इन मेट्रो शहरों में मोदी मैजिक हुआ फेल, एक भी सीट नहीं जीत पाई BJP
नई दिल्ली- नरेंद्र मोदी की चुनावी सुनामी में इसबार कई ऐसे राज्य में हैं, जहां बीजेपी ने अपनी धमाकेदार एंट्री की है। कुछ राज्यों में उसने 2014 के बेहतरीन प्रदर्शन को और चार चांद लगाने का काम किया है। कई राज्यों में पार्टी ने लगातार दूसरी बार 100 फीसदी सीटें जीत ली हैं। लेकिन, देश के कुछ मेट्रो शहर ऐसे हैं, जहां इसबार भी भारी उम्मीदों और कोशिशों के बावजूद बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिल पाई है।
कोलकाता की पांचों सीटों पर हार
कोलकाता (Kolkata) में लोकसभा की 5 सीटें हैं। बीजेपी ने इसबार के मोदी लहर में पश्चिम बंगाल (West Bengal) में टीएमसी (TMC) को कड़ी टक्कर दी है। उसका वोट शेयर भी ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) की पार्टी से महज 3 फीसदी ही कम है। सीटों में उसने 42 में से 18 जीत ली हैं। लेकिन, कोलकाता शहर की सभी 5 सीटों कोलकाता नॉर्थ, कोलकाता साउथ, बारासात, दमदम एवं जादवपुर में उसे इसबार भी हार का सामना करना पड़ा है। इन पांचों सीटों पर 2014 की तरह 2019 में भी टीएमसी का कब्जा बरकरार रहा है और मोदी लहर में भी भाजपा दीदी के गढ़ में सेंध नहीं लगा पाई है। बीजेपी ने इसबार पूरे बंगाल समेत कोलकाता शहर में भी कितना जोर लगाया था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि खुद मोदी ने भी वहां एक विशाल रैली की थी; और अमित शाह ने भी कोलकाता नॉर्थ में ही भारी-भरकम रोड शो किया था, जिसमें हिंसा हो गई थी। जिसके बाद चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार की मियाद एक दिन पहले ही खत्म कर दी थी।
चेन्नई की तीनों सीटें डीएमके को
चेन्नई (Chennai) शहर की तीनों सीटें 2014 में एआईएडीएमके (AIADMK) के खाते में गई थी। 2019 में पार्टी का बीजेपी के साथ गठबंधन है। लेकिन, मोदी के साथ होने के बावजूद एआईएडीएमके (AIADMK) चेन्नई की सारी सीटें, चेन्नई साउथ, चेन्नई नॉर्थ और चेन्नई सेंट्रल डीएमके (DMK) के हाथों गंवा बैठी। इस तरह से इसबार मोदी लहर से ज्यादा मोदी सुनामी होने के बाद भी यहां बीजेपी का परफॉर्मेंस सीटों के लिहाज से शून्य (Zero) रहा। लेकिन, कोलकाता और चेन्नई के अलावा देश में 4 और मेट्रो हैं, जहां 2019 में बीजेपी ने 2014 वाला ही शानदार परफॉर्मेंस बरकरार रखा है। ये शहर है- दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु एवं हैदराबाद।
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बेंगलुरु की 4 में से 3 पर जीत
बेंगलुरु (Bengluru) में बीजेपी ने 2014 वाला परफॉर्मेंस बरकरार रखते हुए यहां की 4 में से 3 सीटें इसबार भी जीत लीं। यहां मोदी सुनामी को इस बात से झटका लगा है कि जब राज्यभर में बीजेपी ने क्लीन-स्वीप किया है, तो वह बेंगलुरु रूरल में क्यों पिछड़ गई। कांग्रेस यही एक सीट जीतकर राज्य में अपना चेहरा बचा पाई है, जो 2014 में भी उसी के पास थी। इसके अलावा हाईप्रोफाइल बेंगलुरु साउथ, बेंगलुरु नॉर्थ और बेंगलुरु सेंट्रल तीनों सीटों पर बीजेपी ने अपना कब्जा बरकरार रखा है।
हैदराबाद की सिकंदराबाद सीट पर कब्जा बरकरार
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में लोकसभा की दो सीटें हैदराबाद (Hyaderabad) और सिंकदराबाद (Secunderabad) हैं। इन दोनों में सिंकदराबाद (Secunderabad) लोकसभा सीट से बीजेपी 2014 में भी जीती थी और इसबार भी यहां उसका कब्जा बरकरार रहा है। लेकिन, हैदराबाद से वह इसबार भी एआईएमआईएम (AIMIM) के असदुद्दीन ओवैसी ही जीते हैं।
दिल्ली में सभी 7 सीटों पर जीत
मोदी की बड़ी जीत में 2014 की तरह ही 2019 में भी राजधानी दिल्ली (Delhi) की 7 सीटों ने बड़ी भागीदारी निभाई है। बीजेपी ने यहां की सारी सीटें इसबार भी जीतने में सफलता पाई है और उसका वोट शेयर भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के मुकाबले कहीं ज्यादा है। सबसे बड़ी दिलचस्प बात ये है कि विधानसभा में 70 में से 67 सीटें जीतने वाली अरविंद केजरीवाल की पार्टी के उम्मीदवारों की 3 सीटों पर जमानतें तक जब्त हो गई हैं।
मुंबई की सभी 6 सीटों पर कब्जा कायम
राजधानी दिल्ली की तरह ही मायानगरी मुंबई (Mumbai) ने भी इसबार 2014 की तरह ही मोदी का पूरा साथ दिया है। बीजेपी और शिवसेना गठबंधन ने मुंबई की सभी 6 सीटें दोबारा पा ली हैं, इनमें से 3 पर बीजेपी और 3 पर शिवसेना को जीत मिली है। आलम ये है कि यहां कांग्रेस के एक प्रत्याशी मिलिंद देवड़ा को बिजनेसमैन मुकेश अंबानी ने भी खुलकर समर्थन किया, लेकिन वो भी बीजेपी-शिवसेना गठबंधन से जीत नहीं पाए।
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