मोदी सरकार ने नई नौकरियों पर लगाई रोक -जानें इस दावे का सच: फ़ैक्ट चेक
वित्त मंत्रालय के एक सर्कुलर के हवाले से यह कहा जा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार ने नई नौकरियों पर पूरी तरह रोक लगा दी है. जानिए क्या है हक़ीक़त.
वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के एक कार्यालय ज्ञापन के हवाले से सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने नई नौकरियों की भर्ती पर रोक लगा दी है.
व्यय विभाग ने 4 सितंबर को इस ज्ञापन को जारी किया था. बीबीसी हिंदी के फ़ैक्ट चेक व्हाट्सऐप नंबर पर भी कई पाठकों ने इस ज्ञापन की कटिंग भेजकर इसकी सत्यता जाननी चाही है.
इस ज्ञापन में लिखा है कि सार्वजनिक और ग़ैर-विकासात्मक ख़र्चों को कम करने के लिए वित्त मंत्रालय समय-समय पर ख़र्चों के प्रबंधन के लिए निर्देश जारी करता रहा है. जिसके मद्देनज़र आर्थिक निर्देशों को तुरंत लागू किया जा रहा है.
साथ ही यह भी कहा गया है कि वर्तमान आर्थिक स्थिति को देखते हुए ज़रूरी ख़र्चों को बनाए रखने के लिए यह फ़ैसला लिया जा रहा है. इसमें सभी मंत्रालयों/विभागों और उनके अधीनस्थ कार्यालयों के लिए ये निर्देश जारी किए गए थे.
इसमें पोस्टर, डायरी छापने पर प्रतिबंध के अलावा स्थापाना दिवस मनाने जैसे कार्यक्रमों पर रोक और परामर्शदाताओं की छंटनी के निर्देश दिए गए थे. हालांकि, इन सबसे अलग सबसे अधिक चर्चा हुई दूसरे पन्ने पर मौजूद निर्देशों की.
इसमें कहा गया था कि नए पदों के सृजन पर रोक रहेगी लेकिन व्यय विभाग, मंत्रालय/विभाग, अधीनस्थ कार्यालय, वैधानिक निकाय आदि चाहें तो उनकी अनुमति के बाद पदों का सृजन हो सकता है.
इसके अलावा कहा गया कि अगर कोई पद 1 जुलाई 2020 के बाद बनाया गया है और उस पर किसी की बहाली नहीं हुई है तो उसको तुरंत समाप्त कर दिया जाए.
सोशल मीडिया पर क्या कहा जा रहा?
व्यय विभाग के इस कार्यालय ज्ञापन के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर यह मुद्दा छा गया. कई अख़बारों ने इसे अपने यहां जगह दी.
एक अख़बार की कटिंग को राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि कोविड-19 के बहाने सरकारी दफ़्तरों को स्थाई कर्मचारियों से मुक्त किया जा रहा है.
मोदी सरकार की सोच -
'Minimum Govt Maximum Privatisation'कोविड तो बस बहाना है,
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 5, 2020
सरकारी दफ़्तरों को स्थायी ‘स्टाफ़-मुक्त’ बनाना है,
युवा का भविष्य चुराना है,
‘मित्रों’ को आगे बढ़ाना है।#SpeakUp pic.twitter.com/Lu8BKjJ7bg
इसके बाद वित्त मंत्रालय के एक विभाग के कार्यालय ज्ञापन को इस तरह से सोशल मीडिया पर फैलाया जाने लगा कि केंद्र की मोदी सरकार ने सभी नौकरियों पर रोक लगा दी है.
4 सितंबर का कार्यालय ज्ञापन सोशल मीडिया पर अभी भी चर्चा का विषय बना हुआ है.
क्या है सच?
सोशल मीडिया पर इस कार्यालय ज्ञापन के वायरल होने के बाद वित्त मंत्रालय ने अगले ही दिन इस पर सफ़ाई जारी कर दी थी.
ज्ञापन को ट्वीट करते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा, "भारत सरकार में पदों को भरने के लिए कोई रोक या प्रतिबंध नहीं है. बिना किसी प्रतिबंध के स्टाफ़ सेलेक्शन कमिशन (SSC), UPSC, रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड आदि की भर्तियां जारी रहेंगी."
CLARIFICATION:
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) September 5, 2020
There is no restriction or ban on filling up of posts in Govt of India . Normal recruitments through govt agencies like Staff Selection Commission, UPSC, Rlwy Recruitment Board, etc will continue as usual without any curbs. (1/2) pic.twitter.com/paQfrNzVo5
वित्त मंत्रालय ने इसके बाद अगला ट्वीट किया कि व्यय विभाग का 4 सितंबर 2020 का सर्कुलर केवल नए पद बनाने की आंतरिक प्रक्रिया के लिए था और यह नई भर्तियों पर किसी भी तरह का प्रभाव नहीं डालेगा और न ही उन्हें प्रतिबंधित करेगा.
बीबीसी
हिंदी
के
फ़ैक्ट
चेक
में
हमने
पाया
है
कि
केंद्र
सरकार
की
नई
नौकरियों
पर
कोई
रोक
नहीं
है
और
वित्त
मंत्रालय
का
कार्यालय
ज्ञापन
केवल
आंतरिक
प्रक्रिया
के
तहत
बनाए
जाने
वाले
नए
पदों
के
लिए
था.