बॉलीवुड की 'धक-धक' गर्ल पर फिदा थे एमएफ हुसैन, 67 बार देखी थी 'हम आपके हैं कौन'
नई दिल्ली। आधुनिक युग के 'पिकासो' कहे जाने वाले मशहूर पेंटर मकबूल फिदा हुसैन का जन्म 17 सितंबर 1915 को मुंबई में हुआ था, वे रंगों और विवादों के सम्राट थे, खुले विचारों और अपने कला के प्रति दृढ मकबूल हमेशा भारत में कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे, लेकिन वह अपने इरादे के इतने पक्के थे कि उन्हें जो करना होता था, वो उसे बिना किसी की परवाह किए बिना पूरा करते थे और शायद यही उनकी सफलता का सबसे बड़ा कारण था।
माधुरी दीक्षित पर फिदा थे मकबूल...
जिंदगी के आठ दशक पूरे करने के बाद वह फिल्म अभिनेत्री माधुरी दीक्षित के सौन्दर्य पर मोहित हो गए और उनके कई चित्र कैनवास पर ही नहीं उकेरे बल्कि माधुरी पर उन्होंने 'गजगामिनी' नाम से एक फिल्म का भी निमार्ण किया, कहा जाता है कि माधुरी की.. हम आपको है कौन .. को उन्होंने करीब 67 बार देखा था। बता दें कि 'गजगामिनी' का बजट करीब ढाई करोड़ था जबकि फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर केवल 26 लाख की कमाई की थी।
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‘आजा नचले' ... के लिए पूरा सिनेमा हॉल किया था बुक
हुसैन की दीवानगी का आलम सात साल बाद उस समय भी कायम रहा जब माधुरी दीक्षित ने ‘आजा नचले' के साथ बॉलीवुड में दोबारा एंट्री मारी, हुसैन उन दिनों दुबई में थे और उन्होंने दोपहर के शो के लिए दुबई के लैम्सी सिनेमा को पूरा अपने लिए बुक करा लिया था, हालांकि ये फिल्म भी फ्लॉप ही रही लेकिन हुसैन की मोहब्बत, बॉलीवुड क्वीन माधुरी के प्रति कम नहीं हुई।
तब्बू और अमृता रॉव को भी पसंद करते थे हुसैन
हुसैन ने माधुरी के लेकर 'गजगामिनी' और तब्बू को लेकर मीनाक्षी, अ टेल ऑफ़ थ्री सिटीज़ फिल्में बनायी थी, उनकी हसरत अभिनेत्री अमृता रॉव और अनुष्का को लेकर भी फिल्म बनाने की थी लेकिन वो पूरी नहीं हो पाई।
हुसैन की पहली प्रदर्शनी 1952 में ज़्युरिक में हुई...
आपको
बता
दें
कि
एम
एफ
हुसैन
का
जन्म
17
सितंबर
1915
में
महाराष्ट्र
के
पंढरपुर
में
हुआ
था।
बचपन
से
ही
कैनवस
और
रंगों
के
शौकिन
एम
एफ
हुसैन
को
सबसे
पहले
ख्याति
1940
को
मिली
थी।
उनकी
पहली
प्रदर्शनी
1952
में
ज़्युरिक
में
हुई।
इसके
बाद
उनकी
कलाकृतियों
की
अनेक
प्रदर्शनियां
यूरोप
और
अमेरिका
में
हुईं,
उनकी
पेंटिग्स
2.30
करोड़
में
बिकी
थी।
उन्होने
अपनी
पहली
फ़िल्म
'थ्रू
द
आइज़
आफ
अ
पेन्टर'
बनायी
थी,
यह
फ़िल्म
बर्लिन
उत्सव
में
दिखायी
गयी
और
उसे
'गोल्डेन
बियर'
से
पुरस्कृत
किया
गया।
भारत
के
सबसे
महंगे
पेंटर
थे
हुसैन
हुसैन
ने
बांबे
के
जे
जे
स्कूल
ओफ़
आर्ट्स
से
शिक्षा
ग्रहण
की
थी।
एम
एफ
हुसैन
का
नाम
कई
आलोचनाओं
से
भी
जुड़ा
रहा
।
उन
पर
हिंदू-देवी
देवताओं
के
अश्लील
चित्र
बनाने
का
भी
आरोप
लगा
था।
फ़ोर्ब्स
पत्रिका
ने
उन्हें
भारत
का
पिकासो
की
पदवी
दी
थी,
92
वर्ष
की
उम्र
में
उन्हें
केरल
सरकार
ने
राजा
रवि
वर्मा
पुरस्कार
दिया।
क्रिस्टीज़
ऑक्शन
में
उनकी
एक
पेंटिंग
20
लाख
अमरीकी
डॉलर
में
बिकी।
इसके
साथ
ही
वे
भारत
के
सबसे
महंगे
पेंटर
बन
गए
थे,
भारत
सरकार
ने
उन्हें
पद्म
श्री
(1955),
पद्म
भूषण
(1973)
और
पद्म
विभूषण
(1991)
से
नवाजा
था,
9
जून
2011
को
लंदन
में
इनका
निधन
हो
गया
था।
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