बैंकिंग सेक्टर के लिए अरुण जेटली के इस 'ब्लूप्रिंट' के साथ आगे बढ़ी मोदी सरकार
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लेते हुए 10 सरकारी बैंकों के विलय का ऐलान किया था। बैंकिंग सेक्टर में सुधार के लिए मोदी सरकार ने ये बड़ा कदम उठाया है। मोदी सरकार के फैसले के बाद सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 रह जाएगी, जो की पहले 27 थी। निर्मला सीतारमण के इस ऐलान के बाद मोदी सरकार बैंकिंग क्षेत्र में पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली के 'ब्लू प्रिंट' पर आगे बढ़ती दिखाई दे रही है। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली देश में चुनिंदा बैंकों के पक्ष में थे।
इन बैंकों का होगा विलय
मोदी सरकार ने 10 सरकारी बैंकों का विलय कर 4 सरकारी बैंक बनाने की घोषणा की। पंजाब नेशनल बैंक में ओबीसी बैंक और यूनाइटेड बैंक के विलय की घोषणा की गई। वहीं, केनरा बैंक के साथ सिंडिकेट बैंक के विलय को मंजूरी दी गई। इसके अलावा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक के विलय को मंजूरी दी गई। वहीं इंडियन बैंक के साथ इलाहाबाद बैंक का आपस में विलय किया जाएगा।
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क्या थी अरुण जेटली की राय
अरुण जेटली का तर्क था कि बैंकिंग सेक्टर में मितव्ययिता के साथ काम करने के लिए देश को गिने-चुने बड़े बैंकों की आवश्यकता है। उनका कहना था कि भारत को गिने-चुने बड़े बैंकों की जरूरत है जो हर मायने में मजबूत हों। कर्ज की दर से लेकर बड़े पैमाने की मितव्ययिता के अनुकुलतम उपयोग तक में इसका लाभ उठाने में मदद मिलेगी। बता दें कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ उसके पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक के 2017 में विलय के बाद मोदी सरकार ने जेटली के वित्तमंत्री रहते ही देना बैंक, विजया बैंक के बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय को मंजूरी दी थी।
बैंकों के मर्जर के बाद 12 सरकारी बैंक ही रह जाएंगे
1.
पंजाब
नेशनल
बैंक:
यूनाइटेड
बैंक
ऑफ
इंडिया+ओरिएंटल
बैंक
ऑफ
कॉमर्स
2.
केनरा
बैंक+
सिंडिकेट
बैंक
3.
इलाहाबाद
बैंक+इंडियन
बैंक
4.
यूनियन
बैंक
ऑफ
इंडिया+आंध्रा
बैंक+कॉरपोरेशन
बैंक
5.
बैंक
ऑफ
इंडिया
6.
बैंक
ऑफ
बड़ौदा
7.
बैंक
ऑफ
महाराष्ट्र
8.
सेंट्रल
बैंक
ऑफ
इंडिया
9.
इंडियन
ओवरसीज
बैंक
10.
पंजाब
एंड
सिंध
बैंक
11.
स्टेट
बैंक
ऑफ
इंडिया
12.
यूको
बैंक