मेघालय: जानिए क्या है 'रैट होल माइनिंग', जिसमें फंस गए हैं 15 मजदूर
नई दिल्ली। मेघालय की एक अवैध कोयला खदान में 15 मजदूरों को फंसे हुए अब दो हफ्ते होने को हैं लेकिन तमाम दिक्कतों के चलते अभी तक उन्हें नहीं निकाला जा सका है। दरअसल खदान में पानी भरने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कतें आ रही हैं। घटना लुमथारी गांव में हुए हैं जो शिलॉन्ग से तीन घंटे की दूरी पर स्थित है। जिस खदान में ये मजदूर फंसे हैं उस खदान में रैट माइनिंग के जरिए कोयले का खनन किया जा रहा था। जोकि एक पुरानी और बेहद ही खतरनाक खनन प्रक्रिया होती है।
दो तरह से होती है रैट माइनिंग
मेघायल के जयंतिया पहाड़ियों में छोटी खदानों से कोयला निकाला जाता है। जो कि आमतौर पर 3-4 फीट उंचाई की होती हैं। इन खदानों में श्रमिक लेटकर घुसते हैं और कोयला निकालते हैं। रैट होल माइनिंग दो तरह की होती है। पहली- इन साइड कटिंग प्रोसिजर इसमें पहाड़ों के किनारों पर एक संकरी सुरंग बनाई जाती है। इसके बाद वर्कर इसके अंदर जाते हैं और तक खुदाई करते रहते हैं जब तक कि उन्हें कोयले की परत नहीं मिल जाती है। मेघायल में कोयले की ये परतें काफी पतली होती हैं। कभी कभी सिर्फ 2 मीटर की ही होती हैं।
इस तरह के खनन में अधिकतर बच्चे जुड़े हुए हैं
वहीं रैट माइनिंग की दूसरी पद्धति- कॉल्ड बॉक्स कटिंग होती है। इसमें खुदाई आयताकार रूप में की जाती है। ये 10 से 100 वर्ग मीटर की होती हैं। पहले इसकी खुदाई ऊर्ध्वाधर रुप में की जाती है। इनकी गहराई 100 से लेकर 400 फीट तक गहरी होती है। जहां पर उन्हें कोयला मिल जाता है, तो इसके बाद खुदाई क्षैतिज रूप एक चूहे की सुरंग के तौर पर की जाती है। जिससे वर्कर कोयला निकालते हैं। इन खदानों में काम करने वाले अधिकतर मजदूर बाहर के होते हैं। आमतौर पर वे नेपाल, बांग्लादेश और असम से आते हैं। बाहर से आए गरीब मजदूरों को इन खतरनाक खदानों की जानकारी नहीं होती है। इसका कोल माफिया फायद उठाते हैं और उनसे कोयले का खनन कराते हैं। बताया जाता है इस तरह के खनन में अधिकतर बच्चे जुड़े हुए हैं।
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ये खदानें दूसरी पारंपरिक खदानों के मुकाबले काफी संकरी होती हैं
दरअसल मेघालय में बहुत अच्छी क्वालिटी का कोयला नहीं है। इसमें सल्फर की मात्रा बहुतअधिक होती है जिसके कारण कंपनियों का ज्यादा मुनाफा नहीं होता है। ऐसे में यहां कोयले निकालने के लिए मजदूरों की मदद ली जाती है। ये खदानें दूसरी पारंपरिक खदानों के मुकाबले काफी संकरी होती हैं और इसमें बेहद मुश्किल हालात में घुसकर मजदूर कोयला निकालते हैं। 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने मेघालय में रैट होल माइनिंग पर बैन लगाया था। लेकिन इसके बाबजूद यहां पर अवैध खनन चल रहा था।
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