In Top Gear मोदी सरकार-2: अब जनसंख्या कंट्रोल और कॉमन सिविल कोड पर नज़र
बेंगलुरू। 30 जून, 2019 को शपथ लेने वाली मोदी सरकार 2.0 पिछले 7 महीने के अंतराल में बीजेपी की घोषणा पत्र में शामिल तीन महत्वपूर्ण संकल्प पूरा कर चुकी है। ऐसा लग रहा है मोदी सरकार रॉकेट पर सवार है और एक के बाद एक मुद्दों पर अमल करने जा रहे हैं। अभी तक बीजेपी घोषणा पत्र के 3 बड़े वादे पूरे हो चुके हैं और अब समान नागिरक संहिता के लिए मोदी सरकार कसरत शुरू कर सकती हैं।
लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में जिन-जिन वादों का जिक्र किया था, उसमें से तीन वादों को मोदी सरकार 2.0 महज सात महीने के कार्यकाल पूरा कर रिकॉर्ड कायम कर लिया है। इनमें जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने, नागरिकता संशोधन बिल लाने और तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने का वादा प्रमुख हैं।
माना जा रहा है कि उपरोक्त तीनों ही वादों को पूरा करने के बाद अब मोदी सरकार 2.0 की नजर अब समान नागरिक संहिता बिल और जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून पर होगी। हालांकि इस दौरान मोदी सरकार ने देश के 10 सरकारी बैंकों के विलय की घोषणा की, देश में एक नया मोटर वाहन अधिनियम लागू किया और आतंक पर हमले के लिए दोषी को आंतकी घोषित करने के लिए यूएपीए एक्ट में संशोधन किया।
गौरतलब है बुधवार को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर चर्चा करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने अपने घोषणा पत्र में नागरिकता संशोधन बिल की बात कही थी। उन्होंने कहा कि कई लोग बीजेपी पर वोट बैंक की राजनीति का आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन बीजेपी उन्हें बताना चाहती है कि चुनावी घोषणापत्र सरकार की नीतियों का उद्घोषणा होती है।
बीजेपी का मानना है कि जनता चुनावी घोषणा पत्र पर यकीन कर ही सरकार चुनती है। बुधवार को राज्यसभा ने नागिरकता संशोधन विधेयक पर बहर के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि चुनाव से पहले ही बीजेपी जनता के सामने नागरिकता संशोधन बिल लाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे जनता ने अपना समर्थन दिया और बीजेपी को 2014 लोकसभा चुनाव की से बड़ा जनादेश देकर केंद्र में बैठाया।
समान
नागरिकता
कानून
बनाने
पर
काम
करेगी
बीजेपी
चूंकि
मोदी
सरकार
ने
अपने
चुनावी
घोषण
पत्र
में
दिए
वादों
में
से
तीन
वादे
पूरे
कर
लिए
हैं।
अब
सभी
की
निगाहें
समान
नागरिकता
कानून
पर
टिकी
हुई
हैं।
बीजेपी
ने
अपने
चुनावी
घोषणा
पत्र
में
समान
नागरिकता
कानून
का
भी
जिक्र
किया
था।
बीजेपी
ने
घोषणा
पत्र
में
कहा
था
कि
जब
तक
भारत
में
समान
नागरिक
संहिता
को
अपनाया
नहीं
जाता
है,
तब
तक
लैंगिक
समानता
कायम
नहीं
हो
सकती
है।
जनसंख्या
नियंत्रण
कानून
पर
कानून
बनाएगी
बीजेपी
इसके
बाद
मोदी
सरकार
देश
की
बढ़ती
जनसंख्या
पर
नियंत्रण
के
लिए
एक
कानून
बनाने
पर
जोर
देगी
बीजेपी
नेताओं
के
साथ
ही
संघ
के
नेताओं
ने
भी
मोदी
सरकार
से
मांग
की
है
कि
वह
चुनावी
वादों
को
पूरा
करने
के
साथ
जनसंख्या
नियंत्रण
कानून
पर
भी
ध्यान
दे।
यही
नहीं,
रक्षा
मंत्री
राजनाथ
सिंह
भी
एक
चर्चा
के
दौरान
कह
चुके
हैं
कि
अब
सरकार
देश
में
जनसंख्या
नियंत्रण
के
लिए
कानून
बनाने
के
लिए
जल्द
ही
कोई
बड़ा
फैसला
ले
सकती
है।
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70 वर्ष बाद जम्मू-कश्मीर से निष्प्रभावी हुआ अनुच्छेद-370
6 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी करने का प्रस्ताव मंजूर किया। 9 अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट को मंजूरी, इससे 31 अक्तूबर 2019 से दो केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर, लद्दाख) में बंट गया। इससे पहले एक देश, एक विधान लागू करने वाले विशेष दर्जे के तहत जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान और अलग झंडा था। इसी कानून के चलते जम्मू-कश्मीर में रक्षा, संचार व विदेश मामले छोड़ कोई कानून लागू कराने में केंद्र को राज्य से अनुमोदन कराना पड़ता था। मालूम हो भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय अलग राज्य के पक्षधर रहे जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने कबाइली हमले के बाद अक्तूबर 1947 में विलय पत्र पर दस्तखत किए थे। अगस्त 1953 में विलय को राज्य सरकार की मंजूरी मिल गई और जनवरी 1957 से अलग संविधान लागू हुआ।
मुस्लिम पतियों द्वारा पत्नी को तीन तलाक देना कानूनन जुर्म हुआ
