Missing AN-32: 1986 से गायब हो रहा एयरक्राफ्ट, आज तक नहीं तलाश पाया कोई
नई दिल्ली। रूस में बना भारतीय वायुसेना (Indian Air Force, IAF) ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट एएन-32 (AN-32) तीन वर्षों बाद एक बार फिर से खबरों में है । जुलाई 2016 में एक एएन-32 जिस तरह से टेक ऑफ करने के कुछ मिनटों बाद ही गायब हो गया था, उसी तरह से तीन अप्रैल 2019 को भी एक एएन-32 गायब हो गया। ट्विन इंजन वाले इस एयरक्राफ्ट ने सोमवार को करीब 12 बजकर 27 मिनट पर असम के जोरहाट से अरुणाचल प्रदेश के मेचुका के लिए टेक ऑफ किया था। आखिरी बार एक बजे एयरक्राफ्ट ने एटीसी से कॉन्टेक्ट किया और इसके बाद से ही इसका कुछ पता नहीं लग पा रहा है।कई ऐसी घटनाएं इस एयरक्राफ्ट के साथ हुई हैं, जिनकी वजह से अब यह एयरक्राफ्ट सिरदर्द बन गया है।
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जब अरब सागर से गायब हुआ एयरक्राफ्ट
एएन-32 के इतिहास पर अगर नजर डालेंगे तो आपको यह एक ऐसा एयरक्राफ्ट नजर आएगा, जो अगर गायब हो गया तो फिर उसका मिलना मुश्किल है। साल 1986 में अरब सागर के ऊपर एक एएन-32 उस समय गायब हो गया था जब वह ओमान के रास्ते सोवियत यूनियन से होता हुआ आ रहा था। इस एयरक्राफ्ट के बारे में न तो कुछ कभी पत लगा पाया और न ही यह पता लगा कि इसमें सवार लोगों को आखिर क्या हुआ। इसी तरह से जुलाई 2016 में भी एक घटना हुई थी। उस समय आईएएफ के एयरक्राफ्ट ने चेन्नई के तांबरम एयरबेस से टेक ऑफ किया और 29 लोगों को लेकर वह पोर्ट ब्लेयर के रास्ते में था कि अचानक एटीसी से उसका संपर्क टूट गया। एक माह के बाद भी उसका पता नहीं चल सका। साल 1989 और 2009 में दो एएन-32 क्रैश हुए और इसमें सवार सभी लोगों की मौत हो गई।
एएन-32 का सबसे पहला कस्टमर भारत
आईएएफ के पास 100 से ज्यादा एएन-32 हैं और यह एयरक्राफ्ट एयरफोर्स के लिए काफी अहम है। भारत, एएन-32 का लॉन्च कस्टमर बना था। भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और सोवियत यूनियन के नेता लियोनिड ब्रेझेनहेव के बीच इस एयरक्राफ्ट की डील हुई थी। एएन-32 का निर्माण यूक्रेन में होता था और यही बात अब इस एयरक्राफ्ट को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है। साल 2009 में हुए क्रैश के बाद भारत ने यूक्रेन के साथ 400 मिलियन डॉलर की डील की। इस डील के तहत एएन-32 के एक पूरे बेड़े को अपग्रेड किया जाना था। माना जा रहा था कि अपग्रेडेशन के बाद 30 वर्ष पुराने इस एयरक्राफ्ट की क्षमता 40 वर्ष तक बढ़ जाएगी। इसमें नए हथियार इंस्टॉल किए गए, कॉकपिट को आधुनिक तरीके से तैयार किया गया और साथ ही सामान ढोने की क्षमता को 6.7 टन से बढ़ाकर 7.5 टन कर दिया गया।
यूक्रेन में नहीं हो पाया अपग्रेडेशन
40 एएन-32 के एक बैच को अपग्रेडेशन के लिए यूक्रेन भेजा गया था। अप्रैल 2015 में जब एयरक्राफ्ट यूक्रेन पहुंचे तो वहां अलग ही संकट चल रहा था। चार एयरक्राफ्ट कहां गायब हो गए कुछ पता ही नहीं चला। हैरान आईएएफ ने यूक्रेन को अल्टीमेटम देते हुए प्लेन का पता लगाने को कहा। इसके बाद एक सिविल एविएशन प्लांट में इनके होने की जानकारी मिली और फिर इन्हें भारत वापस भेजा गया। इसके बाद 64 बचे हुए एएन-32 को कानपुर एयरबेस पर अपग्रेड किया जाना था और यूक्रेन से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के जरिए ही इसका अपग्रेडेशन होना था। लेकिन यह नहीं हो पाया क्योंकि यूक्रेन के वर्कर्स को नौकरी से निकाल दिया गया।
यूक्रेन संकट की वजह से अटके कई काम
यूक्रेन संकट की वजह से स्पेयर पार्ट्स की सप्लाई भी रोक दी गई। उस समय दिल्ली स्थित यूक्रेन के दूतावास की ओर से कहा गया था कि इंडियन एयरफोर्स को इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए। साथ ही यह भी कहा गया कि यूक्रेन की सरकार इसमें मदद नहीं कर सकती है। यूक्रेन चाहता था कि भारत, रूस को प्रतिबंधित कर दे और भारत ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। इसका सीधा असर 400 मिलियन डॉलर के अपग्रेडेशन पर पड़ा। अपग्रेडेशन के समय एएन-32 के एयर कोलाइजन एवॉयडेंस सिस्टम, ग्राउंड प्रॉक्सीमिटी वॉर्निंग सिस्टम, सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम, डिस्टेंस मेजरिंग इक्विपमेंट, रेडियो ऑल्टीमीटर्स और रडार को अपग्रेड किया जाना था।