मनरेगा के श्रमिकों को अक्टूबर से नहीं मिली मज़दूरी: प्रेस रिव्यू
साल भर से पहले ख़त्म हुआ मनरेगा के लिए आवंटित धन का 96 फीसदी हिस्सा...इस स्कीम के लिए आवंटित राशि में अब सिर्फ़ ढाई हज़ार करोड़ रुपये बचे हैं जबकि अभी नयी राशि जारी होने में दो महीने शेष हैं.
राजस्थान में इस स्कीम का निगेटिव नेट बैलेंस 620 करोड़ रुपये है. वहीं, उत्तर प्रदेश में ये आंकड़ा 323 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है.
अंग्रेजी अख़बार द हिंदू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, मनरेगा योजना के लिए आवंटित किए गए साठ हज़ार करोड़ रुपये में से 96 फ़ीसदी धन ख़र्च हो चुका है.
इस स्कीम के लिए आवंटित राशि में अब सिर्फ़ ढाई हज़ार करोड़ रुपये बचे हैं जबकि अभी नयी राशि जारी होने में दो महीने शेष हैं.
राजस्थान में इस स्कीम का निगेटिव नेट बैलेंस 620 करोड़ रुपये है. वहीं, उत्तर प्रदेश में ये आंकड़ा 323 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है.
राजस्थान में बीते अक्टूबर महीने के बाद से श्रमिकों को उनका मेहनताना नहीं दिया गया है.
इसके बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केंद्र सरकार से तत्काल 1950 करोड़ रुपये जारी करने के लिए पत्र लिख चुके हैं.
2000 करोड़ के कृषि कोष में से सिर्फ़ 10 करोड़ ख़र्च
केंद्र सरकार ने बीते साल अपने बजट में कृषि क्षेत्र में सुधार लाने के लिए एक योजना का ऐलान किया था. इस योजना के तहत ग्रामीण स्तर पर कुछ बाज़ारों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित था जिससे फसल उत्पादक और व्यापारी के बीच की दूरी को कम किया जा सके.
इस योजना के लिए 2000 करोड़ रुपये कोष के साथ एग्री-मार्केट इंफ्रास्ट्राक्चर फंड का ऐलान किया था.
लेकिन पूरा साल बीत जाने के बाद भी इस कोष में से सिर्फ़ दस करोड़ रुपये ख़र्च किए गए हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस योजना के तहत 22 हज़ार बाज़ारों का निर्माण किया जाना था. लेकिन इनमें से सिर्फ़ 376 बाज़ारों का निर्माण किया गया है और इनमें से एक भी बाज़ार किसानों के इस्तेमाल के लिए तैयार नहीं हैं.
इन बाज़ारों का मक़सद किसानों को व्यापारियों के साथ सीधे जोड़कर बिचौलियों से मुक्त कराना था.
"ऐसा कुछ नहीं है जो महिलाएं नहीं कर सकतीं"
सीआरपीएफ़ से जुड़ीं संगीता मित्रा ने रविवार को गणतंत्र दिवस के मौक़े पर अपने अदम्य साहस और हैरतअंगेज़ स्टंट से लोगों को दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर कर दिया था.
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी ख़बर में मित्रा ने अपना अनुभव साझा किया है.
वे बताती हैं, "मुझे ऐसा लगा कि मैं हवा में उड़ रही हूं. आज तक किसी भी पुरुष ने ऐसा स्टंट नहीं किया है. मैं सभी पुरुषों को चुनौती देते हुए ये बताना चाहती थी कि ऐसी कोई चीज़ नहीं है जो कि महिलाएं नहीं कर सकतीं."
बिहार के समस्तीपुर से आने वालीं 45 वर्षीया संगीता मित्रा दो बच्चों की माँ हैं.
वे कहती हैं, "राजपथ पर उन्होंने जो करतब करके दिखाया, उसके बारे में उन्हें सिर्फ एक हफ़्ते पहले बताया गया था. इसके बाद से वे लगातार 14-15 घंटे हर रोज़ इन करतबों का अभ्यास कर रही थीं.
ये पहला मौक़ा था जब गणतंत्र दिवस की परेड पर महिलाओं ने मोटरसाइकिल पर सवार होकर ख़तरनाक स्टंट को अंजाम दिया हो.
भारत को बेहतर विपक्ष की ज़रूरत - अभिजीत बनर्जी
जनसत्ता अख़बार में छपी ख़बर के मुताबिक़, नोबेल पुरुस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा है कि अधिनायकवाद और आर्थिक सफलता में कोई संबंध नहीं है.
उन्होंने कहा है, "भारत को एक बेहतर विपक्ष की ज़रूरत है. और विपक्ष किसी भी लोकतंत्र का दिल होता है. सत्तारूढ़ दल को बेहतर विपक्ष की आकांक्षा होनी चाहिए ताकि वह उसे नियंत्रण में रख सके."
हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं - मोदी
टाइम्स ऑफ़ इंडिया अख़बार ने पीएम मोदी के मन की बात को प्रमुखता दी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में कहा है कि शांति हर सवाल का जवाब होना चाहिए और हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है.
उन्होंने कहा, "हिंसा, किसी समस्या का समाधान नहीं करती है, दुनिया की किसी भी समस्या का हल, कोई दूसरी समस्या पैदा करने से नहीं बल्कि अधिक-से-अधिक उसका समाधान ढूंढ़कर ही हो सकता है."