पालघर में संतों की मॉब लिंचिंग, जानिए पूरा घटनाक्रम, कब क्यों और कैसे हुआ?
नई दिल्ली- गुरुवार की रात महाराष्ट्र के पालघर जिले में तीन लोगों की कथित तौर पर बच्चा चोर और अंग तस्कर बताकर मॉब लिंचिंग कर दी गई। जानकारी के मुताबिक वो तीनों मुंबई से गुजरात के सूरत में किसी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जा रहे थे। तभी पालघर के दूर-दराज इलाके गडचिंचले के एक आदिवासी बहुल गांव में कुछ लोगों ने उनकी गाड़ी को रोक लिया और उनपर पत्थरों, डंडों और रॉड से हमला शुरू कर दिया। इस घटना के जो वीडियो दिखाए जा रहे हैं, उसमें भगवा वस्त्रों में नजर आ रहे पीड़ित जान बचाने के लिए पुलिस के पीछे भागने की कोशिश कर रहे हैं। वीडियो में वहां पुलिस भी मौजूद दिख रही है, जब लोग उनकी मॉब लिंचिंग कर रहे हैं। इस केस में अब तक 101 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 9 नाबालिगों को इस अपराध के सिलसिले में हिरासत में लिया गया है। दो पुलिस वाले भी इस केस में सस्पेंड किए गए हैं। आइए मॉब लिंचिंग की इस भयावह वारदात के बारे में सबकुछ जानने-समझने की कोशिश करते हैं।
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जिस जगह वारदात हुई वह कहां है ?
मॉब लिंचिंग की यह भयानक घटना महाराषट्र के पालघर जिले की गडचिंचले गांव में हुई। यह गांव आदिवासी बहुल जिले के दहानु तालुका में पड़ता है। घटना वाली जगह राजधानी मुंबई से सिर्फ 140 किलोमीटर दूर है। यह गांव महाराष्ट्र और केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली की सीमा से सटे है जो कि यहां से 30 किलोमीटर दूर है। 2011 की जनगणना के मुताबिक इस गांव की आबादी 1,298 है, जिनमें 93 फीसदी अनुसूचित जनजाति के लोग हैं।
इतनी बड़ी वारदात कैसे हो गई ?
घटना 16 अप्रैल की रात की है। दो संन्यासी 70 साल के कल्पवृक्ष गिरी और 35 साल के सुशीलगिरी महाराज मुंबई के कांदिवली से एक अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए सूरत की ओर जा रहे थे। उन्होंने कांदिवली से सूरत जाने के लिए एक कार किराए पर लिया था, जिसे 30 साल के निलेष येलगेड़े चला रहे थे। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक रास्ते में कोई रुकावट न पैदा हो, इसलिए उन्होंने पालघर जिले के पीछे वाली सड़क के माध्यम से गुजरात में घुसने का फैसला किया, बजाय इसके कि वे मुंबई-गुजरात हाईवे पकड़ कर जाते। जब उनकी कार गडचिंचले गांव के पास पहुंची तो वहां उन्हें वन विभाग के एक संतरी ने रोक दिया। उन तीनों की संतरी से बात हो ही रही थी कि कुछ उग्र लोगों ने उनपर हमला बोल दिया।
इस इलाके में पिछले दिनों क्या-क्या हुआ है ?
जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ दिनों से इलाके में इस तरह की अफवाहें उड़ रही थीं कि इस क्षेत्र में कुछ बच्चा चोर, अंगों के तस्कर और चोर सक्रिय हो गए हैं। इसके मद्दनजर स्थानीय गांव वालों ने एक सजग दस्ता तैयार किया था। दावों के मुताबिक इन अफवाहों की वजह से हाल में यहां मारपीट की दो घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी थीं। पिछले बुधवार को जब लोकल ऐक्टिविस्ट विश्वास वाल्वी और उनकी टीम पास के आदिवासी बाहुल सरनी गांव में लॉकडाउन की वजह से लोगों के लिए राशन लेकर पहुंची थी तो उनपर हमला कर दिया गया था। जब एक पुलिस टीम उन्हें बचाने के लिए पहुंची तो उसपर भी पत्थरबाजी का दावा किया जा रहा है। ये घटना कासा थाना इलाके की है, जहां साधुओं की मॉब लिंचिंग की गई है। 10 दिन पहले एक एसीपी अपनी टीम के साथ दादर और नगर हवेली जाने की कोशिश कर रहे थे तो ग्रामीणों ने उनकी टीम पर भी हमला कर दिया था।
पुलिस की भूमिका कैसी रही?
जब गाड़ी में बैठे संतों और ड्राइवर पर वहां मौजूद लोगों ने हमला बोल दिया तो 35 किलोमीटर दूर कासा थाने को सूचना दी गई। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक चार पुलिस अधिकारियों की टीम उग्र भीड़ को शांत करने के लिए घटनास्थल पर पहुंची। तब तक भीड़ ने वह गाड़ी पलट दी, जिसमें संत बैठे थे और पुलिस वालों को भी धमकाना शुरू कर दिया। तीनों गाड़ी में जान बचाने के लिए दुबके हुए थे, बाहर से गाड़ी पर हमला किया जा रहा था। कुछ देर बाद पुलिस की एक और टीम पहुंच गई। 12 पुलिस वालों ने उन तीनों को किसी तरह से गाड़ी से निकाल कर दो अलग-अलग पुलिस गाड़ियों में बिठा दिया। दावे के अनुसार तब 400 लोगों की भीड़ ने पुलिस की गाड़ियों पर ही हमला बोल दिया। इस घटना में कुछ पुलिस वालों के जख्मी होने की भी बात कही जा रही है। लेकिन, हद तो तब हो गई जब जानलेवा भीड़ ने दोनों संतों और उनके ड्राइवर को पुलिस गाड़ी से बाहर खींच लिया और पीट-पीट कर पुलिस वालों की मौजूदगी में उनकी जान ले ली। इस वारदात में दो पुलिस वालों को मामूली चोटें आई हैं। पूरी घटना में पुलिस हत्यारी भीड़ के सामने लाचार और ज्यादातर वक्त मूकदर्शक बनी नजर आई।
लिंचिंग के आरोपियों पर अबतक क्या हुई कार्रवाई ?
इस घटना में पुलिस ने अब तक 101 लोगों को गिरफ्तार किया है और 9 नाबालिगों को भी पकड़ा है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के मुताबिक लिंचिंग को लीड करने के 5 मुख्य आरोपियों को भी धर-दबोचा है और सबकी 30 अप्रैल तक पुलिस रिमांड ले ली है। राज्य सरकार दो पुलिस वालों को सस्पेंड भी किया है और पुलिस वालों के व्यवहार को लेकर भी जांच कराने की बात कही है। पालघर के जिला कलेक्टर कैलास शिंदे के मुताबिक, 'हम अधिकारियों द्वारा लिए गए निर्णयों की जांच करेंगे और घटना के दौरान उनके बर्ताव को लेकर भी जांच करेंगे। '