Lyrid meteor shower:आसमान में आज रात दिखेगा अद्भुत जगमग नजारा, इन शहरों से होगा दीदार
नई दिल्ली, 22 अप्रैल: आज की रात आसमान में अद्भुत खगोलीय घटना का दीदार करने के लिए तैयार हो जाइए। क्योंकि, रात में लिरिड उल्का बौछार अपनी चमक की पराकाष्ठा पर होगा। हालांकि, यह अगले कई दिनों तक देखा जा सकेगा, लेकिन आज की रात खास है। दरअसल हमारा ब्रह्मांड तो दुर्लभ घटनाओं का हमेशा से गवाह रहा है, लेकिन इस तरह की खगोलीय घटनाओं में दिलचस्पी रखने वालों के लिए ऐसे मौके हर समय नहीं आते। लिरिड उल्का बौछार क्या है, यह स्थिति क्यों बनती है और देश के किन-किन इलाकों से इसे बेहतर तरीके से देखा जा सकता है। आपके लिए यह तमाम जानकारियां यहां दी जा रही हैं।
आसमान में आज रात दिखेगा अद्भुत जगमग नजारा
देश में शुक्रवार की रात सालाना लिरिड उल्का बौछार अपने चरम पर नजर आएगा। बता दें कि एक उल्का बौछार या फिर उल्का बारिश तब होती है जब पृथ्वी, धूमकेतू या फिर क्षुद्रग्रह से छोड़े गए मलबे से होकर गुजरती है। लिरिड थैचर धूमकेतु का मलबा है, जो इस समय में धरती से 1,60,00,00,000 किलोमीटर की दूरी पर अपनी कक्षा में यात्रा कर रहा है। शुक्रवार की रात आसमान में उल्का बारिश अपने चरम पर नजर आएंगे और यह 29 अप्रैल तक प्रति घंटे 10 से 15 उल्का की रफ्तार से लगातार गुजरते रहेंगे। हालांकि, इस अद्भुत खगोलीय घटना के दीदार में चंद्रमा अड़ंगा डाल सकता है। क्योंकि, उसकी चमक के चलते उल्का बौछार की विजिबिलिटी 25 से 50 फीसदी तक कम हो सकती है।
लिरिड उल्का वर्षा क्या है ?
लिरिड उल्का बौछार थैचर धूमकेतु के जरिए पीछे छोड़े गए मलबे का क्षेत्र है, जो पृथ्वी की कक्षा में मौजूद है। यह तब हुआ जब वह अपनी कक्षा में सूर्य की ओर बढ़ रहा था। हर साल जब पृथ्वी अपनी कक्षा में इस मलबे वाले इलाके से गुजरती है तो इसके ऊपरी वायुमंडल के साथ घर्षण पैदा होने की वजह से यह मलबा जल उठता है। यह अपने पीछे जलते हुए 'शूटिंग स्टार' के निशान छोड़ते हैं, जो लिरिड उल्का बौछार कहलाती है। नासा के मुताबिक लिरिड्स 2,700 वर्षों से नजर आ रहे हैं और अपने तेज और चमकीले उल्काओं के लिए जाने जाते हैं। पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरने के दौरान कुछ सेकंड के लिए यह अद्भवुत जगमग नजारा पेश करते हैं।
भारत के किन शहरों में दिखेगी लिरिड उल्का बौछार ?
लिरिड उल्का बारिश का दीदार पूरे देश में और सभी शहरों से किया जा सकता है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक एमपी बिड़ला तारामंडल की साइंटिफिक ऑफिसर शिल्पी गुप्ता ने कहा है कि कोलकाता, दिल्ली समेत देश के अन्य भागों में रात करीब 8.31 बजे के करीब यह उल्का बारिश अपने चरम पर होगी। आमतौर पर 'शूटिंग स्टार' कहलाने वाली ये उल्काएं चट्टानी होती हैं, जो पृथ्वी के वायुमंडल में 30 से 60 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से दाखिल होती हैं और उससे बनने वाली चमकती धारियों को ही उल्का बौछार कहा जाता है।
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लंबी अवधि का है थैचर धूमकेतु
बिड़ला तारामंडल के मुताबिक, सी/1861 जी1 थैचर एक लंबे समय का धूमकेतु है, जो सूर्य की परिक्रमा करने में 415 वर्ष लेता है। अंतिम बार यह 1861 में अपने पेरहीलीअन प्वाइंट से गुजरा था। हर बार जब भी कोई धूमकेतु आंतरिक सौर मंडल में प्रवेश करता है, तो वह अपनी कक्षा में अपने पीछे मलबा छोड़ देता है। अगले 6 और 7 मई को भी धूमकेतु हैली से छोड़े गए धूल के कणों से पैदा हुईं एटा एक्वारिड्स उल्का बौछार देखने को मिल सकता है। (तस्वीरें- प्रतीकात्मक)