मोदी सरकार उठाने जा रही बड़ा कदम, LIC पॉलिसी होल्डर्स जरूर पढ़ें ये खबर
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कर्ज से बोझ तले दबे आईडीबीआई बैंक को उबारने के लिए एलआईसी की मदद लेने की योजना तैयार कर ली है और इसे लेकर बातचीत शुरू हो गई है। सरकार आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहता है। ऐसे में देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी जीवन बीमा निगम बैंकिंग सेक्टर में अपनी दस्तक दे देगी। आईडीबीआई बैंक में सरकार की 85 फीसदी हिस्स्तेदारी है। ऐसे में बैंक को घाटे से उबारने के लिए सरकार अपनी हिस्सेदारी एलआईसी के हाथों बेच सकती हैं, हालांकि सरकार अपनी कितने हिस्सेदारी बेचेगी इसे लेकर फैसला नहीं हो सका है, लेकिन अगर एलआईसी और आईडीबीआई के बीच साझेदारी होती है तो LIC पॉ लिसी होल्डर पर बड़ा असर पड़ना तय माना जा रहा है।
LIC पॉलिसी होल्डर्स के लिए खास खबर
आईडीबीआई बैंक पर भारी डूबे कर्ज का बोझ है। सरकार बैंक के पुनरोद्धार के लिए एलआईसी की मदद ले सकती है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इस योजना के शुरुआती तौर तरीके तय किए जा रहे हैं। सरकार IDBI बैंक के सामने खड़ी NPA की समस्या से निपटने के लिए IDBI बैंक को देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी के हाथों में सौंप ने की तैयारी कर रही है। आपको बता दें कि एलआईसी के पास लोगों की जमा पूंजी है। लोग अपनी बचत का बड़ा हिस्सा बीमा के तौर पर एलआईसी के पास रखते हैं। लाखों-करोड़ों लोगों के भविष्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी एलआईसी के पास है। एक आंकड़े के मुताबिक हर साल एलआईसी करीब 20 लाख पॉलिसी जारी करती है। एलआईसी के पास 250 मिलियन लोगों के भविष्य की जिम्मेदारी है, जिन्होंने एलआईसी से करीब 300 मिलियन लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी ली है। एलआईसी के पास सालाना करीब 3 लाख करोड़ का प्रीमियम जमा होता है।
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आपके प्रीमियम का पैसा बैंक को बचाने में होगा इस्तेमाल
लोग अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए एलआईसी में अपनी जमा पूंजी निवेश करते हैं। यहीं सोचकर निवेश किया जाता है कि भविष्य मे वो और उनका परिवार सुरक्षित रहेगा। अगर एलआईसी और आईडीबीआई बैंक के बीच साझेदारी हो जाती है तो इसका साफ मतलब है कि जो पैसा आप अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए एलआईसी की पॉलिसी में निवेश करते हैं और बतौर प्रीमियम जमा करते हैं अब उसका इस्तेमाल बैंक को डूबने से बचाने के लिए किया जाएगा।
IDBI बैंक में LIC के निवेश पर सवाल क्यों ?
IDBI बैंक के उद्धार के लिए सरकार LIC का सहारा ले रही है। ऐसे में एलआईसी पॉलिसी होल्डर्स के मन में ये सवाल जरूर खड़ा हो रहा है कि क्या ये फैसला उनके लिए सही है। क्या सरकार के इस फैसले से उनके द्वारा भविष्य के लिए जमा की गई पूंजी सुरक्षित रहेगी और क्या एलआईसी के निवेश से आईडीबीआई बैंक के एनपीए की समस्या खत्म हो जाएगी।
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बैंकिंग सेक्टर में उतरना चाहती है LIC
आपको बता दें कि बीमा कंपनी एलआईसी के पास बड़ा कैपिटल है। लोगों के प्रीमियम से लेकर निवेश की वजह से एलआईसी कैपिटल मामले में धनी है। ऐसे में कंपनी काफी लंबे वक्त से बैंकिंग सेक्टर में उतरने का मन बना रही है। केंद्र सरकार ने एलआईसी को शेयर बाजार में निवेश की भी अनुमति दी, लेकिन इससे पॉलिसी होल्डर्स की जमा पूंजी पर खतरा बढ़ गया। ऐसे में कंपनी ने बैंकिंग सेक्टर में निवेश के लिए कई सरकारी बैंकों में कुछ हिस्सेदारी खरीदी। अब सरकार एलआईसी की इसी चाहत का फायदा उठाना चाहती है। सरकार आईडीबीआई बैंक की हिस्सेदारी छोड़ने की कवायद कर रही है। ऐसे में एलआईसी के पास भी मौका है कि खुद के लिए एक बैंक तैयार करने का।
कहां आ सकती है मुश्किल
आपको बता दें कि बतौर बीमा कंपनी एलआईसी लोन मार्केट में बड़ी हिस्सेदारी रखती है। साल 2017 में एलआईसी से 1 ट्रिलियन रुपए से अधिक का कर्ज बांटा था। लेकिन अगर एलआईसी खुद बैंकिंग सेक्टर में उतरती हैं तो उसके सामने भी एनपीए से निपटने की चुनौती होगी। एलआईसी को भी बैड लोन से निपटना होगा। इसके साथ-साथ सबसे अहम बात कि क्या एलआईसी के पास स्वतंत्र रूप से बैंक चलाने की क्षमता है और अगर LIC बैंकिंग सेक्टर में उतरती हैं तो पॉलिसी होल्डर्स के पैसे को सुरक्षित रख सकेगी।