अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे पर बीजेपी से दो-दो हाथ के मूड में शिवसेना, VHP ने भी बढ़ाया टेंशन
नई दिल्ली। चुनावों के दौर में राम मंदिर मुद्दा अक्सर गर्म रहता है। बीजेपी अपने पार्टी मेनिफेस्टो से लेकर चुनावी रैलियों में आयोध्या में राम मंदिर का जिक्र करती रही है, लेकिन इस बार लोगों ने सत्तारूढ़ बीजेपी को घेरने का फैसला लिया है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और शिवसेना ने आयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जहां तक तरफ विश्व हिंदू परिषद ने संतों के साथ बैठक कर सरकार को इस मुद्दे पर ऑर्डिनेंस लाने की चुनौती दी है, तो वहीं शिव सेना ने भी सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ने की तैयारी कर ली है।
5 अक्टूबर को दिल्ली में बैठक हुई, जिसमें यह फैसला लिया गया कि आयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए मोदी सरकार पर दबाव डाला जाए। संतों ने मांग की थी कि केंद्र सरकार जल्दी ही राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश लाये और अगले संसद के सत्र में अध्यादेश पर कानून बनाया जाए। वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 31 जनवरी और 1 फरवरी को इलाहाबाद कुंभ में धर्म संसद होगी जिसमें 30 हजार संत शामिल होंगे। अध्यादेश न आने पर वहीं आगे की रणनीति तय करेंगे।
उधर शिव सेना ने भी राम मंदिर के मसले पर सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है। शिव सेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने आयोध्या में मार्च निकालने का निर्णय लिया है। शिवसेना भी राम मंदिर मु्द्दे पर अध्यादेश के पक्ष में दिख रही है। शिवसेना ने हाल ही में कहा था कि जब बाबरी मस्जिद गिराई गई तब कोर्ट को नहीं पूछा, तो राम मंदिर बनाने के लिए कोर्ट से क्यों पूछा जा रहा है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट 28 अक्टूबर से इस मामले में अपनी सुनवाई शुरू करेगी।
उधर सरकार इस मुद्दे पर फिलहाल कुछ भी बोलना उचित नहीं समझ रही है। चुनावों के मौसम में बीजेपी अगर कोर्ट से इतर राम मंदिर मुद्दे पर वीएचपी और शिवसेना का समर्थन करती है, तो इससे एक गलत संदेश जा सकता है। उधर विपक्ष और कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियाों ने भी अपने आप को इस मुद्दे से फिलहाल किनारे कर दिया है।
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