मेघालयः क्या भाई के लिए अगाथा हट गईं सीएम की रेस से?
मेघालय में आए चुनाव परिणामों के बाद नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) बीजेपी और अन्य चार दलों के साथ गठबंधन कर सत्ता पर काबिज होने जा रही, एनपीपी की तरफ से कॉनराड संगमा को मुख्यमंत्री के रूप मे चुना गया है.
इससे पहले ऐसी खबरें आ रही थीं कि मेघालय के मुख्यमंत्री पद के लिए कॉनराड संगमा की बहन और पूर्व सांसद अगाथा संगमा भी रेस में हैं
मेघालय में आए चुनाव परिणामों के बाद नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) बीजेपी और अन्य चार दलों के साथ गठबंधन कर सत्ता पर काबिज होने जा रही, एनपीपी की तरफ से कॉनराड संगमा को मुख्यमंत्री के रूप मे चुना गया है.
इससे पहले ऐसी खबरें आ रही थीं कि मेघालय के मुख्यमंत्री पद के लिए कॉनराड संगमा की बहन और पूर्व सांसद अगाथा संगमा भी रेस में हैं लेकिन आखिरकार कॉनराड संगमा को ही मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया.
विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन वह सत्ता से दूर रह गई.
कांग्रेस ने इसे जनादेश का असम्मान बताया और गठबंधन कर सरकार बनाने वाली पार्टियों को अवसरवादी करार दिया.
राज्य में कांग्रेस की 21, भाजपा की 2 के अलावा नेशनल पीपल्स पार्टी को 19, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी को 6 और पीपल्स डेमोक्रेटिक फ़्रंट को 4 सीटें मिली हैं.
सत्ता पर कितना नियंत्रण
मेघालय की राजनीति में कॉनराड संगमा की शुरुआती पहचान पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के बेटे की रही है. कॉनराड 16वीं लोकसभा में अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र तुरा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं
इसी के साथ यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या मेघालय में पांच साल तक स्थिर सरकार रह पाएगी, अलग-अलग विचारधाराओं वाले दल एकसाथ मिलकर कब तक सरकार चला पाएंगे.
एनपीपी की नेता और कॉनराड संगमा की बहन अगाथा संगमा ने कहा, '' मुझे पूरा भरोसा है कि हम एक एक स्थिर सरकार बनाने में कामयाब रहेंगे, हमारे मुख्यमंत्री एक अनुभवी राजनेता हैं और सभी दलों ने उन्हें समर्थन दिया और उन्हें अपना नेता चुना है इसलिए बिना किसी गतिरोध के हमारी यह सरकार पांच साल तक चलेगी.''
मुख्यमंत्री पद से क्यों दूर हुईं?
मुख्यमंत्री पद की दौड़ में अगाथा संगमा का नाम भी काफी आगे चल रहा था. वे पूर्व सांसद रह चुकी हैं इसके अलावा ग्रामीण विकास राज्य मंत्री का पदभार संभाल चुकी हैं.
दिल्ली की राजनीति में अगाथा अपने भाई कोनराड से ज्यादा जाना-पहचाना चेहरा हैं. ऐसे में वे मेघालय की मुख्यमंत्री पद से दूर कैसे हो गईं.
इस सवाल पर अगाथा कहती हैं, ''ये चुनाव हमने कोनराड संगमा के नेतृत्व में ही लड़ा और यह जनादेश भी उसी की वजह से मिला है, तमाम दल जो आज एक साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाने के लिए तैयार हुए हैं वे भी कोनराड के नेतृत्व की वजह से ही साथ आए हैं. ऐसे में किसी और को नेतृत्व देने की बात ही नहीं उठती.''
नैतिकता का सवाल
चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन उसे सत्ता से दूर रखते हुए बीजेपी जिसने महज दो सीटे जीतीं, उसे सत्ता में हिस्सेदारी मिल रही है.
मणिपुर और गोवा के बाद अब मेघालय में इस तरह की सरकार बन रही है जहां कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी सरकार नहीं बना पाई.
अगाथा संगमा कहती हैं कि कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका क्यों नहीं मिला इस मुद्दे पर वो कुछ नहीं कह सकतीं.
अगाथा ने कहा,''जब हमारे नेता कोनराड संगमा गवर्नर के पास अपने पूरे गठबंधन के साथ गए और उनके सामने बहुमत साबित किया तब हमें सरकार बनाने का मौका मिला, इसमें नैतिकता जैसी बात नहीं आती.''
पिता की विरासत
कोनराड संगमा और अगाथा संगमा के पिता पी ए संगमा पूर्व कांग्रेसी रह चुके हैं, वे साल 1999 से 2004 और उसके बाद 2005 से 2012 तक कांग्रेस के साथ रहे.
लेकिन अब एनपीपी बीजेपी के साथ मिलकर मेघालय में सरकार बनाने जा रही है. इस पर अगाथा संगमा का कहना है, ''हमारे पिताजी जब राष्ट्रपति पद के लिए खड़े हुए तक एनडीए ने ही उन्हें समर्थन किया था, इसके अलावा केंद्र सरकार में मेरे भाई कोनराड संगमा ने एनडीए सरकार को ही समर्थन दिया है. इसलिए यह हमारे लिए कोई नई बात नहीं है.''
बीजेपी की नीतियों के साथ कैसे बैठेगी बात
बीजेपी की अल्पसंख्यकों के प्रति छवि के बारे में और मेघालय की जनता के लिए उसकी सरकार की नीतियों पर जब सवाल किया गया तो अगाथा ने कहा कि वे बीजेपी की किसी छवि पर विचार नहीं करती.
उन्होंने कहा, ''हमारी पार्टी नरेंद्र मोदी के विकास के मॉडल के साथ है और मेघालय की जनता का विकास करने के मकसद से ही हमने बीजेपी के साथ गठबंधन किया है, हमने किसी जाति और धर्म के आधार पर सरकार बनाने का विचार नहीं किया हैं.''