थन जुटाने के लिए 25 सितंबर, 1990 को गुजरात के सोमनाथ से रथयात्रा शुरू कराने में उनका बड़ा योगदान रहा है, लेकिन अपने पहले कार्यकाल में जब प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या नहीं पहुंचे, तो उन्हें कई बार आलोचना भी झेलनी पड़ी थी।
राम मंदिर आंदोलन की रथयात्रा को विभिन्न राज्यों से होते हुए 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचना था, लेकिन सोमनाथ मंदिर से निकली रथयात्रा विभिन्न शहरों से निकलकर बिहार के समस्तीपुर में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा रोक दी गई और फिर रथयात्रा अपने गंतव्य स्थल अयोध्या तक नहीं पहुंच सकी। प्रधानमंत्री मोदी उस वक्त बीजेपी नेशनल इलेक्शन कमिटी के सदस्य हुआ करते थे।
सोशल मीडिया में प्रधानमंत्री मोदी के रथयात्रा पर सवार वही तस्वीर आजकल इसीलिए वायरल हो रही है, क्योंकि यूजर्स उनके प्रण और संकल्प के पूरे होने पर की जमकर चर्चा कर रहे हैं। यह प्रण प्रधानमंत्री मोदी ने 29 वर्ष पूर्व अयोध्या की जमीन पर ही लिया था। तब जो बात उन्होंने कही थी, उसे लोग स्मरण कर रहे हैं, जो अब आगामी 5 अगस्त, 2020 को 29 साल राम मंदिर के निर्माण के शिलान्यास के साथ पूरा होने जा रहा है।
वैसे, उस दौरान रथयात्रा बीच में ही रुकने के बाद प्रधानमंत्री मोदी बेहद निराश हुए थे और अप्रैल 1991 में जब प्रधानमंत्री मोदी बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के साथ अयोध्या पहुंचे थे, तो उस दौरान उन्होंने विवादित स्थल (अब अविवादित) पर भी गए थे। इसी दौरान वहां मौजूद पत्रकारों ने बातचीत के दौरान जब प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि वह फिर अयोध्या कब आएंगे? तो तुरंत मोदी ने जवाब दिया था, 'अब अयोध्या तब ही आऊंगा जब राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा'
अब जब 73 वर्ष बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा सर्वसम्मति से राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाने के बाद वह समय आ गया है तो प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या में राम मंदिर की आधार शिला रखने के लिए पहुंच रहे हैं। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के मुंह से निकले शब्द भविष्यवाणी साबित हो गए है।
हालांकि ऐसा तब भी कहा गया था जब जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य के स्टेटस को 5 अगस्त, 2019 को हटा दिया गया था, जिसका प्रण उन्होंने लाल चौक पर झंडारोहण करते हुए लिया था। संयोग देखिए कि ठीक एक वर्ष बाद प्रधानमंत्री मोदी 5 अगस्त, 2020 को अपना दूसरा संकल्प और वादा पूरा करने जा रहे हैं। 5 अगस्त को अयोध्या में उनके साथ लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भी मौजूद होंगे, जो मंदिर आंदोलन के ध्वजवाहक रहे थे।
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अयोध्या में 72 वर्ष बाद सर्वसम्मति फैसले से खुला राम मंदिर का रास्ता
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नंवबर, 2019 को सर्वसम्मति के फैसले में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया और केन्द्र को निर्देश दिया कि मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किया जाए। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस व्यवस्था के साथ ही राजनीतिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील 134 साल से भी अधिक पुराने इस विवाद का पटाक्षेप कर दिया। अयोध्या पर फैसले के बाद पीएम मोदी ने देशवासियों से शांति-सद्भाव और एकता बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा, देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या पर अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। रामभक्ति हो या रहीमभक्ति, ये समय हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का है।
देश में 34 वर्षों से लंबित नई 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लागू किया गया
