मोदी की अगुवाई वाला NDA अगले साल राज्यसभा में जुटा सकता है बहुमत। समझिए कैसे?
नई दिल्ली- नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले एनडीए को राज्यसभा में बहुमत के लिए 122 सांसद चाहिए। अगर एनडीए पूर्वी और दक्षिण भारत की कुछ क्षेत्रीय दलों का समर्थन जुटा लेता है, तो उसके लिए 2020 में राज्यसभा में बहुमत पा लेना मुमकिन हो सकता है। इनमें से कुछ पार्टियां तो ऐसी हैं, जो पहले भी एनडीए को समर्थन देती रही हैं। यह अनुमान एक लेजिस्लेटिव रिसर्च एजेंसी ने जताया है।
2020 में बीजेपी के सांसद बढ़ेंगे, कांग्रेस के घटेंगे
भारतीय जनता पार्टी को अपने एजेंडे के मुताबिक कई विवादास्पद विधेयकों को पास कराने के लिए दोनों सदनों में बहुमत की दरकार है। लोकसभा में तो अब उसके पास भारी बहुमत है। अगर वह कुछ क्षेत्रीय दलों को भी अपने साथ जोड़ ले तो अगले साल तक ऐसी स्थिति आ सकती है कि उसके पास राज्यसभा में भी पूर्ण बहुमत का जुगाड़ हो सकता है। ऐसे विधेयकों में बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले गैर-मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देने के मामले से जुड़ा बिल भी शामिल है। भारतीय संसद पर नजदीकी निगाह रखने वाली एक एजेंसी पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च का अनुमान है कि अगले साल तक बीजेपी के पास खुद के 83 सांसद हो सकते हैं, जो कि राज्यसभा में उसकी मौजूदा संख्या से 10 ज्यादा है। इसके ठीक उलट कांग्रेस के सदस्यों की संख्या में अगले साल तक 12 सीटें कम होने का अनुमान है, जो घटकर 38 तक पहुंच सकती है।
राज्यसभा में बहुमत से सिर्फ 15 सीटें दूर सकता है एनडीए
जब बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए की बात करेंगे, तो अगले साल तक इसके सांसदों की संख्या 107 तक पहुंचने का अनुमान है, जो उसके मौजूदा सांसदों की संख्या से 7 ज्यादा है। इसके बाद 243 सदस्यों वाले सदन में बहुमत के लिए एनडीए को सिर्फ 15 सांसदों की आवश्यकता रह जाएगी। एनडीए के सांसदों की संख्या में इजाफे का अनुमान पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने यूपी में 2017 में बीजेपी को मिली भारी बहुमत के आधार पर लगाया है। गौरतलब है कि राज्यसभा सांसदों का चुनाव राज्य विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है। जबकि, 12 सदस्यों को केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति नॉमिनेट करते हैं। ये सारे सदस्य 6 साल के लिए चुने जाते हैं और हर दूसरे साल बाद एक-तिहाई सांसदों का पद खाली हो जाता है, जिसके लिए चुनाव करवाए जाते हैं।
क्षेत्रीय दलों की जरूरत
पीआरएस का अनुमान है कि 2020 में बहुमत के लिए एनडीए को जो 15 सांसदों की जरूरत पड़ सकती है, उसे वह उन क्षेत्रीय पार्टियों के सहयोग से पूरा कर सकती है, जिनमें से कुछ पहले भी उसका साथ दे चुके हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सरकार के कई बिल इसलिए लटके रह गए, क्योंकि राज्यसभा में उसके पास बहुमत नहीं था। लिहाजा इस कार्यकाल में मोदी सरकार हर हाल में उन रुकवाटों को दूर करना चाहेगी, ताकि राज्यसभा उसके किसी बिल के लिए रुकावट न बने। सरकार के एजेंडे में ट्रिपल तलाक, बड़े इकोनॉमिक रिफॉर्म्स, लेबर रेग्यूलेशन में बदलाव और जमीन अधिग्रहण से जुड़े नियमों में बदलाव जैसे बड़े मुद्दे राज्यसभा के चलते ही लटके हुए हैं। खबरें हैं कि सरकार दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत जुटाने की कवायद में भी जुटी हुई है। ऐसा हो गया तो जम्मू-कश्मीर से जुड़े कई संवैधानिक संशोधन भी संभव हो सकते हैं, जो सरकार और खासकर बीजेपी के एजेंडे में है। जिसमें धारा-370 और धारा-35ए जैसे प्रावधान शामिल हैं। इनके अलावा कॉमन सिविल कोड का भी एक मुद्दा बीजेपी के एजेंडे में है।
पीआरएस का अनुमान: राज्य सभा में ऐसे मिल सकता है एनडीए को बहुमत
पार्टी.......................2019 में सीट ..............2020 में सीट
बीजेपी.......................73.............................83
एआईएडीएमके.............12..............................11
जेडीयू........................6................................4
शिवसेना.....................3................................3
अकाली दल..................3................................3
नगापीपुल्स फ्रंट...............1.............. ...............1
सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट...1.................................1
मिजो नेशनल फ्रंट.........0..................................1
कुल.......................99 ...............................107
एनडीए
के
संभावित
मित्र
पार्टी...................2019 में सीट..................2020 में सीट
बीजेडी..................9....................................9
टीआरएस..............6.....................................7
वाईएसआर कांग्रेस.....2.....................................6
मनोनित................4......................................3
अन्य...................0.....................................15
इसे भी पढ़ें- मोदी के मंत्री बोले, उद्धव के 10 बार भी अयोध्या जाने से कुछ नहीं होने वाला