सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मंत्री बनने के बाद नेताओं के पास नहीं रहता आम नागरिक की तरह बोलने का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात के संकेत दिए हैं कि महिलाओं से रेप और अन्य अपराधों के मामले में सरकारी ओहदे पर बैठे व्यक्ति की गलत बयानबाजी के मामले संविधान पीठ को भेजे जा सकते हैं।
नई दिल्ली। नेताओं की ओर से सामने आने वाली गलत बयानबाजी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी शख्स मंत्री बनने के बाद आम नागरिक को मिलने वाले अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का इस्तेमाल ठीक वैसा नहीं कर सकता और न ही सरकारी पॉलिसी के खिलाफ बयान दे सकता।
2
मई
को
होगी
अगली
सुनवाई
सुप्रीम
कोर्ट
ने
इस
बात
के
संकेत
दिए
हैं
कि
महिलाओं
से
रेप
और
अन्य
अपराधों
के
मामले
में
सरकारी
ओहदे
पर
बैठे
व्यक्ति
की
गलत
बयानबाजी
के
मामले
संविधान
पीठ
को
भेजे
जा
सकते
हैं।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
फली
नरीमन
और
हरीश
साल्वे
को
एक
हफ्ते
में
कानून
संबंधी
तमाम
दस्तावेज
पेश
करने
को
कहा
है।
केस
की
अगली
सुनवाई
2
मई
को
होगी।
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रैकेट
की
आशंका
बुलंदशहर
रेप
केस
में
घिरे
थे
आजम
खान
सुप्रीम
कोर्ट
बुलंदशहर
में
मां-बेटी
से
गैंगरेप
मामले
को
लेकर
सुनवाई
कर
रहा
है।
इस
केस
में
पूर्व
मंत्री
आजम
खान
का
बयान
भी
सामने
आया
था।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
मां-बेटी
से
गैंगरेप
के
मामले
की
जांच
कर
रही
सीबीआई
को
जल्द
जांच
पूरी
करने
का
आदेश
दिया
था।
पिछले
साल
15
दिसंबर
को
बुलंदशहर
गैंगरेप
मामले
में
यूपी
के
मंत्री
आजम
खान
ने
विवादास्पद
बयान
दिया
था।
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कहा-
कुछ
तो
बोलो
कोर्ट ने कोर्ट के आदेश पर आजम खान ने माफी मांगते हुए हलफनामा सौंपा। माफीनामे में उन्होंने रिमोर्स यानी पछतावा शब्द का इस्तेमाल किया जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये बिना शर्त माफी मांगने से भी ऊपर का माफीनामा है। बता दें कि आजम खान ने घटना को राजनीतिक साजिश करार दिया था।