हिंदी भाषा विवाद: डीएमके की मांग, केंद्रीय ऑफिसों में अधिकारिक भाषा बने तमिल
चेन्नई। केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत तीन भाषाओं के फार्मूले को लागू करने के कदम का जबरदस्त विरोध करने वाले DMK प्रमुख एम के स्टालिन ने बुधवार को मांग की कि, सभी केंद्र सरकार के कार्यालयों में तमिल को एक आधिकारिक भाषा बनाया जाए। पूर्व आईयूएमएल अध्यक्ष कायैद-ए-मिल्लत की 124वीं जयंती पर श्रद्धांजलि सभा में हिस्सा लेने के बाद मीडिया से बात करते हुए स्टालिन ने कहा कि, हमें इस दिन केंद्र सरकार के कार्यालयों में तमिल को एक आधिकारिक भाषा बनाने का संकल्प लेना चाहिए।
तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता स्टालिन ने दावा किया कि, केंद्र तीन भाषाओं के फॉर्मूले के तहत हिंदी को लागू करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने तमिलों के विरोध के बाद अपने फैसले को वापस लिया। मंगलवार को डीएमके ने प्रस्ताव दिया था कि द्रविड़ियन आइकन सी एन अन्नादुरई द्वारा तैयार किए गए दो-भाषा फार्मूले को पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए। डीएमके का ये प्रस्ताव केंद्र द्वारा गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी के अनिवार्य शिक्षण के फैसले को वापस लिए जाने के एक दिन बाद आया है।
बता दें कि, तमिलनाडु में डीएमके और अन्य दलों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में तीन-भाषा के फार्मूले का कड़ा विरोध किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी भाषा को थोपना गलत है। बता दें कि, पार्टी के संस्थापक सी एन अन्नादुराई के नेतृत्व में 1967 में डीएमके के सत्ता में आने के बाद तमिलनाडु में 1968 से तमिल और अंग्रेजी के दो-भाषा के फार्मूले का पालन किया जा रहा है।
इसी बीच नई शिक्षा नीति के मसौदे के तहत तीन भाषा फॉर्मूला में हिन्दी को उसका हिस्सा बनाए जाने पर उठे विवादों के बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ईके पलानीसामी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपील करते हुए कहा कि पूरे भारत के पाठ्यक्रम में तमिल को भी विकल्प की भाषा बनाएं। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा- आदरणीय पीएम नरेन्द्र मोदी जी से यह अनुरोध करते हैं कि वे अन्य राज्यों में पढ़ाई के लिए तमिल को विकल्प की भाषा बनाएं। यह दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा की बड़ी सेवा होगी।
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