महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा क्यों हैं सुर्खियों में, पिता जावेद का क्या है बिहार कनेक्शन?
इल्तिजा के पिता जावेद का क्या है बिहार कनेक्शन?
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बड़ी बेटी सना इल्तिजा जावेद मुफ्ती पिछले कुछ दिनों से चर्चा में हैं। धारा 370 हटाने को लेकर कश्मीर की राजनीतिक फिजां बदली हुई है। जब महबूबा मुफ्ती को नजरबंद किया था तब इल्तिजा ने इस पर सवाल उठाये थे। इस मुद्दे पर उन्होंने केन्द्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ। वे सक्रिय राजनीति में नहीं हैं फिर भी धारा 370 के समर्थन में पुरजोर तर्क पेश कर रही हैं। उन्होंने अपनी मां की नजरबंदी के खिलाफ गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था। इल्तिजा को जब मां से मिलने की इजाजत नहीं मिली तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अब कोर्ट ने इल्तिजा को उनकी मां महबूबा से मिलने की इजाजत दे दी है। वे पिछले एक महीने से मां को देख नहीं पायीं हैं।
इल्तिजा जावेद मुफ्ती
सना इल्तिजा जावेद मुफ्ती, महबूबा मुफ्ती की बड़ी बेटी हैं। सना उनके घर का नाम है। जावेद उनके पिता का नाम है। मुफ्ती सरनेम उन्हें अपने नाना मुफ्ती मोहम्मद सईद से मिला है। मुफ्ती मोहम्मद सईद भारत के पूर्व गृहमंत्री और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं। वे कांग्रेस में रहे। जनता दल में रहे। फिर अपनी पार्टी बना ली, पीडीपी। इल्तिजा 34 साल की हैं और लंदन स्थित इंडियन हाईकमिशन में वरीय प्रशासकीय अधिकारी रही हैं। उन्होंने इंटनेशनल रिलेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। वे पिछले कुछ समय से श्रीनगर में अपनी मां महबूबा के साथ रही थीं। धारा 370 को हटाने के मुद्दे पर जब 5 अगस्त को महबूबा नजरबंद हुई थीं उस समय इल्तिजा मां के साथ ही थीं। इस दौरान इल्तिजा को भी 5 अगस्त से 22 अगस्त तक नजरबंद रखा गया। करीब 17 दिन के बाद उन्हें चेन्नई जाने की इजाजत दे दी गयी। चेन्नई में उनकी मौसी रुबिया सईद रहती हैं।
मौसी रुबिया सईद के पास हैं चेन्नई में
ये वही रुबिया सईद हैं जिनका 1989 में आतंकियों की रिहाई के लिए अपहरण किया गया था। रुबिया सईद ड़क्टर हैं और पिछले 10 साल से चेन्नई में रह रही हैं। राजनीति और विवादों से दूर डॉ. रुबिया चेन्नई के हेर्रिंगटन रोड में लो प्रोफाइल जीवन गुजार रही हैं। वे सार्वजनिक स्थानों पर बहुत कम दिखती हैं। उनके पति शरीफ अहमद का ऑटोमोबाइल शो रूम है। इल्तिजा मुफ्ती जब नजरबंदी से आजाद हुईं तो अपनी मौसी डॉ. रुबिया के पास चेन्नई आ गयीं। मां को देखने के लिए अब वे चेन्न्ई से ही श्रीनगर आ रही हैं।
इल्तिजा के सरनेम में पिता की नाम
