Mizoram Election Results 2018: मिजोरम में हार के साथ पूर्वोत्तर राज्यों से कांग्रेस का सूपड़ा साफ
नई दिल्ली। मिजो नेशनल फ्रंट ने मिजोरम में पूर्ण बहुमत हासिल करके कांग्रेस की सत्ता से रवानगी को तय कर दिया है। मिजो नेशनल फ्रंट ने प्रदेश की 40 सीटों में से 26 सीटों पर जीत दर्ज की है। एमएनएफ ने यहां 37.6 फीसदी मत हासिल किए हैं। मिजोरम में हार के साथ ही पूर्वोत्तर के सभी राज्यों से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है। पूर्वोत्तर राज्यों में मिजोरम एकमात्र ऐसा राज्य था जहां कांग्रेस का शासन था और वहां पर भी कांग्रेस को हार का सामने करना पड़ा है। आपको बता दें कि एमएनएफ मुखिया जोरमथंगा दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
कांग्रेस 5 सीटों पर सिमटी
एमएनएफ के मुखिया जोरमथंगा ने कहा कि हम 25-30 सीटों पर जीत दर्ज करेंगे और जोरम पीपुल्स मूवमेंट एक भी सीट जीत हासिल करने में सफल नहीं होगी। अगर वो दो सीट भी जीत जाएं तो बहुत होगी। जबकि पूर्वोत्तर के राज्यों से कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया हो जाएगा। आपको बता दें कि मिजोरम में कांग्रेस सिर्फ 5 सीट पर जीत दर्ज कर सकी। देश की सबसे पुरानी पार्टी ने 2013 के चुनाव में 34 सीटें जीती थी, लेकिन इस बार पार्टी सिर्फ 5 सीटों पर ही सिमट गई।
दोनों सीट से हारे सीएम
इस चुनाव की अहम बात यह है कि पांच बार के मुख्यमंत्री लाल थान्हावाला भी अपना चुनाव हार गए हैं। उन्होंने दो सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन आज सर्चिप और चंफाई दक्षिण से उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। थान्हावाला 9 बार प्रदेश के विधायक रह चुके हैं। जिसमे से सात बार उन्होंने सर्चिप से जीत हासिल की थी। वह 1984 के बाद पांच बार चुनाव जीते। लाल चंफाई दक्षिण से एमएनएफ के टीजे लालनुन्तलुंगा के खिलाफ 1049 वोटों से हार गए। जबकि सर्चिप से वह निर्दलीय उम्मीदवार लालदुहोमा से 770 वोटों से हार गए।
भाजपा का खुला खाता
वहीं भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो यहां भाजपा ने पहली बार अपना खाता खोला है। भाजपा के बुद्धा दान चकमा ने त्युचॉग विधानसभा सीट से जीत दर्ज की है। उन्होंने एमएनएफ के रसिक मोहन चकमा को 1594 वोटों से हरा दिया है। बीडी चकमा पेशे से डॉक्टर हैं और वह भाजपा में शामिल होने से पहले प्रदेश में कांग्रेस के प्रभावी नेता थे। आपको बता दें कि चकमा अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं।
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