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गृह मंत्रालय ने नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करने वाले संपादकों पर कार्रवाई का किया खंडन

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नई दिल्ली: गृहमंत्रालय ने शुक्रवार को उन मीडिया रिपोट्स का खंडन किया जिसमें ये कहा गया था कि उसने असम सरकार को नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करने वाले संपादकों पर कार्रवाई करने को कहा है। मंत्रालय ने इस पर सफाई देते कहा कि ऐसी रिपोट्स पूरी तरह निराधार हैं और इसकी गलत तरीके से व्याख्या की जा रही है।

गृह मंत्रालय ने नहीं दिया आदेश

गृह मंत्रालय ने नहीं दिया आदेश

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि हमने असम की राज्य सरकार से किसी भी मीडिया के सदस्य या संपादक के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए नहीं कहा है। ये यह पूरी तरह तथ्यों का निराधार और शरारतपूर्ण प्रस्तुतिकरण है कि केंद्र सरकार ने असम में मीडिया पर्सन और एडिटरों के खिलाफ जांच शुरू करने को कहा है। उसने दोहराते हुए कहा कि संबंधित मंत्रालय/ राज्य सरकार को केंद्रीयकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) पर प्राप्त हर याचिका को आगे बढ़ाने के लिए एक मानक प्रक्रिया है।

'महाराष्ट्र से याचिका मिली'

'महाराष्ट्र से याचिका मिली'

एनएचए ने आगे कहा कि तथ्यात्मक स्थिति ये है कि 14 फरवरी, 2019 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी के पते के साथ विनय जोशी नाम के शख्स ने सीपीजीआरएएमएस को लेकर गृह मंत्रालय को एक सार्वजनिक शिकायत याचिका भेजी थी। ये नागरिकता संशोधन विधेयक- 2016 के मुद्दे से संबंधित थी। इसमें कहा गया था कि उल्फा जैसे विभिन्न आतंकवादी समूहों द्वारा इसका शोषण किया गया है और मीडिया ने आतंकवादी समूहों को नए सिरे से बढ़ावा देने के लिए आतंकवादी विचारधारा का प्रचार किया है। मंत्रालय ने आगे कहा कि इस तरह के मुद्दों पर बहुत अधिक संख्या में याचिकाएँ या शिकायतें (सीपीजीआरएएमएस) पर दैनिक आधार पर मंत्रालय को प्राप्त होती हैं। साल 2018 में ये आंकड़ा 33,000 है। इस तरह की हर याचिका को मंत्रालय / राज्यों को नियमित रूप से भेजा जाता है। इस मामले में असम सरकार से कोई रिपोर्ट नहीं ली गई है।

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नागरिकता (संशोधन) बिल क्या है?

नागरिकता (संशोधन) बिल क्या है?

ये विधेयक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैरमुस्लिमों के लिए भारत की नागरिकता आसान बनाने के लिए है। इसमें हिंदू,सिख जैन और पारसी हैं। इस बिल के कानून बन जाने पर इन तीन देशों से भारत आने वाले शरणार्थियों को 12 साल की जगह छह साल बाद ही भारत की नागरिकता मिल सकती है। वहीं अगर असम की बात करें तो साल 1985 के असम समझौते के मुताबिक 24 मार्च 1971 से पहले राज्य में आए प्रवासी ही भारतीय नागरिकता के पात्र थे। लेकिन नागरिकता (संशोधन) विधेयक में यह तारीख 31 दिसंबर 2014 कर दी गई है।

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English summary
mha refutes refutes report on action against editors for criticizing Citizenship Bill
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