अमेरिकी थिंक टैंक फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट को भारत सरकार ने किया खारिज, हर प्वाइंट पर दिया जवाब
नई दिल्ली: दो दिन पहले अमेरिका में स्थित एक संस्थान ने भारत को लेकर रिपोर्ट जारी की। जिसमें दावा किया गया कि भारत में पहले की तुलना स्वतंत्रता काफी कम हुई है। इसके अलावा रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी आलोचना की गई है। रिपोर्ट को जारी करने वाले संस्थान का नाम फ्रीडम हाउस है, जो एक थिंक टैंक है। रिपोर्ट के बाद मोदी सरकार भी विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई, जिस वजह से अब बकायदा इस पर प्वाइंट टू प्वाइंट सफाई दी गई है।
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सरकार ने खंडन करते हुए कहा कि जो रिपोर्ट अमेरिकी थिंक टैंक ने जारी की है, वो भ्रामक और गलत है। भारत में राष्ट्रीय स्तर पर एक सरकार है, जबकि राज्यों में अलग-अलग पार्टियों का शासन है। ये शासन निष्पक्ष और स्वतंत्र आयोग द्वारा करवाया गए चुनाव के बाद पार्टियों को मिला है। ये एक जीवंत लोकतंत्र के काम को दर्शाता है, जो अलग-अलग विचार रखने वालों को जगह देता है।
बयान में आगे कहा गया कि भारत सरकार अपने सभी नागरिकों के साथ देश के संविधान के तहत समानता के साथ व्यवहार करती है। साथ ही सभी कानून बिना किसी भेदभाव के लागू होते हैं। कानून और व्यवस्था से संबंधित मामलों में कानून की प्रक्रिया का पालन किया जाता है। वहीं जिस दिल्ली दंगे का रिपोर्ट में जिक्र है, उस मामले में कानून संबंधित सभी मनीनरी ने तुरंत और निष्पक्ष तरीके से काम किया। इसके अलावा राजद्रोह कानून के संदर्भ में केंद्र ने कहा कि सुरक्षा-व्यवस्था और पुलिस दोनों ही राज्यों के अंतर्गत आते हैं। अपराधियों के खिलाफ जो भी कार्रवाई होती है, वो पूरी तरह से कानून के दायरे में रहती है।
भारत में पहले की तुलना में 'आजादी' हुई थोड़ी कम, जानिए फ्रीडम हाउस ने अपनी रिपोर्ट में और क्या बताया
लॉकडाउन के सवाल पर कहा गया कि महामारी को देखते हुए केंद्र और राज्य के हालातों को देखते हुए फैसला लिया गया था। अगर एक राज्य से दूसरे राज्य में लोग आते जाते तो संक्रमण और तेजी से फैलता। लॉकडाउन के दौरान लोगों को दिक्कत ना हो, इसके लिए भी सरकार ने कदम उठाए। वहीं मानवाधिकार के मामले में मोदी सरकार ने कहा कि भारत में इसके लिए कई नियम कानून हैं, जिसमें से प्रोटेक्शन ऑफ ह्यूमन राइट्स एक्ट 1993 एक है। इसी के तहत नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन और स्टेट ह्यूमन राइट्स कमीशन बनाए गए हैं।
मीडिया
और
शिक्षाविदों
पर
कही
ये
बात
शिक्षाविदों
और
मीडिया
को
धमकी
के
बारे
में
कहा
कि
भारत
के
संविधान
में
आर्टिकल
19
के
तहत
अभिव्यवक्त
की
आजादी
है।
चर्चा,
बहस
और
असहमति
भारतीय
लोकतंत्र
का
हिस्सा
है।
भारत
सरकार
पत्रकारों
सहित
देश
के
सभी
निवासियों
की
सुरक्षा
को
सबसे
अधिक
अहमियत
देती
है।
पत्रकारों
के
लिए
सभी
राज्यों
और
केंद्रशासित
प्रदेशों
को
केंद्र
की
ओर
से
निर्देश
भी
जारी
किए
गए
हैं।
वहीं
जिस
इंटरनेट
शटडाउन
का
जिक्र
रिपोर्ट
में
है,
वो
,
टेम्पररी
सस्पेंशन
ऑफ
टेलीकॉम
सर्विसेज
(पब्लिक
इमरजेंसी
या
पब्लिक
सेफ्टी)
रूल्स,
2017
के
तहत
होते
हैं।