जल्द महंगा होगा दूध, कीमतों में इतनी हो सकती है बढ़ोत्तरी
नई दिल्ली। देश में गर्मी के मौसम की शुरूआत हो चुकी है। गर्मी शुरू होते ही सब्जियों समेत कई चीजों की कीमतों बढ़ने लगी हैं। इसी बीच ऐसी खबरें सामने आ रही है कि जल्द ही उपभोक्ताओं को महंगाई के मोर्चे पर एक और झटका लग सकता है। CRISIL की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्पादन में कमी और डिमांड बढ़ने की वजह से दूध के दाम बढ़ोत्तरी हो सकती है। रिपोर्ट की माने तो जल्द ही दूध के दामों में 1या 2 प्रति लीटर के वृद्धि हो सकती है। दूध पर बढ़ी हुई कीमतें अगली तिमाही से लागू की जा सकती हैं। आपको बता दें कि, दूध के दाम आखिरी बार 2017 में बढ़े थे। 2017 में दूध के दाम 1 रुपये प्रति लीटर से बढ़े थे।
दुग्ध उत्पादन में 3 से 4 फीसदी की कमी
अगर दूध के दामों में बढ़ोत्तरी होती तो इसका सीधा असर दूध से बनने वाले अन्य उत्पादों पर भी देखने को मिलेगा। दूध के दाम बढ़ने से अन्य डेरी प्रोडक्ट्स जैसे मक्खन, दही, घी और फ्लेवर्ड मिल्क आदि भी महंगे हो सकते हैं। हालांकि अभी इस बारे में अमूल डेरी और मदर डेरी की ओर से इस कोई सूचना जारी नहीं की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-20 में दूध के उत्पादन में 3 से 4 फीसदी घटने की उम्मीद है। तो वहीं इस वित्त वर्ष में दूध की खपत 6-7 फीसदी बढ़ सकती है। जिस कारण से दूध के दाम बढ़ जाएंगे।
स्किम्ड मिल्क 25 फीसदी तक घटा
CRISIL की रिपोर्ट के मुताबिक, स्किम्ड मिल्क (बिना मलाई की दूध) की स्टॉक में भारी कमी आई है। मार्च 2018 के अंत में स्किम्ड मिल्क का 3 लाख टन का स्टॉक था, लेकिन ये स्टॉक अब 25 फीसदी तक घट गया है। वहीं दूसरी ओर दुनिया भर में स्किम्ड मिल्क के दाम 20 फीसदी से बढ़े हैं। जिसका असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिलेगा। दूध के दामों में महंगाई की एक वजह पशुपालन में कमी को भी माना जा रहा है। चारा महंगा और दूध सस्ता होने के कारण पशुपालन में कोई मुनाफा नहीं मिल रहा है। जिसके कारण पशुपालक अपना व्यवसाय छोड़ रहे हैं।
दुग्ध उत्पादन में कमी का मुख्य कारण मवेशियों के निवेश में गिरावट
दुग्ध उत्पादन में कमी का मुख्य कारण मवेशियों के निवेश में गिरावट है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल ही में फार्म गेट की कीमतों में कोई सुधार नहीं हुआ है, जिससे कारोबार कम हुआ है। कृषि व पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए शासन स्तर से तमाम योजनाएं चलाई जा रही है। लेकिन जमीनी धरातल पर इन योजनाओं का लाभ किसानों व पशुपालकों को उस हद तक नहीं मिल पा रहा है जिसकी दरकार है। उन्नतशील किस्म के पशुओं के अभाव में पालक निम्न प्रजाति के गाय, भैंस के अलावा भेड़-बकरियों का पालन करने को मजबूर हैं।
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