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जानिए, कौन है वो समुदाय जिसका मोदी सरकार ने खत्म कर दिया आरक्षण!

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बेंगलुरू। राज्यसभा द्वारा पास कराए गए संविधान संशोधन (126वां) बिल में प्रावधानित संसद के एंग्लों इंडियन का कोटा समाप्त कर दिया गया है। संसद में एंग्लो इंडिया कोटे के तहत पिछले 70 वर्षों से संसद का प्रतिनिधुत्व करने वाले 2 सीटों पर आरक्षण गुरुवार को राज्यसभा में बिल पर चर्चा के बाद हुई वोटिंग के बाद समाप्त हो गया है।

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इसी बिल में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति समुदायों के आरक्षण को दस वर्ष बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। राज्यसभा में बिल पास होने के बाद अब 25 जनवरी, 2013 तक एससी-एसटी समुदायों के आरक्षण को बढ़ा दिया गया है। फिलहाल आरक्षण 25 जनवरी, 2020 को समाप्त हो रहा है।

गौरतलब है संविधान संशोधन (126वां) बिल को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में पेश किया। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 296 एंग्लो इंडियन हैं। हालांकि टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने इसका विरोध किया।

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उन्होंने कहा कि देश में एंग्लो इंडियन समुदाय के 3 से 3.5 लाख लोग हैं। इससे पहले लोकसभा में भी कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी और बीजेडी के सांसदों ने बिल का प्रस्ताव का विरोध किया था और कहा कि मंत्री के डेटा घोर अतिशयोक्ति है।

खुद एक एंग्लो इंडियन सांसद चुने गए टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि एंग्लो इंडियन हमेशा से फॉरवर्ड समुदाय रहा है। मैं यहां पर एक एंग्लो इंडियन के तौर पर अपनी बात रख रहा हूं। ये बहुत छोटा समुदाय है, लेकिन बहुत असरदार है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले 72 साल में सिर्फ एक एंग्लो इंडियन यहां पर चुनकर भेजा गया, ये सिर्फ ममता बनर्जी ने किया।

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उन्होंने बताया कि सेना, रेलवे जैसे संस्थानों में एंग्लो इंडियन काम करते हैं। एंग्लो-इंडियन समुदाय को संसद में आरक्षण को आर्टिकल 334 में शामिल किया गया है। आर्टिकल 334 कहता है कि एंग्लो-इंडियन को दिए जाना वाला आरक्षण 40 साल बाद खत्म हो जाएगा। संविधान खंड को 1949 में शामिल किया गया था।

उल्लेखनीय है भारतीय संसद लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति से मिलकर बनती है। देश में लोकसभा के लिए अधिकतम 552 सदस्य (530 राज्य + 20 केंद्र शासित प्रदेश + 2 एंग्लो इंडियन) हो सकते हैं, लेकिन विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लोकसभा के लिए केवल 543 सदस्य चुने जाते हैं।

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यदि चुने गए 543 सांसदों में एंग्लो इंडियन समुदाय का कोई सदस्य नहीं चुना जाता है तब भारत का राष्ट्रपति इस समुदाय के 2 सदस्यों का चुनाव कर सकता है। वर्तमान में लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के दो एंग्लो-इंडियन सांसद हैं। ये हैं केरल के रिचर्ड हे और पश्चिम बंगाल के जॉर्ज बेकर।

संविधान के अनुच्छेद 366 (2) के तहत एंग्लो इंडियन ऐसे किसी व्यक्ति को माना जाता है जो भारत में रहता हो और जिसका पिता या कोई पुरुष पूर्वज यूरोपियन वंश के हों। यह शब्द मुख्य रूप से ब्रिटिश लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो कि भारत में काम कर रहे हों और भारतीय मूल के हों।

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एंग्लो-इंडियन एकमात्र समुदाय है, जिसके प्रतिनिधि लोकसभा के लिए नामित होते हैं, क्योंकि इस समुदाय का अपना कोई निर्वाचन क्षेत्र नहीं है। यह अधिकार फ्रैंक एंथोनी ने जवाहरलाल नेहरू से हासिल किया था। एंग्लो-इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व लोकसभा में दो सदस्यों द्वारा किया जाता है।

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अनुच्छेद 331 के तहत राष्ट्रपति लोकसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय के दो सदस्य नियुक्त करते हैं। इसी प्रकार विधान सभा में अनुच्छेद 333 के तहत राज्यपाल को यह अधिकार है कि (यदि विधानसभा में कोई एंग्लो इंडियन चुनाव नहीं जीता है) वह 1 एंग्लो इंडियन को सदन में चुनकर भेज सकता है।

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बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, झारखंड, उत्तराखंड और केरल जैसे राज्यों में विधान सभा के लिए एंग्लो इंडियन समुदाय का एक-एक सदस्य नामित है जबकि वर्तमान में लोकसभा में 2 सदस्य भारतीय जनता पार्टी की तरफ से नामित हैं।

चूंकि नियमानुसार एंग्लो इंडियन समुदाय का आरक्षण 2020 तक निर्धारित है, लेकिन राज्यसभा में पास हुए बिल में एंग्लो इंडियन के आरक्षण खत्म करने का प्रावधान किया था। इसलिए इस बिल के कानून बनने के बाद 25 जनवरी, 2020 को लोकसभा में एंग्लो इंडियन का प्रतिनिधुत्व संसद में इतिहास बनकर रह जाएगा।