शिक्षा क्षेत्र में बड़े सुधार के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नई शिक्षा नीति (NEP) को मंजूरी दे दी है। इसका उद्देश्य एजुकेशन सिस्टम को पूरी तरह बदलना है। नई शिक्षा नीति में त्रिभाषा फॉर्मूला को जारी रखा गया है। मानव संसाधन मंत्रालय की जगह अब नए नाम शिक्षा मंत्रालय में उच्च शिक्षा के लिए एक ही रेगुलेटरी बॉडी नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी (एनएचईआरए) या हायर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया तय किया गया है। इससे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण 1986 में किया गया था और 1992 में इसमें कुछ बदलाव किए गए थे।
भारत-फ्रांस के बीच अत्याधुनिक राफेल विमान खरीद समझौते पर हस्ताक्षर
6 जनवरी 2016, भारत-फ्रांस के बीच अत्याधुनिक राफेल विमान खरीदी समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। यूपीए सरकार में विमान खरीदी का मामला ठंडे बस्ते में जाने के बाद पीएम मोदी ने साल 2015 में फ्रांस से पूरी तरह से तैयार 36 राफेल विमानों के नए सौदे की घोषणा की। इसके बाद 26 जनवरी 2016 को भारत और फ्रांस ने 26 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए एग्रीमेंट साइन किए थे। इसके पूर्व डील की राशि को लेकर भी दोनों देशों के बीच कई बार बैठक हुई थी। गत 29 जुलाई, 2020 को फ्रांस ने 5 राफेल लड़ाकू विमान पहली खेप के रूप में भारत को सौंप दिया है।
70 वर्ष बाद भारतीय सिखों के करतारपुर कॉरिडोर की मांग पूरी हुई
पिछले 70 सालों से भारतीय सिखों कों जिस करतारपुर कॉरिडोर का बेसब्री से इंतजार था, वो इंतजार अंततः खत्म हो गया। गुरु नानक देव की 550वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करतारपुर गलियारे के रास्ते पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब जाने वाले इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट का उद्घाटन किया। पाकिस्तान के पंजाब में नारोवाल जिले में करतारपुर तक जाने वाले कॉरिडोर को गुरू नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर खोला गया।
71 वर्ष पुराना विवादित अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर से समाप्त हुआ
भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान अनुच्छेद-370 और 35 ए को ख़त्म करने का फ़ैसला किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में इसका फ़ैसला हुआ, जिसका ऐलान गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में किया। इसके साथ ही 71 वर्ष पहले जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्ज छीन लिया गया और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया। राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम मोदी कहा कि अनुच्छेद 370 और 35ए ने जम्मू कश्मीर को अलगाववाद, आतंकवाद, परिवारवाद और व्यवस्था में बड़े पैमाने पर फैले भ्रष्टाचार के अलावा कुछ नहीं दिया। उन्होंने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त किए जाने को ऐतिहासिक बताया।
'चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ' की नियुक्ति की 60 साल पुरानी मांग पूरी हुई
सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया। सीडीएस का काम सेना, नौसेना और वायुसेना के कामकाज में बेहतर तालमेल लाना होगा। सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने सीडीएस का पद बनाए जाने को मंजूरी दी, जो तीनों सेनाओं से जुड़े सभी मामलों में रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार के तौर पर काम करेगा। सीडीएस का एक काम संयुक्त/थिएटर कमांड की स्थापना सहित संचालन में संयुक्तता लाने के द्वारा संसाधनों के अधिक उपयोग के लिए सैन्य कमांड के पुनर्गठन की सुविधा प्रदान करना होगा।1999 में कारगिल समीक्षा समिति ने सरकार को एकल सैन्य सलाहकार के तौर पर चीफ आफ डिफेंस स्टाफ के सृजन का सुझाव दिया था। पीएम मोदी ने 15 अगस्त को घोषणा की थी कि भारत में तीनों सेना के प्रमुख के रूप में सीडीएस होगा। पीएम मोदी ने कहा, सैन्य मामले का विभाग सृजित करना और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद को प्रणालीबद्ध करना महत्वपूर्ण सुधार हैं।
34 वर्ष पुराने ऐतिहासिक 'ट्रिपल तलाक' मुद्दे का हुआ समाधान
