MeToo: 'एमजे अकबर ने डिक्शनरी देखने के बहाने बुलाया और पीछे से जकड़ लिया'
नई दिल्ली। MeToo मूवमेंट के तहत यौनशोषण के आरोप लगने के बाद कांग्रेस केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर के इस्तीफे की मांग कर रही है। एमजे अकबर के मुद्दे पर बीजेपी को समझ नहीं आ रहा कि क्या कहा जाए? या क्या किया जाए? इस बीच एमजे अकबर के खिलाफ एक और महिला पत्रकार ने संगीन आरोप लगाए हैं। आरोप लगाने वाली जर्नलिस्ट का नाम है- गजाला वहाब, जिन्होंने 'द वायर' वेबसाइट में आर्टिकल लिखकर पूरी आपबीती बयां की है। गजाला वहाब फोर्स न्यूज मैग्जीन की एग्जीक्यूटिव एडिटर हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि एमजे अकबर उन्हें घूरते थे, अश्लील मैसेज भेजते थे। यहां तक कि आर्टिकल लिखते वक्त उन्हें अपने सामने बिठाते थे। यहां तक कि वह स्टैंड पर डिक्शनरी रखकर बार-बार उसे झुककर देखने के लिए कहते थे। एक बार तो उन्होंने केबिन में बुलाकर गजाला को जकड़ लिया था।
एशियन एज ज्वॉइन करने के तीसरे साल पड़ी गजाला पर नजर
गजाला ने लिखा है कि उन्होंने साल 1994 में एशियन एज अखबार ज्वॉइन किया था। ऑफिस में उनका तीसरा साल था, जब अकबर की नजर उन पर पड़ी। गजाला बताती हैं कि उनका डेस्क एमजे अकबर के केबिन के ठीक सामने शिफ्ट कर दिया गया था, जहां से अकबर उन्हें घूरते और अश्लील मैसेज भी भेजते थे। कुछ समय यह सिलसिला चलता रहा, लेकिन बाद में वह गजाल वहाब को केबिन में बुलाने लगे। वह गेट बंद करके अधिकतर निजी बातें किया करते थे। कॉलम लिखते वक्त वह गजाला को सामने बिठाते थे। इसके पीछे वह कारण बताया करते थे कि डिक्शनरी देखने के लिए उन्हें मदद की जरूरत पड़ती है। एमजे अकबर ने डिक्शनरी को स्टैंड पर रखा था, जिसे देखने के लिए झुकना पड़ता था।
1997 में अकबर ने गजाला को पीछे से जकड़ा
गजाला वहाब का आरोप है कि 1997 में अकबर ने उन्हें उस वक्त पीछे से जकड़ लिया, जब वह डिक्शनरी देख रही थीं। उन्होंने हर जगह हाथ लगाया। गजाला के मुताबिक, उन्होंने अकबर का हाथ छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन वह प्लास्टर की तरह चिपके रहे। गजाला ने बताया कि अकबर केबिन का दरवाजा भी बंद रखते थे।
टॉयलेट में जाकर रोती रहीं गजाला वहाब
गजाला ने आरोप लगाया कि एमजे अकबर की हरकत के बाद वह टॉयलेट में जाकर रोती रहीं। अगली दिन एमजे अकबर ने फिर उन्हें केबिन में बुलाया और दरवाजा बंद करके किस किया। गजाला खुद को छुड़ाने के लिए संघर्ष करती रहीं, लेकिन खुद को छुड़ा नहीं सकीं। गजाला बाहर निकलकर ऑफिस के बाहर पार्किंग में आईं और रोती रहीं।
अकबर ने अपने एस्ट्रोलॉजर को भेज दिया था गजाला के पास
एमजे अकबर ने एक बार तो अपने एस्ट्रोलॉजर तक को गजाला के पास भेज दिया। उन्होंने गजाला को यह बताया कि अकबर उन्हें कितना प्यार करते हैं। गजाला कहती हैं कि वह पुलिस के पास जाना चाहती थीं, लेकिन डर की वजह से नहीं गईं। अकबर उन्हें अहमदाबाद भेजना चाहते थे और घर देने की बात भी कही, लेकिन इससे ठीक पहले गजाला ने इस्तीफा दे दिया।
पहली बार पिता ने पढ़ने के लिए दी थी अकबर की किताब, जिसके बाद फैन हो गई थीं गजाला
गजाला ने अपने आर्टिकल में यह भी बताया है कि कैसे वह एमजे अकबर के नाम से एक समय बेहद प्रभावित थीं। वह लिखती हैं कि 1989 में जब वह स्कूल में पढ़ती थीं, तब उनके पिता ने एमजे अकबर की किताब 'Riot After Riot' दी थी। गजाला ने वह किताब दो दिन में पूरी पढ़ ली थी। इसके बाद गजाला ने एमजे अकबर की कई और किताबों पढ़ डालीं। वह उनके पसंदीदा लेखक बन चुके थे। इसके बाद गजाला ने स्कूली शिक्षा के बाद जर्नलिज्म में एडमिशन ले लिया। जब गजाला 1994 में नौकरी करने ए एशियन एज के दफ्तर आईं तो उन्हें पूरा विश्वास था कि वह इस जगह सबसे बेहतर काम सीख सकती हैं।