यह भी पढ़ें- 1 फरवरी 2020 को मोदी सरकार पेश कर सकती है अपना दूसरा आम बजट, इनकम टैक्स में मिल सकती है बड़ी राहत

रिचर्ड हे और जॉर्ज बेकर होंगे संसद के आखिरी एंग्लो इंडियन सांसद

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मोदी सरकार की नई घोषणा के बाद एंग्लो इंडियन समुदाय के लोगों के लिए सीटें आरक्षित नहीं होंगी। हालांकि हर दस साल के बाद एंग्लो इंडियन के आरक्षण को लेकर समीक्षा होती है, जिसमें तय होता है कि इन दो आरक्षित सीटों पर आरक्षण रखा जाए या नहीं। चूंकि इस बार 25 जनवरी 2020 को पूर्व चयनित सदस्यों की आरक्षण की अवधि समाप्त हो रही है, लेकिन कैबिनेट ने नहीं बढ़ाने का फ़ैसला किया है।

भारत के पहले एंग्लो इंडियन सांसद थे फ्रैंक एंथोनी

भारत के पहले एंग्लो इंडियन सांसद थे फ्रैंक एंथोनी

यह अधिकार फ्रैंक एंथोनी ने भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने सबसे पहले लिया था। अखिल भारतीय एंग्लो-इंडियन एसोसिएशन के पहले और लंबे समय तक प्रेसीडेंट रहे फ्रैंक एंथोनी लगातार 7 बार संसद के लिए मनोनीत किए गए थे। उन्हें संसद के निचले सदन के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार मनोनीत किया था।

एंग्लो इंडियन किन्हें कहा जाता है?

एंग्लो इंडियन किन्हें कहा जाता है?

संविधान के अनुच्छेद 366 (2) के तहत एंग्लो इंडियन ऐसे किसी व्यक्ति को माना जाता है जो भारत में रहता हो और जिसका पिता या कोई पुरुष पूर्वज यूरोपियन वंश के हों। यह शब्द मुख्य रूप से ब्रिटिश लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो कि भारत में काम कर रहे हों और भारतीय मूल के हों।

भारत के 10 विधानसभाओं में नामित होते हैं एंग्लो इंडियन

भारत के 10 विधानसभाओं में नामित होते हैं एंग्लो इंडियन

एंग्लो-इंडियन एकमात्र समुदाय है जिसके प्रतिनिधि लोकसभा के लिए नामित होते हैं, क्योंकि इस समुदाय का अपना कोई निर्वाचन क्षेत्र नहीं है. यह अधिकार फ्रैंक एंथोनी ने जवाहरलाल नेहरू से हासिल किया था। एंग्लो-इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व लोकसभा में दो सदस्यों द्वारा किया जाता है। फिलहाल, भारत के दस राज्‍यों में एंग्‍लो-इंडियन समुदाय के सदस्‍य को विधानसभा के लिए नामित किया जाता है। इनमें पश्चिम बंगाल, उत्‍तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, झारखंड और महाराष्‍ट्र शामिल हैं।

एंग्लो इंडियन समुदाय की भारत में है आबादी बेहद कम

एंग्लो इंडियन समुदाय की भारत में है आबादी बेहद कम

यह स्पष्ट है कि भारत की जनसांख्यिकीय संरचना के अंतर्गत, आंग्ल भारतीय समुदाय की आबादी अल्पसंख्यक है और देश में एक विशेष स्थिति रखती है। इनकी आबादी कम होने के कारण, समुदाय का कई बार संसद के दोनों सदन अर्थात् लोकसभा या निम्न सदन और राज्यसभा या उच्च सदन में पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व नहीं हो पाता है। चूंकि भारत एक द्विसदनीय विधायिका का पालन करता है जहां लोकसभा के सदस्य प्रत्यक्ष रूप से देश की जनता द्वारा चुने जाते हैं, ऐसा पाया गया है कि अधिकतर आंग्ल भारतीय समुदाय के सदस्य निर्वाचित नहीं किए जाते हैं। ऐसे मामलों में, जब यह महसूस होता है कि समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं किया गया है तो भारत के राष्ट्रपति लोकसभा में सांसदों के रूप में इस समुदाय के दो सदस्यों को नियुक्त करते हैं।

डेरेक ओ ब्रायन पहले एंग्लो इंडियन जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में भाग लिया

डेरेक ओ ब्रायन पहले एंग्लो इंडियन जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में भाग लिया

डेरेक ओ 'ब्रायन, पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सांसद भारत में राष्ट्रपति चुनावों में मतदान करने वाले पहले एंग्लो इंडियन बने। तृणमूल कांग्रेस के सांसद ब्रायन ने 19 जुलाई 2012 को कोलकाता में अपना वोट डाला। भारत के संविधान के अनुसार एक सांसद जो राष्ट्रपति द्वारा भारतीय संसद के किसी भी सदन में नामित किया गया है, राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने के लिए योग्य नहीं है।

Comments
English summary
The Constitution Amendment (126th) bill was introduced in the Rajya Sabha by Law Minister Ravi Shankar Prasad. Ravi Shankar Prasad said that according to the 2011 census there are 296 Anglo Indians in the country. However, TMC MP Derek O'Brien opposed it, saying that there are 3 to 3.5 lakh people from the Anglo Indian community in the country. Earlier in the Lok Sabha also, MPs of Congress, DMK, TMC and BJD opposed the proposal of the bill.
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