26 जुलाई 2019 को संसद में ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019' पारित किया, एक अगस्त से तीन तलाक देना कानूनन जुर्म बन गया। ट्रिपल कानून में तीन बार ‘तलाक' बोलकर, लिखकर या एसएमएम-ईमेल भेजकर शादी तोड़ने पर तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया। दरअसल, शायरा बानो व अन्य महिलाओं के मामले में सुनवाई के बाद अगस्त 2017 में सर्वोच्च अदालत ने केंद्र को तीन तलाक पर पाबंदी लगाने का निर्देश दिया था। तीन तलाक के खिलाफ सबसे पहले शाह बानो ने भी आवाज उठाई थी।
इंदौर की 62 वर्षीय शाह बानो को 1976 में 14 साल की शादी के बाद उनके शौहर ने पांच बच्चों सहित घर से बाहर निकाल दिया, लेकिन अप्रैल 1978 में वादे के मुताबिक 200 रुपये प्रति माह का गुजारा भत्ता देने से इनकार करने पर शाह बानो अदालत पहुंचीं और वर्ष 1985 में कोर्ट ने शाह बानो को गुजारे भत्ते का हकदार बताया, लेकिन वर्ष 1986 में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया, जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि शौहर को इद्दत की मुद्दत (तलाक के 90 दिन के भीतर) में वाजिब रकम देनी होगी।
देश के 10 सरकारी बैंकों के विलय की घोषणा करना
30 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने देश के 10 सरकारी बैंकों के विलय से चार बड़े बैंक बनाने का ऐलान कर दिया। हालांकि वर्ष 2017 में 27 सरकारी बैंक थे, अब यह संख्या घटकर 12 रह जाएगी। दस सरकारी बैंकों के विलय की घोषणा के छह माह में विलय की प्रक्रिया पूरी की जानी हैं। सरकार की घोषणा के मुताबिक ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का पंजाब नेशनल बैंक में विलय होगा जबकि सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक और इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में मिलाया जाएगा।
वहीं, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से जोड़ने की घोषणा की गई हैं। इससे पहले वर्ष 2017 में मोदी सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक में उसके पांच अनुषांगी बैंकों और महिला बैंक का विलय किया था। मोदी सरकार के उक्त फैसले को आर्थिक सुधार की दिशा में बड़ी पहल माना जा रहा है, जिससे 55250 करोड़ रुपये पूंजी आधार को मजबूत करने के लिए दिए जाएंगे और बैंक पांच लाख करोड़ का कर्ज बांटने में सक्षम हो जाएंगे।
देश में एक नया मोटर वाहन अधिनियम लागू करना
5 अगस्त 2019 को संसद के दोनों सदनों की मंजूरी के बाद नए मोटर वाहन अधिनियम पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दस्तखत करने के बाद कानून बन गया। 1 सितंबर 2019 को प्रभावी नए मोटर वाहन कानून में यातायात नियम तोड़ने पर जुर्माना राशि बढ़ाई गई और सजा अवधि में भी वृद्धि गई है। नए कानून के तहत दस गुना तक जुर्माने की राशि बढ़ाई, जिसके बाद पूरे देश में खूब हो हल्ला मचा। इसके तहत बिना ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चलाने पर 500 रुपए के बजाय पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया।
वहीं, तेज रफ्तार की सूरत में छोटे वाहनों पर 1000-2000 रुपए और बड़े वाहनों पर 4000 रुपये जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया। जबकि शराब पीकर गाड़ी चलाने संबंधी पहले अपराध के लिए 6 माह जेल और/या 10000 रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया और दूसरी बार अपराध करने पर दो साल जेल और 15000 रुपए अर्थदंड की सजा की व्यवस्था की गई। जबकि बिना लाइसेंस वाले वाहनों के अनाधिकृत उपयोग के लिए जुर्माने की राशि एक हजार से बढ़कर 5000 रुपए की हुई।
आतंक पर हमले के लिए यूएपीए एक्ट में संशोधन किया गया
24 जुलाई 2019 को लोकसभा और दो अगस्त को राज्यसभा में पारित हुआ यूएपीए यानी गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम (संशोधन) विधेयक-2019 पर 8 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा मुहर लगाई गई। 14 अगस्त से लागू हुए नए कानून को केंद्र ने आतंक के खिलाफ जंग में बड़ा कदम बताया हैं। इस कानून के तहत अब व्यक्ति विशेष आतंकी घोषित किया जा सकेगा। नया यूएपीए कानून आतंकी गतिविधियों में लिप्त या उसे प्रोत्साहित करते मिले किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने का अधिकार देता है। जबकि इससे पहले सिर्फ संगठनों को आतंकी घोषित करना संभव था।
इस कानून के बाद एनआईए महानिदेशक आंतकी घोषित व्यक्ति की संपत्ति जब्त कर सकता है और उसकी यात्रा पर भी रोक लगा सकेगी। 4 सितंबर 2019 को इसी कानून के तहत पाकिस्तानी आंतकी हाफिज सईद और दाऊद आतंकी घोषित किया गया, जो नए यूएपीए कानून के तहत मोदी सरकार ने की पहली कार्रवाई थी। इसके बाद मोस्ट वॉन्टेड दाऊद इब्राहिम, मौलाना मसूद अजहर और जकीउर रहमान लखवी को आतंकी घोषित किया जा चुका हैं।