25 जुलाई, 2019 को संसद ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने की प्रथा पर रोक लगाने के प्रावधान वाले एक ऐतिहासिक विधेयक को मंजूरी दी। विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया। तीन तलाक बिल पास होने के बाद पीएम मोदी ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि तीन तलाक बिल पास होना लैंगिक न्याय की जीत है। इससे समाज में समानता आएगी। यह भारत के लिए खुशी का दिन है। लोकसभा में पास होने के बाद ट्रिपल तलाक बिल के पक्ष में राज्यसभा में 99 वोट पड़े, जबकि विरोध 84 वोट पड़े थे।
नागरिकता संशोधन कानून लागू हुआ, 23 वर्ष बाद हल हुआ शरणार्थी संकट
नागरिकता संशोधन विधेयक संसद में पास होने के बाद केंद्र सरकार द्वारा देश में सीएए को 10 जनवरी, 2020 से प्रभावी करने की घोषणा की गई। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी। नागरिकता (संशोधन) कानून की धारा एक की उप धारा(2) के तहत केंद्र सरकार ने 10 जनवरी, 2020 से इस कानून को लागू करने का निश्चय किया है।
देश को समर्पित हुआ नेशनल वॉर मेमोरियल, 60 वर्ष बाद पूरा हुआ वादा
देश की रक्षा में प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों की याद में निर्मित राष्ट्रीय समर संग्रहालय की परिकल्पना 1961 में की गई थी। इंडिया गेट के पास 24 एकड़ में बने इस स्मारक पर 176 करोड़ रुपए का खर्च आया, जिसका उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इसे भारतवासियों को समर्पित किया। 2015 में कैबिनेट ने इसके निर्माण की मंजूरी दी थी। स्मारक में 16 ऑनर वॉल बने हैं। इन पर लगे ग्रेनाइड के बोर्ड पर आजादी के बाद हुए युद्ध और आतंकवाद निरोधी अभियान के 25 हजार 942 शहीदों ने नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज हैं। स्मारक के निर्माण पर पीएम मोदी ने कहा कि इस सरकार को नामुमकिन को मुमकिन बनाना आता है।
नेशनल पुलिस मेमोरियल देश का समर्पित, 34 साल पुरानी मांग पूरी हुई
वर्ष 2018 में पुलिस स्मारक दिवस के मौके पर आजादी के बाद से पुलिस कर्मियों द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान की याद में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक देश को समर्पित किया गया। हालांकि राष्ट्रीय पुलिस स्मारक (एनपीएम) बनने में 70 वर्ष लग गए। गत 21 अक्तूबर 1959 में चीनी सैनिकों द्वारा लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स में मारे गए पुलिसकर्मियों की याद में इस दिन को पुलिस स्मारक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
72 वर्ष बाद अनाधिकृत कॉलोनी बिल का पास, 40 लाख को फायदा हुआ
करीब 72 वर्ष बाद दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनी को लेकर बनाए गए बिल से राष्ट्रीय राजधानी के 40 लाख लोगों को फायदा हुआ। बुधवार, 4 दिसंबर, 2019 को तीन घंटे चर्चा करने के बाद राज्यसभा ने 'राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र दिल्ली (अप्राधिकृत कॉलोनी निवासी संपत्ति अधिकारी मान्यता) विधेयक, 2019' को ध्वनिमत से पारित कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने बिल पास होने के बाद कहा, इस बिल ने 40 लाख लोगों के भविष्य का फैसला किया है, जिस पर पूर्ववर्ती सरकारों ने 72 वर्षों में कुछ नहीं किया।
देश में लोकपाल की नियुक्ति की 56 साल पुरानी मांग पूरी हुई
मोदी सरकार ने 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सेवानिवृत्त जज जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष को लोकपाल नियुक्ति कर विपक्ष के हाथ एक और बड़ा मुद्दा लिया। पहले विपक्ष लोकपाल की नियुक्ति नहीं करने को बड़ा मुद्दा बना रहा था। यूपीए-2 सरकार के दौरान एक के बाद एक भ्रष्टाचार से जुड़े मामले सामने आने से लोगों में नाराजगी बढ़ी थी। इसी दौरान लोकपाल की मांग को लेकर समाजसेवी अन्ना हजारे और योग गुरु बाबा रामदेव ने देश भर में आंदोलन किया था।
पूर्व सैनिकों की वन रैंक-वन पेंशन मांग 42 वर्ष बाद जाकर पूरी हुई
