धान के किसानों को मोदी सरकार देगी बड़ा तोहफा, MSP में होगी अबतक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी
नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी किसी भी तरह की कसर नहीं छोड़ना चाहती है, लिहाजा केंद्र सरकार मिनिमम सपोर्ट प्राइस में इस बार सर्वाधिक बढ़ोतरी की तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार इस बार खरीफ के मौसम में धान की फसल की न्यूनमत कीमत को बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इस बार होने वाले बजट में सरकार धान के किसानों को उनकी फसल का सर्वाधिक न्यूनतम मूल्य दे सकती है। माना जा रहा है कि इस बार न्यूनतम कीमत लागत से कम से कम डेढ़ गुना दी जा सकती है।
बदल सकता है 2019 का गणित
सरकार के भीतर के शीर्ष सूत्रों की मानें तो सरकार धान की फसल का एमएसपी बढ़ाने की तैयारी कर रही है, जिसे 200 रुपए प्रति कुंतल तक बढ़ाया जाएगा। पिछले वर्ष धान की न्यूनतम कीमत 1550 रुपए प्रति कुंतल थी। इससे पहले सर्वाधिक एमएसपी में बढ़ोतरी यूपीए-1 के कार्यकाल में की गई थी, उस वक्त 2008-09 में धान की न्यूनतम कीमत में 150 रुपए की बढ़ोतरी की गई थी। जिस तरह से 2008-09 में यूपीए सरकार के कार्यकाल के आखिरी समय में एमएसपी में बढ़ोतरी की गई थी, उसी तरह इस बार भी सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिरी वर्ष में एमएसपी में बढ़ोतरी का फैसला लिया है।
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12000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा
माना जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से कुल 12000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा। पिछले वर्ष चावल का उत्पादन 36 मिलियन टन हुआ था, जबकि कुल 55 मिलियन टन धान की पैदावार हुई थी। पिछले हफ्ते गन्ना किसानों से बात करते हुए पीएम मोदी ने वायदा किया था कि वह खरीफ की फसल की कीमत में 150 फीसदी की बढ़ोतरी करेंगे। इस वर्ष बजट के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि मैं इस बात की घोषणा करते हुए काफी खुश हूं कि सरकार ने अघोषित खरीफ की फसल की एमएसपी में 150 फीसदी बढ़ोतरी का फैसला लिया है। मुझे भरोसा है कि यह ऐतिहासिक फैसला किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य की ओर बड़ा कदम है।
महंगाई बढ़ने का डर
इसके साथ ही सरकार दालों की एमएसपी में 200 रुपए प्रति कुंतल बढ़ोतरी करने की योजना बना रही है। माना जा रहा है कि सरकार मूंग की दाल की एमएसपी को 500 रुपए प्रति कुंतल तक बढ़ा सकती है। सरकार के इस फैसले से देश में किसानों के बड़े तबके में खुशी की लहर दौड़ सकती है, लेकिन इस अतिरिक्त बोझ की वजह महंगाई की मार भी पड़ सकती है। सरकार पर इस बात का दबाव रहेगा कि वह कैसे महंगाई को बढ़ने से रोके।
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