मोदी सरकार 2.0 के 100 दिन का कामकाज: दावे और हकीकत
नई दिल्ली। मौजूदा एडीए सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे कर लिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मंत्री और सरकार से जुड़े लोग अपनी पीठ ठोक रहे हैं। वहीं विपक्षी दलों के नेता हर मोर्चे पर खासतौर से अर्थव्यवस्था, गिरती जीडीपी और जाती नौकरियों को लेकर सरकार को पूरी तरह फेल कह रहे हैं। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन के सरकार के दावों की हकीकत जानने की कोशिश करते हैं।
ऑटो सेक्टर में गिरावट पर सीतारमण के तर्क तथ्यों से परे
सरकार के सामने बीते कुछ वक्त में अर्थव्यवस्था में गिरावट को संभालना बड़ी चुनौती बनी हुई है। ऑटो सेक्टर में सबसे ज्यादा सुस्ती देखी जा रही है। करीब करीब सारी कंपनियां या तो काम के घंटे घटा रही हैं या उत्पादन बंद कर रही हैं। इस पर सोमवार को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि लोग ओला उबर जैसी सर्विस का इस्तेमाल बहुत ज्यादा कर रहे हैं इसलिए नई कारें नहीं बिक रही हैं।
निर्मला सीतारमण का ये बयान तथ्यों पर कहीं भी फिट नहीं होता है। लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर लोग अपनी कार खरीदना पसंद करते हैं। साइट का सर्वे कहता है कि 22 से 37 साल के 80 फीसदी लोग अपनी कार खरीदने को प्राथमिकता देते हैं। वहीं दूसरी आयु वर्ग के लोग भी ज्यादा खुश अपनी कार के साथ हैं ना कि ओला उबर या किसी और टैक्सी सर्विस से।
2021-22 तक 1.95 करोड़ घर बनाने का दावा
मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल में गरीबों के लिए घर बनाने की अपनी योजना का काफी प्रचार किया। सरकार की ओर से 2021-22 तक 1.95 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। भले सरकार दावा कुछ भी करे लेकिन ये भी हकीकत से परे की ही बात है। 2016-17 से 2018-19 तक 84 लाख घर बने जबकि टार्गेट एक करोड़ का था। आगे लक्ष्य को पाने के लिए हर साल 65 लाख घर बनाने होंगे। अब तक के काम को देखते हुए काम में करीब ढाई गुना तेजी की जरूरत होगी।
आठ करोड़ घरों को एलपीजी कनेक्शन
सरकार का दावा रहा है कि 2022 तक पूरे ग्रामीण भारत में गर घर को एलपीडी कनेक्शन मुहैया करा दिया जाएगा। सरकार अब तक आठ करोड़ घरों को एलपीजी देने का दावा करती रही है। पेट्रोलियम मंत्रालय के डाटा के अंदर देखें तो ये ज्यादा सही नजर आता है। मौजूदा कार्यकाल में सरकार पहले क्वार्टर में ही 70 लाख एलपीजी कनेक्शन दे चुकी है। हालांकि एक बड़ी संख्या ऐसे कनेक्शन की भी है जहां सिलेंडर को रिफिल ही नहीं कराया गया।
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संसद में कामकाज का रिकॉर्ड
सरकार का दावा है कि सत्ता में लौटने के बाद संसद में जिस रह से काम हुआ है, वो पहले कभी नहीं देखा गया। अमित शाह ने कहा कि बीते सत्र में 28 बिल पास हुए जो 20 साल मे सबसे ज्यादा नंबर है। डाटा के मुताबिक, बिल पास होने के लिहाज से 20 साल में संसद में सबसे ज्यादा काम हुआ है। संसद के आखिरी सत्र में काफी काम हुआ। लोकसभा में 281 घंटे और राज्यसभा में 195 घंटे काम हुआ।