दिवंगत पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पूर्व सैनिकों के लिए ऐतिहासिक ‘वन रैंक वन पेंशन' का ऐलान करते हुए कहा कि सरकार ने अपना वादा पूरा किया है। वन रैंक वन पेंशन को 1 जुलाई 2014 से लागू माना गया। वन रैंक वन पेंशन पिछले 40 साल से लंबित था। ओआरओपी के लिए 8 से 10 हजार करोड़ रुपए रखे गए, जिसके लिए समय के मुताबिक बजट बढ़ाया जाएगा। UPA सरकार ने फरवरी 2014 में इसके लिए महज 500 करोड़ रुपए रखे थे, लेकिन इसके लिए 8 से 10 हजार करोड़ रुपए चाहिए थे। वन रैंक वन पेंशन का बेस ईयर 2013 रखा गया।
49 वर्षों बाद शत्रु संपत्ति अधिनियम में किया गया अति आवश्यक संशोधन
वर्ष 2017 में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में शत्रु संपत्ति संशोधन विधेयक पास किया गया, जिसमें युद्ध के बाद चीन और पाकिस्तान पलायन कर गए लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति के उत्तराधिकार या हस्तांतरण के दावों को खारिज करने का प्रावधान है। 10 मार्च 2017 को इस विधेयक को राज्यसभा ने विपक्ष के बहिष्कार के बीच पारित कर दिया गया। इस विधेयक द्वारा शत्रु संपत्ति क़ानून 1968 में बड़ा संशोधन यह किया गया है कि जिन्हें वैध वारिस माना गया था, वे अवैध माने जाएंगे और मिल्कियत सरकार के हाथ में चली जाएगी। इसे एक बड़ा दूरदर्शी फैसला कहा गया। इस विधेयक के क़ानून बनने के बाद पटौदी परिवार की लगभग 5000 करोड़ की प्रॉपर्टी केंद्र सरकार ज़ब्त कर सकती है।
41 साल पुराने महत्वपूर्ण 'बांग्लादेश सीमा विवाद' का समाधान किया गया
भारत और बांग्लादेश ने 40 साल से चले आ रहे सीमा विवाद का समाधान करते हुए 2015 में भूमि सीमा समझौते को मंजूरी देकर मोदी सरकार ने इतिहास रच दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की मौजूदगी में भूमि समझौते के दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया गया। इस ऐतिहासिक भू-सीमा समझौते के तहत भारत बांग्लादेश को 111 कॉलोनी अथवा परिक्षेत्र सौंपा। इन कॉलोनियों की कुल जमीन 17,160.63 एकड़ है। वहीं, बांग्लादेश 51 कॉलोनी अथवा परिक्षेत्र सौंपेगा। इन कॉलोनियों की कुल जमीन 7,110.02 एकड़ है। इसके अलावा 6.1 किलोमीटर अनिश्चित सीमा का भी सीमांकन किया जाएगा।
असम में घुसपैठियों की पहचान के लिए NRC लागू हुआ, 40 से लंबित था
असम में एनआरसी लागू करने का मकसद घुसपैठियों की पहचान करना था। व्यक्ति को खुद को असम का नागरिक साबित करने के लिए 24 मार्च, 1971 से पहले जारी किया दस्तावेज बतौर सबूत पेश करना था। इसके लिए 1951 के एनआरसी या 24 मार्च,1971 तक जारी किया गया इलेक्ट्रोल रोल मान्य थ। यह साबित करना था कि व्यक्ति के पूर्वज इस तारीख से पहले राज्य के नागरिक थे। असम NRC यानी नेशनल सिटिजन रजिस्टर (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्ट) की आखिरी सूची शनिवार 31 अगस्त को जारी की गई। इस अंतिम सूची में राज्य के 3.29 करोड़ लोगों में से 3.11 करोड़ लोगों को भारत का वैध नागरिक करार दिया गया है, वहीं करीब 19 लाख लोग इससे बाहर हैं।
नागालैंड शांति समझौता का हुआ समाधान, यह 59 वर्ष पुराने विवाद था
नागालैंड के अलगाववादी संगठन NSCN (IM) और केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर दस्तखत किए। NSCN (IM) के साथ पिछले 59 वर्षों से सरकार का सीजफायर चल रहा था। NSCN (IM) लंबे समय से ग्रेटर नगालैंड की मांग कर रहा था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस ऐतिहासिक समझौते के लिए एनएससीएन नेताओं का शुक्रिया अदा किया और कहा कि नागालैंड में देश के प्रति भ्रम फैलाया गया। उन्होंने कहा कि आज से एक नए युग का आरंभ हुआ है।
बोडो समझौते पर हस्ताक्षर, 27 वर्ष पुराने बोडोलैंड संघर्ष का समाधान
PM नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने असम का दशकों पुराना बोडोलैंड विवाद सुलझाने में कामयाबी हासिल की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में असम सरकार के साथ नेशनल डेमोक्रेटिक फेडरेशन ऑफ बोडोलैंड (NDFB) ने समझौता किया,जिसके तहत अब बोडोलैंड की मांग नहीं की जाएगी। असम में पिछले लंबे समय से अलग बोडोलैंड की मांग करने वाले चार गुटों ने हिंसा का रास्ता छोड़ने का फैसला किया। यानि अब पूर्वोत्तर में एक अलग राज्य की लंबे समय से जारी मांग थम गई है।