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ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे सुरंग बनाकर चीन को घेरने की तैयारी, असम में एक बड़े प्रोजेक्‍ट को दी गई मंजूरी

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नई दिल्‍ली। चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर जारी टकराव के बीच ही भारत सरकार ने अब असम और अरुणाचल प्रदेश में निर्माण कार्यों को आगे बढ़ाने का मन बना लिया है। हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स की तरफ से एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार ने ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे चार लेन वाली टनल के निर्माण कार्य को मंजूरी दे दी है। यह टनल असम के गोहपुर और नुमालिगढ़ टाउन को जोड़ेगी। आपको बता दें कि ब्रह्मपुत्र नदी असम और अरुणाचल प्रदेश होती हुई तिब्‍बत और फिर चीन तक जाती है।

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चीन बॉर्डर के करीब पहली सुरंग

चीन बॉर्डर के करीब पहली सुरंग

यह पहला मौका है जब भारत किसी नदी के नीचे सुरंग का निर्माण करेगा। यह भी पहली बार होगा कि चीन बॉर्डर के करीब इस टनल का निर्माण होगा। कहा जा रहा है कि यह सुरंग चीन के जियांग्‍सू प्रांत के ताइहू झील के नीचे निर्मित हो रही सुरंग से लंबी होगी। यह टनल भारत के लिए रणनीतिक तौर पर काफी महत्‍वूपर्ण होने वाली है क्‍योंकि इसकी मदद से असम और अरुणाचल प्रदेश पूरे वर्ष आपस में जुड़े रह सकेंगे। इसके अलावा इस सुरंग की मदद से मिलिट्री सप्‍लाई और हथियारों की आपूर्ति में भी मदद मिल सकेगी। टनल के अंदर वाहन आसानी से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेंगे।

अमेरिकी कंपनी से किया गया करार

अमेरिकी कंपनी से किया गया करार

फिलहाल नेशनल हाइवेज एंड इफ्रांस्‍ट्रक्‍चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएआईडीसीएल) ने अमेरिकी कंपनी लुईस बर्जर से इस अंडरवॉटर टनल के लिए हाथ मिलाया है। इस प्रोजेक्‍ट को मार्च में ही केंद सरकार की तरफ से मंजूरी दे दी गई थी। एनएचएआईडीसीएल के सीनियर ऑफिसर्स का कहना है कि इस सुरंग का निर्माण दिसंबर में शुरू होगा और इसे तीन चरणों में तैयार किया जाएगा। यह करीब 14.85 किलोमीटर लंबी होगी। चीन के जियांग्‍सू में जो सुरंग है वह 10.79 किलोमीटर लंबी है। इसके अलावा इसे डिजाइन करने में सुरक्षा के कड़े मानकों का ध्‍यान रखा जाएगा ताकि किसी भी प्रकार से पानी इसके अंदर न जाने पाए।

सुरक्षा के कड़े उपाय

सुरक्षा के कड़े उपाय

इसके अलावा इसमें वेंटीलेशन सिस्‍टम, आग से बचाने वाला सुरक्षा तंत्र, फुटपाथ, ड्रेनिंग सिस्‍टम और इमरजेंसी एग्जिट जैसे अहम सुरक्षा उपाय भी किए जाएंगे। यह टनल क्रैश बैरियर्स से लैस होगी। सेना ने सरकार से कहा था कि वह इंग्लिश चैनल की तर्ज पर ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे सुरंगों के निर्माण के बारे में सोचे। सेना का मानना है कि पुलों को दुश्‍मन आसानी से निशाना बना सकते हैं लेकिन सुरंग होने से ऐसा नहीं हो सकेगा। सरकार की तरफ से यह फैसला तब दिया गया है जब लद्दाख में एलएसी पर टकराव जारी है।

दुनिया की 9वीं सबसे बड़ी नदी

दुनिया की 9वीं सबसे बड़ी नदी

ब्रह्मपुत्र नदी को तिब्‍बत में यारलुंग सांगपो, अरुणाचल प्रदेश में सियांग/दिहांग नदी और असम में लुईत दिलाओ के नाम से भी जानते हैं। यह नदी चीन, भारत और बांग्‍लादेश के बीच सीमा की तरह है और एक प्रकार से ट्रांस-बॉर्डर के तौर पर बहती है। पानी के बहाव के लिहाज से यह दुनिया की 9वीं सबसे बड़ी और लंबाई के हिसाब से 15वीं सबसे बड़ी नदी है। ब्रह्मपुत्र नदी करीब 3,969 किलोमीटर लंबी है। नदी की औसत गहराई करीब 124 फीट है। यह नदी मानसरोवर झील क्षेत्र से निकलती है जो कैलाश पर्वत के करीब है। यह दक्षिणी तिब्‍बत से बहती हुई अरुणाचल आती है। असम में यह दक्षिण-पश्चिम दिशा से बहती हुई जब बांग्‍लादेश जाती है तो वहां उसे जमुना के नाम से जानते हैं।

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English summary
Modi govt gives approval for tunnel under the Brahmaputra amid tension with China.
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