इल्तिजा मुफ्ती अपने सरनेम में पिता जावेद इकबाल का नाम जोड़े रखा है। उनके माता- पिता का 32 साल पहले तलाक हो चुका है। लेकिन इल्तिजा आज भी अपना पूरा नाम इल्तिजा जावेद मुफ्ती या इल्तिजा इकबाल मुफ्ती लिखती हैं। महबूबा मुफ्ती की शादी 1984 में जावेद इकबाल से हुई थी। जावेद इकबाल से उनकी शादी केवल तीन साल ही चली। 1987 में महबूबा का जावेद से तलाक हो गया था। इस बीच इल्तिजा और इर्तिका दो बेटियों का जन्म हुआ। जावेद व्यवसायिक घराने से थे और उनकी राजनीति में कोई रुचि नहीं थी। दूसरी तरफ मुफ्ती मोहम्मद सईद अपनी बड़ी बेटी महबूबा को अपनी राजनीतिक विरासत सौंपना चाहते थे। मुफ्ती मोहम्मद के एकलौते पुत्र तसादुक मुफ्ती को राजनीति की बजाय फिल्मी दुनिया में दिलचस्पी थी। (वे अभी मुम्बई के फेमस सिनेमेटोग्राफर हैं।) बेटे को राजनीति से विमुख देखकर मुफ्ती मोहम्मद सईद ने अपनी बड़ी बेटी को राजनीति में लाने का मन बना लिया।
जावेद की महबूबा और उनके पिता से खुन्नस
जावेद, महबूबा के राजनीति में जाने के खिलाफ थे। इस बीच महबूबा ने जावेद पर आरोप लगाया कि वे अपने बच्चों की जवाबदेही के प्रति लापरवाह हैं। दूरियां बढ़ती गयीं। आखिरकार 1987 में दोनों का तलाक हो गया। महबूबा से तलाक के बाद जावेद के मन में अपनी पूर्व पत्नी और उनके पिता के खिलाफ कड़वाहट पैदा हो गयी थी। जावेद को राजनीति से परहेज था लेकिन महबूबा और मुफ्ती मोहम्मद सईद को सबक सिखाने के लिए उन्होंने सियासत का दामन थाम लिया। जावेद को इस बात का भी खुन्नस था कि महबूबा दोनों बेटियों को उनसे मिलने नहीं दे रही थीं। जावेद इस ताक में लग गये कि कैसे अपने पूर्व ससुर को सियासी नुकसान पहुंचाएं। 1996 में जावेद को यह मौका मिल गया। जावेद ने पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर अपने ससुर का पुरजोर विरोध किया।
1996 में लालू ने मुफ्ती को बिहार से लड़ाया चुनाव
मुफ्ती मोहम्मद सईद राजीव गांधी की कैबिनेट में नागरिक उड्डयन मंत्री थे। 1989 में कांग्रेस का साथ छोड़ कर वे वीपी सिंह के साथ आ गये। 1989 में वीपी सिंह की जनमोर्चा सरकार में मुफ्ती मोहम्मद सईद को गृह मंत्री जैसे अहम पद पर बैठाया गया था। वे आजाद भारत के पहले मुस्लिम गृहमंत्री थे। इस दौरान उनकी लालू यादव से करीब हुई। 1996 के लोकसभा चुनाव के समय लालू यादव ने मुफ्ती मोहम्मद सईद को बिहार के कटिहार से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया। कहां कश्मीर और कहां कटिहार। सईद चुनाव लड़ने के लिए कटिहार आ गये। लालू ने उन्हें जनता दल का टिकट दे कर मैदान में उतार दिया। जैसे ही जावेद इकबाल को ये बात मालूम हुई वे अपने पूर्व ससुर मुफ्ती मोहम्मद सईद का विरोध करने के लिए कटिहार पहुंच गये। वे करीब दो महीने तक कटिहार में रहे थे। जावेद कांग्रेस के प्रत्याशी तारिक अनवर के पक्ष में प्रचार करने लगे। उस समय उन्होंने मुफ्ती मोहम्मद सईद पर कई गंभीर आरोप भी लगाये थे। लालू का करिश्मा उस समय चरम पर था। लेकिन जावेद ने जब मुफ्ती की पोल खोलनी शुरू की तो लालू का रूतबा भी फेल हो गया। इस चुनाव में तारिक अनवर की जीत हुई थी। तारिक की जीत में जावेद का बहुत बड़ा योगदान था। मुफ्ती मोहम्मद सईद लालू का कैंडिडेट होने के बाद भी तीसरे स्थान पर फिसल गये और करारी हार झेलनी पड़ी। लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी महबूबा की बड़ी बेटी इल्तिजा अपने पिता का सरनेम इस्तेमाल करती हैं।