प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि मुकदमे में एमजे अकबर ने दर्ज कराया अपना बयान
पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने आज कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया। #MeToo कैंपेन के तहत प्रिया रमानी ने अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे, जिसके बाद अकबर ने उनपर मानहानि का मुकदमा ठोका था।
नई दिल्ली। पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने आज कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया। #MeToo कैंपेन के तहत प्रिया रमानी ने अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे, जिसके बाद अकबर ने उनपर मानहानि का मुकदमा ठोका था। अपने बयान में एमजे अकबर ने कहा कि उन्होंने प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा उनके एक के बाद एक किए गए ट्वीट्स पर दर्ज कराया है।
पूर्व विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने आज दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया। कोर्ट में अकबर ने अदालत को अपने पेशे और पत्रकारिता के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कॉलेज के बाद ही वो पत्रकारिता में आ गए थे। सबसे पहले वो संडे मैगजीन के संपादक रहे और फिर 1983 में द टेलीग्राफ शुरू किया। इसके बाद उन्होंने एशियन एज और इंडिया टुडे में अपने कार्य के बारे में बताया।
उन्होंने कोर्ट में अपनी लिखी हुई किताबों का भी जिक्र किया। एमजे अकबर ने कहा कि उन्होंने रमानी के किए गए ट्वीट पर मानहानि का मुकदमा किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें इन ट्वीट्स की जानकारी अपने आधिकारिक दौरे के बाद मिली। 'ट्वीट में वोग मैगजीन का एक लिंक था। उसमें उन्होंने मुझे प्रतिभाशाली शिकारी और क्या-क्या कहा। जब आर्टिकल पहली बार वोग में पब्लिश किया गया था, तो उसमें मेरा नाम नहीं था।'
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अकबर ने कहा कि जब रमानी से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैंने कुछ नहीं किया है। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने इस केस की अगली सुनवाई 12 नवंबर को तय की है। अगली सुनवाई में ही चश्मदीदों के बयान दर्ज किए जाएंगे।
बता दें कि प्रिया रमानी ने #MeToo कैंपेन के तहत एमजे अकबर पर 20 साल पहले यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। इसके बाद कई महिलाएं खुलकर सामने आईं थीं और अपने साथ हुई घटनाओं का खुलासा किया था। अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को झूठा बताते हुए अकबर ने प्रिया रमानी के खिलाफ दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। महिलाओं और विपक्ष के दबाव के बाद केस की सुनवाई शुरू होने से ठीक पहले अकबर ने इस्तीफा सौंपा था।
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