2 BJP सांसदों ने लिया ताइवानी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में हिस्सा, चीन को कड़ा संदेश
नई दिल्ली। केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी सरकार ने चीन को अप्रत्यक्ष तौर पर एक कड़ा संदेश दिया है। ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग वेन के शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी के दो सांसदों ने इंटरनेट के जरिए शिरकत की। बीजेपी सांसद मिनाक्षी लेखी और राहुल कासवान ने ताइवान की राष्ट्रपति वेन को बधाई भी दी है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग निश्चित तौर पर भारत के इस फैसले से भड़क सकते हैं।
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ताइवान की राष्ट्रपति को दी बधाई
बुधवार को साइ इंग वेन ने ताइवान के राष्ट्रपति के तौर पर दूसरी बार शपथ ली है। मिनाक्षी लेखी और राहुल कासवान 41 देशों के उन 92 मेहमानों में शामिल थे जिन्होंने इंटरनेट के जरिए शपथ ग्रहण कार्यक्रम में विदेशी शख्सियतों के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। कोरोना वायरस की वजह से विदेश यात्रा कई देशों में फिलहाल बैन है। साल 2016 में वेन पहली बार देश की राष्ट्रपति बनी थीं। उस समय बीजेपी सरकार ने फैसला किया था कि किसी भी सांसद को शपथ ग्रहण कार्यक्रम में नहीं भेजा जाएगा। वेबसाइट द प्रिंट ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि लेखी और कासवान दोनों ने ही इस बात पर जोर दिया कि ताइवान और भारत साझा लोकतांत्रिक मूल्यों में यकीन रखते हैं। इसके अलावा लेखी ने साइ इंग वेन को अलग से बधाई संदेश भी भेजा जिसे कार्यक्रम में प्ले भी किया गया।
वन चाइना पॉलिसी किनारे !
भारत और ताइवान के बीच साल 2019 में द्विपक्षीय व्यापार 7.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। जबकि 20 साल पहले यानी साल 2000 में एक बिलियन डॉलर पर था। ताइवान ने भी साल 2016 से 2018 के बीच निवेश में 12 गुना तक इजाफा किया और साल 2018 में यह 360 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया। वहीं 2300 भारतीय छात्रों ने ताइवान के कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में एडमिशन लिया है। भारत के दो सांसदों का शपथ ग्रहण में हिस्सा लेने से साफ है कि भारत कहीं न कहीं चीन की 'वन चाइना पॉलिसी' को नजरअंदाज करने लगा है।
साइ इंग वेन को खतरा मानता है चीन
चीन, ताइवान को अपनी सीमा मानता है। उसने गुरुवार को कहा है कि वह ताइवान के लोगों को इसकी आजादी का विरोध का करने के लिए उकसाएगा ताकि इसे चीन में मिलाया जा सके। चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग की तरफ से आए इस बयान के बाद ताइवान से बीजिंग के रिश्ते बिगड़ सकते हैं। ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग वेन ने जनवरी में हुए चुनावों में विशाल जीत दर्ज की है। वेन, ताइवान की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की नेता हैं और वह अक्सर चीन के उनके देश पर दावे को पूरी तरह से इनकार कर देती हैं। बीजिंग भी उन्हें एक बड़े खतरे के तौर पर देखता है।
जिनपिंग को दी बड़ी सीख सलाह
63 साल की साइ इंग वेन ताइवान की राष्ट्रपति बनने वाली वह पहली महिला हैं। चीन हमेशा से कहता आया है कि वह मिलिट्री का प्रयोग करके ताइवान को अपने अधिकार में ले सकता है। 15 जनवरी 2020 को पेशे से टीचर रहीं साइ इंग वेन जब ने दोबारा चुनाव जीता तो उन्होंने चीन को स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कड़ा बयान दिया और कहा, 'हमें उम्मीद है कि चीन इस बात को पूरी तरह से समझता है और ताइवान के लोगों ने चुनावों में जो उम्मीद दिखाई है, उसे मानेगा।' जिनपिंग ने सपना देखा है कि साल 2049 तक ताइवान, चीन उनके देश की सीमा में आ जाएगा। फिलहाल साइ के रहते उनका यह सपना पूरा होते नहीं दिख रहा है।